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रेल की रफ्तारः देश को अब पर्यावरण ट्रैक की संजीवनी, घटेंगी ग्लोबल स्तर की मुश्किलें

रेलवे अब पर्यावरण ट्रैक पर भी रफ्तार से दौड़ लगाएगी। देश भर में कागजों पर होने वाले आदेश-निर्देश पर रोक लगा दिया गया है।

By Nawal MishraEdited By: Published: Sat, 10 Nov 2018 10:46 PM (IST)Updated: Sat, 10 Nov 2018 10:46 PM (IST)
रेल की रफ्तारः देश को अब पर्यावरण ट्रैक की संजीवनी, घटेंगी ग्लोबल स्तर की मुश्किलें
रेल की रफ्तारः देश को अब पर्यावरण ट्रैक की संजीवनी, घटेंगी ग्लोबल स्तर की मुश्किलें

चंदौली (राकेश श्रीवास्तव)। रेलवे अब पर्यावरण ट्रैक पर भी रफ्तार से दौड़ लगाएगी। देश भर में कागजों पर होने वाले आदेश-निर्देश पर रोक लगा दिया गया है। रेलवे बोर्ड से लेकर रेल जोन स्तर पर आदेश आफीसियल ई-मेल पर जारी किए जाएंगे। आदेश-निर्देश को जानने एवं उसे अमल में लाने को नियमित अपडेट रहने को कहा गया है। मंत्रालय के इस आदेश से रोजाना हजारों आदेशों को समेटने वाले लाखों पन्ने बचाए जा सकेंगे। पर्यावरण की दुश्वारियों से जूझ रहे देश को संजीवनी भी मिल सकेगी।

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यूं मिलेगी देश को पर्यावरण की संजीवनी

भारतीय रेल को देश में लाइफ लाइन कहा जाता है। विश्व में किसी देश के पास इतना बड़ा नेटवर्क नहीं है। ऐसे में इसके सफलता पूर्वक संचालन को रोजाना ही हजारों आदेश जारी किए जाते हैं। मसलन, रेल मंत्रालय, रेलवे बोर्ड, रेल जोन एवं रेल मंडल...इत्यादि स्तरों पर। रोजाना लाखों पन्ने इसमें खर्च होते हैं। चूंकि कागजों के श्रोत पेड़ होने से डिमांड घटते ही हरियाली बढ़ेगी, जिसका सीधा असर पर्यावरण की संजीवनी के रूप में सामने आयेगा।

व्यवस्था में यह हुआ बदलाव

रेलवे की रफ्तार को पटरी पर बनाए रखने को जारी होने वाले आदेश निर्देशों की सॉफ्ट एवं हार्ड दोनों कॉपी तैयार होती थी। नई व्यवस्था में सिर्फ सॉफ्ट कॉपी ही जारी होगी। ऐसा करने से आदेश त्वरित अमल में लाए जा सकेंगे। हार्ड कॉपी पहुंचने में लगने वाला समय जाया नहीं होने पाएगा। सोच का शतप्रतिशत लाभ उठाने के लिए सभी को आफीसियल ईमेल पर चारो पहर अपडेट रहना पड़ेगा।

करोड़ों रुपये बचाए जा सकेंगे

रेल मंत्रालय एवं रेलवे बोर्ड के ज्वाइंट सेक्रेटरी एच मोहराना के आदेश से रेलवे को करोड़ों रुपये राजस्व की बचत होगी। भारत सरकार भी ग्लोबल स्तर पर पर्यावरण की मीटिंग में अपने सकारात्मक प्रयास को गिना भी सकेगा। मसलन पौधरोपण के राष्ट्रीय अभियान के साथ पेड़ों की कटान कम होने का बड़ा परिवर्तन दिखेगा।  


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