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तीस साल बाद बेटे को दिल्ली से खींच लाया पिता का प्यार, मां-बाप को आखिरकार मिली बुढ़ापे की लाठी

बात 11 नवंबर 1991 की है। पट्टीनरेंद्रपुर निवासी मोहन प्रसाद तिवारी उर्फ जर्मनी का 16 वर्षीय बेटा कृष्ण चंद्र तिवारी माता-पिता की किसी बात से नाराज हो गया और बिना बताए कहीं चला गया। आखिरकार उनका स्नेह तीस साल बाद वापस घर खींच ही लाया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 09 Apr 2021 09:39 PM (IST)Updated: Fri, 09 Apr 2021 09:39 PM (IST)
तीस साल बाद बेटे को दिल्ली से खींच लाया पिता का प्यार, मां-बाप को आखिरकार मिली बुढ़ापे की लाठी
बेटे को अपनी आंखों के सामने पाकर माता-पिता को तो सहसा खुद पर यकीन ही नहीं हुआ।

जौनपुर, जेएनएन। मामूली बात पर माता-पिता को छोड़कर चले जाने वाले पुत्र को आखिरकार उनका स्नेह तीस साल बाद वापस घर खींच ही लाया। इतने दिन बाद बेटे को अपनी आंखों के सामने पाकर माता-पिता को तो सहसा खुद पर यकीन ही नहीं हुआ। बेटे की वापसी को लेकर परिवार में हर्ष व्याप्त हो गया है।

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बात 11 नवंबर 1991 की है। पट्टीनरेंद्रपुर निवासी मोहन प्रसाद तिवारी उर्फ जर्मनी का 16 वर्षीय बेटा कृष्ण चंद्र तिवारी माता-पिता की किसी बात से नाराज हो गया और बिना बताए कहीं चला गया। इकलौते पुत्र के इस तरह चले जाने से पिता मोहन प्रसाद व मां कृष्णावती काफी परेशान थीं। रिश्तेदारियों से लगायत हर संभावित स्थानों पर काफी खोजबीन के बाद भी उसका कहीं पता नहीं चला। वर्षों तक पति-पत्नी बेटे की खोज में मंदिरों पर मत्था टेकते रहे, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल सका। उधर, कृष्णा घर से निकलने के बाद किसी तरह दिल्ली पहुंचा। वहीं मेहनत-मजदूरी करते हुए अपना पेट पालने लगा। संघर्ष करते हुए उसे कामयाबी मिली और उसने वहीं राशन की दुकान खोलकर व्यवसाय कर लिया। इतना ही नहीं शादी भी कर ली और तीन बच्चों का पिता भी बन गया और जिंदगी चलने लगी।

बेटे को दस दिन पूर्व पिता की मृत्यु का आया स्वप्न

कृष्णा ने बताया कि दस दिन पूर्व पिता की मृत्यु का स्वप्न आया। इसके बाद अचानक घर जाने और माता-पिता से मिलने को व्याकुल हो गया। अपने एक मित्र के माध्यम से घर सूचना दी। इसके बाद पिताजी व मां व्याकुल हो गए। दो दिन पूर्व दिन पड़ोस के लोग कार से दिल्ली गए और शुक्रवार को लेकर वापस घर लौटे। बताया कि माता-पिता से मिलकर बहुत खुशी हुई। अब भले ही वहां कारोबार करेंगे, लेकिन इनका भी ख्याल रखेंगे। मां ने कहा कि मुझे भगवान पर विश्वास था कि एक दिन मेरे बेटे से जरूर मिलाएंगे।


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