Flood प्रभावित क्षेत्र के बटाईदार दाने-दाने को मोहताज, अगली फसल की भी उम्मीद नहीं
मऊ में कोरोना के आगमन के बाद से ही किसानों और मजदूरों के परिवार से संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। महानगरों में कमाने वाले मजदूरों के बेटे बेरोजगार होकर जहां घर बैठे हैं वहीं फसल डूब जाने से हजारों किसान दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं।
मऊ, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना के आगमन के बाद से ही किसानों और मजदूरों के परिवार से संकट कम होने का नाम नहीं ले रहा है। महानगरों में कमाने वाले किसानों और मजदूरों के बेटे बेरोजगार होकर जहां घर बैठे हैं, वहीं फसल डूब जाने से हजारों किसान दाने-दाने को मोहताज हो गए हैं। सैकड़ों परिवारों में जैसे-तैसे सुबह-शाम हो रही है। कई जगह पर जलजमाव से अगली फसल को लेकर भी किसानों में मायूसी है। सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के वे मजदूर परेशान हैं, जिन्होंने किसानों की जमीन बटाई पर लेकर खेती किया था और वो डूब गई है।
कोपागंज विकास खंड के काछीकला और हिकमा गाड़ा के किसान अतिवृष्टि से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। हिकमा शिवपुर गाड़ा निवासी सुग्रीव चौहान, सरनाम, प्रेम, जीउत राम आदि ने बताया कि उनकी गृहस्ती मेहनत मजदूरी से ही चलती है। कहा कि उन्होनें मजदूरी से कुछ पैसे बचाकर किसानों का खेत लेकर बटाई पर धान की रोपाई कराया था। धान की फसल पूरी तरह पानी में डूब कर बर्बाद हो गई है। कहा कि काम धंधे रुके पड़े हैं। मजदूरी का काम भी नहीं मिल रहा है।
खेतों में जलजमाव अब भी है, जिससे अगली फसल होने की उम्मीद भी धराशाई है। सरकार मुआवजा भी देगी तो उसे जो जमीन का मालिक है, बटाईदारों को क्या मिलेगा। द्वारिका प्रसाद ने बताया कि फसल बर्बाद है, मजदूरी मिल नहीं रही है। इसके चलते कई किसान परिवारों के बीमार लोगों एवं बुजुर्गों का इलाज नहीं हो पा रहा है, जिससे वे दम तोड़ रहे हैं। हिकमा गाड़ा के किसान शशिकांत बाबा, मनोज कुमार आदि ने सदर उपजिलाधिकारी निरंकार ङ्क्षसह से किसानों का सर्वे कराकर बटाईदार किसानों को भी मुआवजा दिलाने की मांग की है।