CoronaVirus की जांच के लिए लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर थर्मोग्राफिक कैमरा
लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट बाबतपुर में कोरोना ग्रसित मरीजों का प्रवेश रोकने के लिए मेडिकल टीम काफी तत्परता से विदेशी यात्रियों की जांच में लगी हुई है।
वाराणसी, जेएनएन। लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट बाबतपुर में कोरोना ग्रसित मरीजों का प्रवेश रोकने के लिए मेडिकल टीम काफी तत्परता से विदेशी यात्रियों की जांच में लगी हुई है। वहीं दो दिन में एयरपोर्ट पर थर्मोग्राफिक कैमरा लगने के साथ कोरोना वायरस से पीडि़त मरीजों की जांच करने में आसानी होने लग जाएगी। वहीं गुरुवार की सुबह बाबतपुर एयरपोर्ट के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से कोरोना वायरस जांच की जानकारी साझा की गई है। बताया गया है कि कोविड2019 को रोकने के लिए यूनिवर्सल स्क्रीनिंग वाराणसी एयरपोर्ट पर की जा रही है। थर्मल स्कैनिंग मशीनों का उपयोग कर पैरामेडिकल टीम द्वारा एयरपोर्ट पर आगमन के बाद से ही 100% अंतर्राष्ट्रीय यात्रियों की स्क्रीनिंग की जा रही है।
दिल्ली से भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआइ), नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और ब्यूरो ऑफ इमीग्रेशन द्वारा स्थानीय अधिकारियों से हर रोज की रिपोर्ट मांगी जा रही। पिछले माह एयरपोर्ट पर जांच करने आई केंद्रीय स्वास्थ्य टीम से माध्यम से वाराणसी में थर्मोग्राफिक कैमरा का प्रस्ताव स्वास्थ्य विभाग को भेजा गया था। विभाग द्वारा भी तत्परता बरतते हुए उसे लगवाने का प्रबंध किया गया। आगामी दो दिनों में ट्राइपॉड माउंटेड थर्मल इमेजर कैमरा अर्थात थर्मोग्राफिक कैमरा एयरपोर्ट पर आ जाएगा। यह अत्याधुनिक थर्मोग्राफिक कैमरा आने से एयरपोर्ट पर पहुंचने वाले सभी विदेशी यात्रियों के पूरे बॉडी की स्कैनिंग कर ली जाएगी।
जांच के दौरान यदि उनमें कोरोना के लक्षण मिलते हैं तो मशीन तत्काल इंडिकेट करने के साथ यात्री को वहीं पर रोक लिया जाएगा। इस बारे में बड़ागांव पीएचसी प्रभारी डॉ. शेर मोहम्मद ने बताया कि आगामी दो दिनों में थर्मोग्राफिक स्कैनर एयरपोर्ट पर पहुंच जाएगा। इस थर्मल स्कैनर के आने के बाद यात्रियों के पूरे शरीर की जांच करने में आसानी होगी और रिजल्ट भी तुरंत आ जाएगा। यह मशीन अभी तक चेन्नई एयरपोर्ट पर लगी है।
वाराणसी में सर्वाधिक चिंता
वाराणसी में विदेशी यात्रियों की संख्या सारनाथ की वजह से अधिक है। बौद्ध धर्मावलंबी और मतों वाले लोगों का आगमन चीन, कोरिया, जापान से वर्ष भर बना रहता है। लिहाजा यहां पर विदेशी पर्यटकों पर निगरानी बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है। ऐसे में प्रभावित यात्रियों की पहचान बाबतपुर एयरपोर्ट पर ही करने को लेकर प्रशासन काफी सजग है।
कोरोना ने रोकी काबा की उड़ान
कोरोना से खौफजदा सऊदी सरकार ने उमरा करने पर 31 मार्च तक पाबंदी लगा दी है। इससे जायरीनों में मायूसी संग धन डूबने की आशंका भी सता रही है। उमरा के लिए दो-तीन माह पहले ही लोगों ने ट्रैवेल एजेंसियों को पूरे धन का भुगतान कर दिया था। अब उन्हें अपने रुपये की चिंता हो रही है। हालांकि सऊदी सरकार ने वीजा मद में जमा राशि तीन माह बाद लौटाने का आश्वासन दिया है। बनारस से हर साल करीब पांच हजार लोग उमरा करने जाते हैं। हज की तरह यह भी पवित्र यात्रा होती है। हज के अरकान केवल ईद-उल-अजहा के दौरान अदा किए जाने की मान्यता है, जबकि उन्हीं अरकानों को वर्ष में कभी भी अदा करना उमरा कहलाता है।
60 से 70 हजार रुपये का पैकेज
जलालीपुरा के मोहम्मद अफजल पत्नी बशीरुन्निशा के साथ उमरा के लिए मुंबई की ट्रैवेल एजेंसी को रुपये दिए थे। प्रतिव्यक्ति 44 हजार रुपये लखनऊ से किराया तय था। एक हफ्ते बाद होने वाली उड़ान की तैयारियां हो चुकी थीं। इस बीच उमरा पर रोक से अफजल व परिवार मायूस है। उमरा के लिए आम दिनों में लोग ट्रैवेल एजेंसियों के माध्यम से बुकिंग कराते हैं। प्रति व्यक्ति (15 दिनों के लिए) 60 से 70 हजार रुपये तो वहीं रमजान के महीने में 90 हजार से एक लाख रुपये तक खर्च होते हैं। इस राशि में आने-जाने का किराया, ट्रांसपोर्टेशन, होटल में ठहरना और खाना-पीना सब शामिल है। वहीं, सऊदी सरकार वीजा के मद में महज 80 रियाल (करीब 1500 रुपये) ही लेती है।
सब्र रखें जायरीन, वापस होगा धन
सेंट्रल हज कमेटी के सदस्य डा. इफ्तिखार अहमद जावेद के मुताबिक किसी का धन नहीं डूबेगा। जायरीन सब्र रखें, स्थिति सामान्य होते ही उनकी यात्रा पूरी होगी। यदि किसी कारणवश जायरीन उमरा पर नहीं जा सके तो उनके पूरे रुपये वापस होंगे।