विश्व तंबाकू दिवस : फेफड़े को कमजोर कर रहा तंबाकू, कोरोना काे भी दे रहा दावत
चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू के दंत चिकित्सा संकाय के पूर्व प्रमुख प्रो. टीपी चतुर्वेदी बताते हैं कि कोविड-19 वायरस का असर तंबाकू का सेवन करने वालों को ज्यादा हो रहा है। कोरोना एक बड़ी वैश्विक आपदा बनकर दुनिया को परेशान कर रही है।
वाराणसी, जेएनएन। चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के दंत चिकित्सा संकाय के पूर्व प्रमुख प्रो. टीपी चतुर्वेदी बताते हैं कि कोविड-19 वायरस का असर तंबाकू का सेवन करने वालों को ज्यादा हो रहा है। कोरोना एक बड़ी वैश्विक आपदा बनकर दुनिया को परेशान कर रही है। भारत में भी यह तबाही मचाई हुई है। धूम्रपान करने वाले के लंग्स के कोशिकाओं में कोरोना स्वस्थ व्यक्ति के तुलना में अधिक होने की संभावना होती हैं। धूम्रपान शरीर को रोग लड़ने की क्षमता कम करता है, जिससे कोरोना के रोग होने की अधिक संभावना रहती है। इस बार विश्व तंबाकू दिवस की थीम भी इसी पर आधारित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस साल इस दिवस की थीम -तंबाकू छोड़ने का प्रण- नाम दी है। प्रो. चतुर्वेदी इंडियन डेंटल एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष व एंटी टोबैको कंपेन, सेव द वर्ल्ड के कन्वेरन भी हैं।
प्रो. चतुर्वेदी बताते हैं कि विश्व तंबाकू निषेध दिवस 31 मई को हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1987 से मनाया जाता है। इस समय यूथ को कैसे तंबाकू एवं निकोटीन से बचाया जाए, इसकी प्राथमिकता होनी चाहिए। देश में लगभग 27 करोड़ लोग तंबाकू का प्रयोग करते हैं। महिलाओं की अपेक्षा पुरुष कम उम्र में तंबाकू का उपयोग करते हैं, जिसकी औसत उम्र तंबाकू शुरू करने की लगभग 18 वर्ष हैं। तंबाकू हृदय व सांस के अंग के रोगों का खतरा चार गुना ज्यादा कर देता है। स्ट्रोक का खतरा दो गुना अधिक कर देता है।
तंबाकू खाकर थूकते हैं तो कोरोना वायरस का भी खतरा
स्मोकलेस तंबाकू जो कि गुटका, पान, खैनी, सुरती, सुंघनी मंजन के द्वारा उपयोग किया जाता है। मुंह में चबाते समय लार का स्राव अधिक होने से बार-बार थूकना पड़ता है। इस तरह थूकने से कोरोना वायरस आसपास फैलने का खतरा ज्यादा होती हैं। ऐसे में धूम्रपान करने वाले से मुंह एवं हाथ को बार-बार छुने से भी कोरोना ज्यादा फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
कमजोर हो रहे फेफड़े
बीड़ी और सिगरेट के पीने से फेफड़े (लंग्स) कमजोर होते हैं। ऐसे लोग को कोरोना वायरस से संक्रमित होने पर यह वायरस खतरनाक ढंग से अपना प्रभाव डालता है। एक अनुमान के मुताबिक प्रत्येक वर्ष भारत में तंबाकू से मरने वालों की संख्या लगभग 12 से 13 लाख भारत में है। इस समय भारत में हर तीसरा या चौथा आदमी तंबाकू का उपयोग कर रहे हैं। फिर भी कुछ लोग इससे होने वाले खतरे से जागरूक होकर उपयोग नहीं कर रहे हैं। तंबाकू के सेवन से यह भी सिद्ध हुआ है कि बाद में आदमी के यादाश्त की शक्ति कम हो जाती है। फेफड़ों, मुंह, गले, सिर के कैंसर का कारण मुख्य रूप में तंबाकू सेवन ही है।
तंबाकू से ये हो सकती हैं बीमारियां
तम्बाकू के धूएं में 500 हानिकारक गैसें एवं 7000 व अन्य रसनायिक गैस जो कि जहरीले करने वाले होते हैं, निकलते हैं। तंबाकू की वजह से लगभग 25 तरह की बीमारी व 40 तरह के कैंसर हो सकते हैं। इसकी वजह से दातों का सड़ना, मसूड़ों का रोग, मुंह से बदबू होना, दात के बदरंग होना भी होता है। नियमित रूप से तंबाकू सेवन करने से सांस का फूलना, टीबी, माइग्रेन, सिरदर्द, असमय बालों का झड़ना व सफेद होना, आंखों में मोतियाबिंद की परेशानी, हृदय की बीमारी व हार्ट अटैक, पेट में फोड़ा, खून की बीमारी पुरषों में नपुंसकता आदि की बीमारी भी हो सकती है। असमय बूढ़ापन व पेट में गैस की समस्या भी हो सकती हैं। धूम्रपान करने वाली महिलाओं के कम वजन के बच्चे का होना, बच्चों में कंजेनिटल या पैदायशी बीमारी या बच्चो का असमय मृत्यु होने का डर रहता हैं।
हर साल बढ़ रहे 80 हजार कैंसर के मरीज
तंबाकू का नशे का मुख्य कारण उसमें पाया जाने वाला निकोटीन होता है। बच्चों और बड़ों में इसकी लत लग रही है, जिससे आजकल के तनाव वाली जिंदगी में इसका उपयोग काफी बढ़ गया है। देश में हर साल 80 हजार से एक लाख तक मुख के कैंसर होते हैं। प्रमूख कैंसर मुंह, गले, लंग्स, प्रोस्टेट, पेट, खून और ब्रेन का कैंसर हैं। तंबाकू के नियमित उपयोग करने वालों में आधे लोगों की बीमारी एवं मृत्यु हो सकती है। पूरे विश्व में 80 लाख तक लोगों की मौत इसकी वजह से होती हैं। इसमें 10 से 12 लाख तक लोगों की मौत परोक्ष धूम्रपान, यानि धूम्रपान करने वालों के साथ रहने के कारण होती है। धूम्रपान करने से धुआं लगभग 30 फीसद खुद लेते हैं व 70 फीसद आसपास फैलता है, जो कि परोक्ष धूम्रपान का कारण होता है।
वैक्सीनेशन बहुत जरूरी
कोरोना महामारी के समय तंबाकू के प्रयोग से बचे और कोरोना को फैलने से बचाए।इ सके बचाव के लिए एक दूसरे से दूरी, फेसमास्क व नियमित हाथ की सफाई ही रास्ता है। वैक्सीनेशन धीरे-धीरे लोगों को लगाए जा रहे हैं। तंबाकू सेवन न करने की इच्छा शक्ति ही इसका इलाज हैं। निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी का उपयोग चिकित्सक के सलाह से करना चाहिए। तम्बाकू निषेध दिवस लोगों को जागरूक करने के लिए मनाया जाता है।