Flood In Varanasi : गंगा में बाढ़ का पानी खिसका, अब दूसरी चुनौतियों ने उठाया सिर
धड़कनें बढ़ाते गंगा के जल स्तर ने शनिवार को तटवर्ती इलाके के लोगों को सुकून की सांस लेने का मौका दिया। सुबह से ही लगभग दोगुनी रफ्तार यानी चार सेंटीमीटर प्रतिघंटा घटाव के कारण रात आठ बजे तक जल स्तर 71.40 मीटर पर आ गया।
जागरण संवाददाता, वाराणसी : धड़कनें बढ़ाते गंगा के जल स्तर ने शनिवार को तटवर्ती इलाके के लोगों को सुकून की सांस लेने का मौका दिया। सुबह से ही लगभग दोगुनी रफ्तार यानी चार सेंटीमीटर प्रतिघंटा घटाव के कारण रात आठ बजे तक जल स्तर 71.40 मीटर पर आ गया। यह शुक्रवार रात आठ बजे 72.10 मीटर पर था और घटाव की दर दो सेंटीमीटर प्रतिघंटा थी। केंद्रीय जल आयोग की ओर से रविवार रात आठ बजे तक 70.78 मीटर तक यानी खतरे के निशान से नीचे उतरने का अनुमान लगाया जा रहा है। वास्तव में गंगा के जल स्तर गुरुवार रात से ही स्थिर हो गया था। दूसरे ही दिन से गिरावट दर्ज की जाने लगी। शनिवार सुबह छह बजे जल स्तर 71.95 मीटर पर आया तो निरंतर गिरता ही गया। इससे वरुणा तटवर्ती मोहल्लों से भी पानी सरकने लगा। हालांकि, इससे कीचड़ और खाली प्लाटों में जलजमाव से संक्रामक रोगों की चिंता सिर पर आ खड़ी हुई। डेंगू के खतरे की ओर बढ़ रहे शहर में इस हाल ने नगर निगम, जलकल व स्वास्थ्य विभाग की चुनौती भी बढ़ा दी है।
सैकड़ो एकड़ सब्जियां लील गई बाढ़ : बाढ़ का पानी उतर रहा हो लेकिन गंग तटीय सब्जी उत्पादक गांवों में करोड़ों रुपये की सब्जियां सड़ कर गल गई हैं। खेतों में सिर्फ बांस-बल्लियां ही दिख रही हैं। रमना, टिकरी, तारापुर, डंगरी व मुड़ाडीह के साथ ही ढाब क्षेत्र के कई गांवों में हर साल करोड़ों रुपये की सब्जियाें का उत्पादन होता है। इसमें सेम, नेनुआ, करैली की बड़े पैमाने पर खेती की जाती है। पूरी तरह खेती पर निर्भर किसानों की आय का यही मुख्य आधार है। रमना की कलावती व विजय विश्वास बताते हैं कि पूरे क्षेत्र में लगभग 20 हजार बीघे में सब्जी की खेती की जाती है। इससे करोड़ों रुपये की आमदनी होती है। राकेश बताते हैं कि गुलाब की खेती एक बीघे में की थी। लागत डेढ़ लाख लगी थी। इस खेती से कम से कम छह लाख आय का अनुमान था। गनेश पटेल ने दो बीघे में 70 हजार की लागत से सेम व नेनुआ लगा रखा था। उन्हें तीन लाख की आय का अनुमान था, लेकिन सबकुछ नष्ट हो गया। पप्पू पटेल बताते हैं कि अभी तक प्रशासन का एक भी अधिकारी बाढ़ की समस्या जानने के लिए नहीं आया। सरकारी लाभ मिलने की बात ही दूसरी है। इतनी बड़ी आबादी में एक दिन एक ट्रली भूसा आया था जिसे कुछ लोग ही ले सके।
तिरपाल टांगकर गुजार रहे हैं रात-दिन : बाढ़ के कारण तारापुर, वैष्णवनगर, टिकरी, गड़वाघाट व बनपुरवा में कई ऐसे परिवार हैं जो तिरपाल टांगकर दिन-रात गुजारने के मजबूर हैं। समस्याएं अपार हैं, लेकिन बाढ़ के पानी को घटता देखकर जल्द घर जाने की उम्मीदें संजाए हुए हैं। कुछ किसान बर्बाद फसल को बचाने में लगे हुए हैं। इसके साथ ही खेतों से पानी हटने के साथ दोबारा सब्जी की खेती करने का मन बनाया है।
ज्ञानप्रवाह नाला से समस्या जस की तस : मारुतिनगर कालोनी में ज्ञानप्रवाह नाला के जरिए आए बाढ़ के पानी से लोगों का जीवन प्रभावित हुआ है। हालांकि पानी के लगातार घटाव के चलते परेशानियां कम हुई हैं।