कोरोना पीडि़त एमबीबीएस छात्र की मां ने बीएचयू अस्पताल में खोली व्यवस्था की पोल
कोरोना संक्रमित एक एमबीबीएस के छात्र पवन जायसवाल की मां शोभन जायसवाल ने बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल स्थित कोविड-19 वार्ड की व्यवस्था की पोल खोल दी है।
वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संक्रमित एक एमबीबीएस के छात्र पवन जायसवाल की मां शोभन जायसवाल ने बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल स्थित कोविड-19 वार्ड की व्यवस्था की पोल खोल दी है। वह अस्पताल में भर्ती अपने बेटे को छुड़वाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाने केंद्रीय कार्यालय के पास पहुंची थी। हालांकि पुलिस ने बैरिकेडिंग के पहले ही उन्हें रोक दिया। यहां पर शोभन ने मीडिया के सामने अपने बेटे की तड़प को बयां किया। वह बार-बार यही कह रही थीं कि उसके बेटे को छोड़ दिया जाए।
गाजीपुर निवासी शोभन ने बताया कि उनका बेटा डीवाई मेडिकल कालेज, पुणे में एमबीबीएस तृतीय वर्ष का छात्र है। उसको अस्थामा की पहले से ही समस्या है। वह होली की छुट्टी पर आया था। इसी बीच लॉकडाउन लग जाने के कारण यहीं पर रूक गया। इस दौरान उसकी तबीयत खराब हुई और जांच में कोरोना पाजिटिव आया तो 17 जुलाई को बीएचयू के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया। छह इंजेक्शन बाहर से मंगाया गया जो चार-चार हजार रुपये का है। इंजेक्शन के लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।
पानी के लिए तड़पता रहा बेटा
हमने बीएचयू को बेस्ट अस्पताल जानकर भर्ती कराया, लेकिन 17 जुलाई को रातभर पानी तक नहीं दिया गया। वह बार-बार फोनकर कह रहा था कि मां, मुझे बचा लो वरना यहां पर जान चली जाएगी। गला सूूख रहा है और पानी भी नहीं मिल रहा है। अब लग रहा है मैं नहीं बच सकूंगा, जल्दी से निकालो। बेटे की इस पीड़ा को बयां करते-करते रोने लगी। यह समस्या लगातार हो रही है। एमएस डा. माथुर से कई बार फोन किया, वाट्सएप पर मैसेज भी किया, कई बार उनके कार्यालय भी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं है। शोभन ने बताया कि इसलिए योगी जी से गुहार लगाने आई हूं।
17 से कार में गुजर रही जिंदगी
शोभन ने बताया कि वह 17 जुलाई से ही कार में अपनी जिंदगी गुजार रही हैं। यहां इसीलिए हूं कि बच्चे के साथ कुछ गलत न हो जाए। कहा, बस मेरा बच्चा चाहिए। मैं घर में ही उसे होम क्वारंटाइन कर उसकी सही से देखभाल कर सकती हूं। कारण कि वार्ड में साफ-सफाई, उपचार की व्यवस्था अधिकारियों की नाकामी के कारण बिगड़ी हुई है। ऐसे में अब बस प्रदेश के मुख्यमंत्री से ही उम्मीद बची है।
बोले अधिकारी
पवन जायसवाल का मामला हमारे संज्ञान में है। अस्तपाल में कुप्रबंधन के आरोप सही नहीं हैं। यहां पर मरीजों का जितना ख्याल रखा जा रहा है उतना कहीं नहीं रखा जाता है। वैसे उसकी मां चाहती हैं कि वह बेटे को घर ले जाएं। जांच के बाद नियमों के पालन के लिए डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। - प्रो. एसके माथुर, चिकित्सा अधीक्षक, एसएस अस्पताल, बीएचयू