...तो तिब्बत की आजादी के साथ 3500 किलोमीटर का भारत-चीन सीमा विवाद खत्म हो जाएगा
तेनजिंग धोंडुप और तेनजिंग न्यामा की कुल 90 दिनों में 2100 किलोमीटर की यात्रा प्रस्तावित है जिसमें से 1260 किलोमीटर की यात्रा अब तक पूरी हो चुकी है। बताया कि पैदल यात्रा का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ संवाद कर चीन की असलियत को बताना है।
वाराणसी, जेएनएन। तिब्ब्तियों के सर्वोच्च धर्म गुरु दलाईलामा के निवास स्थान धर्मशाला से सिक्किम के नाथु ला तक की यात्रा पर निकले दो तिब्बती युवक इन दिनों भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ पहुंचे हैं। तेनजिंग धोंडुप और तेनजिंग न्यामा की कुल 90 दिनों में 2100 किलोमीटर की यात्रा प्रस्तावित है जिसमें से 1260 किलोमीटर की यात्रा अब तक पूरी हो चुकी है। बताया कि पैदल यात्रा का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ संवाद कर चीन की असलियत को बताना है जिससे लोगों को चीन की सच्चाई का पता चल सके।
यात्रा के 41 वें दिन धर्मशाला से दिल्ली लखनऊ होते हुए वाराणसी पहुंचने पर सारनाथ में इन दोनों युवाओं का सारनाथ में स्वागत किया गया। इस अवसर पर मौजूद भारत-तिब्बत संंवाद मंच सहित अन्य सामाजिक संगठनों के पदाधिकारियों ने तिब्बत की आजादी और फ्रीडम मार्च का समर्थन करते हुए कहा कि धूर्त कपटी व विस्तार वादी चीन कभी भी भारत का पड़ोसी नहीं था। तिब्बत पर अवैध कब्जा करने के बाद अब भारत के पूर्वोत्तर और अरुणाचल अपना बताकर भारत की संप्रभुता पर हमला कर रहा है जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
बताया कि तिब्बत की आजादी की लड़ाई भारत की संप्रभुता से जुड़ी हुई है। तिब्बत की आजादी के साथ ही भारत की 3500 किमी सीमा पर विवाद स्वत: समाप्त हो जाएगा और इस पर खर्च होने वाला अरबों डालर देश के विकास में खर्च हो सकेगा। इसके साथ ही करोड़ों शिवभक्त हिंदू, बौद्ध, जैन अपने अध्यात्मिक केंद्र कैलाश मानसरोवर की यात्रा बिना रोक-टोक कर सकेंगे। इस अवसर पर सब ने तिब्बत की आजादी के आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने और चीनी उत्पादों के बहिष्कार का संकल्प लिया।
तिब्बत को चीन कर रहा बर्बाद
आरोप लगाया कि चीन की विस्तारवादी नीति ने तिब्बत की परंपरा और संस्कृति को विनष्ट तो किया ही है साथ ही भारत के लिए भी एक चुनौती बना हुआ है। चीन जिस गति से वहां पर पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है उसका सबसे ज्यादा प्रभाव भारत पर पड़ने वाला है। तिब्बत स्वतंत्रता हेतु जन जागरण अभियान 90 दिन की अनवरत पैदल यात्रा पर निकले दोनों युवक अपनी यात्रा के 41वें दिन वाराणसी के सारनाथ पहुंचे थे। कहा कि उनकी यात्रा का उद्देश्य तिब्बत के पर्यावरण को बचाना है तथा चीन द्वारा बनाए गए सामानों का बहिष्कार करके चीन की विस्तारवादी नीतियों का विरोध करना है।
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