...तो एफडी व एनएससी के लिए वाराणसी के जल निगम कार्यालय से गायब हुईं फाइलें
महत्वपूर्ण बात बैंक की एफडी व एनएससी से संबंधित है जिसको लेकर वाराणसी के जल निगम कार्यालय से फाइलें गायब करने की आशंका जताई जा रही है।
वाराणसी, [विनोद पांडेय]। जल निगम कार्यालय के गायब फाइलों को लेकर असमंजस कायम है। इसके पीछे की सटीक वजह का पता मंगलवार को भी नहीं पता चल सका। पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है। फिलहाल, फाइलों के गायब होने की बात विभागीय अफसरों व कर्मियों को मालूम होने के बाद कई आशंकाएं जाहिर हो रही हैं। महत्वपूर्ण बात बैंक की एफडी व एनएससी से संबंधित है जिसको लेकर फाइलें गायब करने की आशंका जताई जा रही है।
खुले पड़े पाइपों के ऊपर बन गई सड़क, ठीकेदारों को हो गया भुगतान
सिस वरुणा यानी पुराने शहर में नई पेयजल योजना के क्रियान्वयन में किस कदर धांधली हुई है, इसका अंदाजा इससे ही लगाया जा सकता है कि 700 करोड़ की परियोजना में 227 करोड़ रुपये से पाइप लाइन व 17 ओवरहेड टंकी बनानी थी। पेयजल परियोजना की देखरेख के लिए जल निगम ने वाराणसी में कोई नोडल एजेंसी ही नहीं बनाई गई। काम को 1200 टुकड़ों में काटकर 300 ठीकेदारों में बांट दिया गया। हर ठीकेदार ने अपने हिस्से की पाइप लाइन डाली लेकिन पाइपों को आपस में किसी ने नहीं जोड़ा। ऐसे ही खुले पड़े पाइपों के ऊपर सड़क बन गई और ठीकेदारों को भुगतान हो गया। प्रोजेक्ट मैनेजर आरपी पांडेय सहित कई अधिकारियों का तबादला भी हो गया। इसके बाद जब मामला खुला तो आरपी पांडेय को जिम्मेदार मानकर फिर मुरादाबाद से वाराणसी ट्रांसफर किया गया। उनका जिम्मा पाइप लाइनों को जोडऩे का था लेकिन इसके लिए पैसा नहीं था। बताया जा रहा है कि आरपी पांडेय ने अनियमित ढंग से अन्य योजनाओं का पैसा इस काम में लगाया, तब भी पाइप लाइन के लीकेज दूर नहीं हुए।
जांच में ठीेकेदारों के बांड मिले गायब
सूत्र बताते हैं कि शासन स्तर से हुई जांच में कई दस्तावेज गायब मिले थे। इसमें ठीकेदारों का बांड भी शामिल था। हालांकि, जल निगम ने दावा किया था कि ठीकेदारों की जमानत राशि एफडी व एनएससी जमा किया गया है। आशंका है कि इसको लेकर ही फाइलों को गायब किया गया। इन फाइलों में करीब 50 से अधिक एफडी व एनएससी के बांड जमा हैं जबकि करीब 300 ठीकेदारों ने काम किया है।
अधिशासी अभियंता के हस्ताक्षर, बिना बांड का नहीं होगा भुगतान
अब रजिस्टर से फाइलों का मिलान होगा। इसके लिए मंगलवार को निर्णय लिया गया। सहायक अभियंता कुलदीप प्रजापति की निगरानी में यह कार्य हो रहा है। कुलदीप का कहना है कि रजिस्टर से मिलान कर गायब बांडों की सूची संबंधित बैंक व अन्य वित्तीय संस्थानों को दी जाएगी ताकि गायब बांड की दूसरी प्रति मिल सके। बताया कि बिना अधिशासी अभियंता के बांड का भुगतान नहीं हो सकता है। यदि भुगतान हुआ भी तो बांड के ओनर के खाते में ही धनराशि जाएगी जिससे आरोपित तक पहुंचना संभव हो सकेगा।