दलहनी की खेती से बढ़ेगी आय, बेहतर आमदनी का जरिया है मूंग की खेती
किसानों को अपनी आय बढ़ानी है तो दलहनी खेती की ओर रुख करना होगा। मंूग की खेती से बेहतर आमदनी के साथ किसानों को भरपूर प्रोटीन भी मिलेगी।
वाराणसी, जेएनएन। किसानों को अपनी आय बढ़ानी है तो दलहनी खेती की ओर रुख करना होगा। मंूग की खेती से बेहतर आमदनी के साथ किसानों को भरपूर प्रोटीन भी मिलेगी। यह कहना है बीएचयू स्थिति कृषि विज्ञान संस्थान के निदेशक प्रो. रमेश चंद का। उन्होंने कहा कि दलहनी की खेती को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास हो रहा है। किसानों को दलहनी की खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है। आम तौर पर गेहूं व धान की खेती में उतना लाभ नहीं मिलता जितनी दलहनी फसल से होता है।
धान व गेहूं की खेती में खाद व सिंचाई का खर्च तो अधिक है साथ ही श्रम भी अधिक लगता है। इसमें किसानों को उतना फायदा नहीं मिलता जितनी वह इस खेती में मेहनत और धन खर्च करते हैं। ऐसे में किसानों को दलहनी की खेती करनी चाहिए। इस समय मूंग व उड़द की खेती की जा सकती है। इसके कई फायदे हैं एक तो घर में लोगों को मूंग की दाल के रूप में प्रोटीन मिलेगा, दूसरा दूधारू जानवरों को भी खाने के लिए उसका छिलका काम में आ जाता है। इसकी खेती गेहूं व धान की खेती से कम खर्च में होती है। मंूग की कीमत बाजार में गेहूं व धान से अधिक है। ऐसे में इसकी खेती किसानों के लिए बेहतर है। इसकी बोआई मार्च-अप्रैल व जून-जुलाई में की जा सकती है। इस फसल को 10 से 15 दिन के अंतराल पर सिंचाई की आवश्कता पड़ती है।
खेत को करें तैयार
मूंग की फसल के लिए खेत की गहरी जोताई करनी चाहिए। जोताई के बाद खेत से खरपतवार हटाने के बाद खेत को समतल करना चाहिए। पलेवा करने के बाद खेत उठने पर दो-तीन जुताई करनी चाहिए। इससे खेत में नमी बनी रहती है जिससे बीजों का अच्छा अंकुरण होता है।
मूंग के बीज की मात्रा
खरीफ के सीजन में कतार विधि से बोआई के लिए 12 से 15 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर मूंग की जरूरत पड़ती है। वहीं बसंत के सीजन में प्रति हेक्टेयर 20 से 25 किलोग्राम बीज की आवश्यकता पड़ती है।
बोआई की विधि
मूंग की बोआई सीड ड्रिल व देशी हल से पंक्तियों में करनी चाहिए। खरीफ फसल के लिए कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर और बसंत में 30 सेंटीमीटर रखनी चाहिए। एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी कम से कम 10 से 15 सेंटीमीटर हो। बोआई से पहले बीज को शोधित करना चाहिए।
खाद का करें उपयोग
मूंग के खेत में बोआई के समय प्रति हेक्टेयर 15 किलोग्राम नत्रजन, 40 किलोग्राम फास्फोरस व 20 किलोग्राम गंधक डालना चाहिए। इसके अलावा 25 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर डाला जाए।