इस बार बरसात में जरूर लगाएं घरों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, बनवाएं सोख्ता पिट
यदि आप बच्चों नाती-पोतों से करते हैं प्यार तो घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को देना होगा आकार। जनाब यह सिर्फ स्लोगन नहीं है। कल बचाने की पुकार है क्योंकि यह सच है कि जल है तभी कल है। इसे आत्मसात करें और भूगर्भ जल संरक्षण में योगदान करें।
वाराणसी, जेएनएन। यदि आप बच्चों, नाती-पोतों से करते हैं प्यार तो घर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को देना होगा आकार। जनाब, यह सिर्फ स्लोगन नहीं है। कल बचाने की पुकार है क्योंकि यह सच है कि जल है तभी कल है। इसे आत्मसात करें और भूगर्भ जल संरक्षण में योगदान करें। इसके लिए कुछ खास नहीं करना है। घर छोटा होने का कोई रोड़ा भी नहीं है। आप सिर्फ घर के अंदर क्षेत्रफल के हिसाब से एक सोख्ता पिट बनवाने के साथ ही इसमें घर के सभी ड्रेनेज जोड़ कर जल संरक्षण में सहभागी बन सकते हैं। हां, ध्यान यह रखना है कि इसमें शौचालय का कनेक्शन नहीं करना है। स्नानघर, किचन, कमरे, आंगन आरै छत आदि का ड्रेनेज ही जोडऩा है।
आर्किटेक्ट शैलेंद्र सिंह बताते हैं कि उनकी कंपनी जब भी किसी मकान या व्यावसायिक प्रतिष्ठान का नक्शा बनाती है तो रेन वाटर सिस्टम का सुझाव भवन मालिकों को जरूर दिया जाता है।
बहुत ही सस्ती है विधि
रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की यह विधि बेहद सस्ती है। महज 20 से 25 हजार में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम तैयार हो जाता है। इस विधि का सुझाव अधिक क्षेत्रफल वाले भवनों में भी दिया जाता है। उनके यहां सोख्ता पिट की संख्या बढ़ाई जाती है। हालांकि, जो भवन मालिक कहते हैं उनके लिए भी मुकम्मल नक्शा बनाकर दिया जाता है, जिसमें जमीन के अंदर टैंक बनाने के अलावा शोधन सिस्टम विकसित करना होता है ताकि बोङ्क्षरग के जरिए जो भी पानी भूगर्भ में मिले वह शुद्ध हो। यह सिस्टम तैयार करने में बनारस व आसपास करीब सवा लाख से डेढ़ लाख का खर्च होता है।
सिस्टम को करना होता है मेंटेन
शैलेंद्र सिंह कहते हैं, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को हर वर्ष सफाई आदि कराकर दुरुस्त करना होता है। ऐसा नहीं करने पर घर के अंदर ड्रेनेज की समस्या होती है तो परेशान होकर लोग ड्रेनेज पाइप को शोधन सिस्टम से निकाल सीधे बोरिंग से जोड़ देते हैं। ऐसे में गंदा पानी भूगर्भ जल में जाता है जिससे दूषित होने का खतरा बढ़ता है।
ऐसे बनाया जाता है सिस्टम
-छत के पानी के लिए जमीन के नीचे टैंक बनाते हैं
-उसमें होल कर पाइप को जमीन तक लाया जाता है।
-बीच में शोधन के लिए फिल्टर पिट बनाया जाता है।
-पिट में जाली, मिट्टी, मौरंग, बालू भरा जाता है।
-पाइप को बोरिंग कर जमीन में डाला जाता है।
बीएचयू में तैयार हुई है नई डिजाइन
सात सौ से नौ मिमी बारिश वाले क्षेत्र के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंगसिस्टम बीएचयू में तैयार किया गया है। कृषि विभाग के डा. नेमा ने नए माडल की डिजाइन तैयार की है। इसे रिचार्ज ट्रैंच मैथड नाम दिया है। यह 150 से 200 वर्गमीटर क्षेत्रफल के लिए बनाया गया है। इसके लिए इलाके में बलुई स्ट्रेटा उथला होना चाहिए। सबसे पहले जमीन पर एक रिचार्ज ट्रेंच बनाएंगे। जो छह गुणा 1.5 मीटर क्षेत्रफल का होगा। ऊंचाई दो मीटर होगी। सतह से इसमें छत से आ रहे ड्रेनेज पाइप को जोड़ देंगे। ट्रेंच में मौरंग व ग्रेवल की लेयर बिछाकर शोधन सिस्टम तैयार किया जाएगा।