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पीएम नरेंद्र मोदी का जनसंपर्क कार्यालय बेचने के मामले में मुख्‍य आरोपित की जमानत अर्जी निरस्‍त

Public relations office of PM Narendra Modi पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यालय के विक्रय का वाणिज्यिक वेवसाइट ओएलएक्स पर विज्ञापन देने के मामले में अदालत ने मुख्य आरोपित लक्ष्मीकांत ओझा की जमानत अर्जी सुनवायी के बाद अदालत ने आखिरकार निररस्त कर दी।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2021 05:10 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2021 06:21 PM (IST)
आरोपित लक्ष्मीकांत ओझा की जमानत अर्जी सुनवायी के बाद अदालत ने आखिरकार निररस्त कर दी।

वाराणसी, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का वाराणसी में संसदीय कार्यालय को आनलाइन बेचने के मुख्‍य आरोपित की शनिवार को वाराणसी की अदालत में सुनवायी थी। पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यालय के विक्रय का वाणिज्यिक वेवसाइट ओएलएक्स पर विज्ञापन देने के मामले में अदालत ने मुख्य आरोपित लक्ष्मीकांत ओझा की जमानत अर्जी सुनवायी के बाद अदालत ने आखिरकार निररस्त कर दी।

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अदालत ने आदेश में कहा कि उक्त संपत्ति का ओएलएक्स पर विक्रय के लिए विज्ञापन देने की कार्यवाही उसने स्वयं की थी। जबकि न तो वह भवन स्वामी है और न ही उसे प्राधिकृत किया गया है। ऐसे में उसे जमानत पर रिहा करने का पर्याप्त आधार नहीं है। आरोपित कई उच्च शिक्षण संस्थानों में बतौर रीडर नियुक्त रहा है। उसके जमानत का विरोध अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी आलोक चंद्र शुक्ला व विनय कुमार सिंह ने किया।अभियोजन पक्ष के अनुसार उपनिरीक्षक प्रकाश सिंह ने 18 दिसम्बर 2020 को भेलूपुर थाने में सरायनंदन,खोजवां निवासी लक्ष्मीकांत ओझा के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज कराया था।

आरोप था कि 17 दिसम्बर को विभिन्न समाचार पत्रों व व्हाट्सएप न्यूज ग्रुप में प्रकाशित समाचार से पता चला कि भेलूपुर थाना क्षेत्र के जवाहर नगर, गुरुधाम कॉलोनी में स्थित प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय को लक्ष्मीकांत ओझा नामक व्यक्ति द्वारा कूटरचित दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी की नियत से प्रधानमंत्री कार्यालय को सात करोड़ 50 लाख रुपये में बेचने के लिए कार्यालय का फोटोग्राफ बनाकर वाणिज्यिक वेवसाइड ओएलएक्स नामक एप्लिकेशन पर बोली लगाई गई है। इससे प्रधानमंत्री भारत सरकार की छवि धूमिल हो रही है। इस मामले में पुलिस ने आरोपित लक्ष्मीकांत ओझा को गिरफ्तार कर लिया।

जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से दलील दी गई कि आरोपित ने पूछताछ में पुलिस को बताया था कि उसने ही अपने साथियों नवाबगंज (दुर्गाकुंड) निवासी जितेंद्र कुमार वर्मा, सरायनन्दन खोजवां निवासी बाबूलाल पटेल व मनोज कुमार यादव के साथ मिलकर उक्त प्रधानमंत्री के संसदीय कार्यालय को बेचने के लिए ओएलएक्स पर फोटोग्राफ डाली थी। जबकि वह न तो भवन स्वामी है और न ही भवन स्वामी ने भी ऐसा करने के लिए उससे कहा था। इसके बावजूद भी आरोपित ने निजी लाभ के लिए अपने निजी आईडी से ऐसा विज्ञापन दिया था। वहीं बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि ओएलएक्स पर जो विवरण डाला गया था वह पुराने प्रधानमंत्री जनसंपर्क कार्यालय का है जो कि इस वक्त रिक्त है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने तथा पत्रावलियों का अवलोकन के बाद अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कर दिया। पुलिस ने इस मामले में उक्त तीनों आरोपितों को भी 18 दिसम्बर को गिरफ्तार किया था। बाद में तीनों को जमानत मिल गई।

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दिसंबर माह में पीएम नरेंद्र मोदी के वाराणसी के संसदीय जनसंपर्क कार्यालय को ओएलएक्‍स वेबसाइट पर बेचने के लिए पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में लिया था। पीएम मोदी से जुड़ा मामला होने की वजह से आनन फानन सक्रिय हुई पुलिस ने पहले ओएलएक्‍स से यह विज्ञापन हटा दिया और जांच शुरू की तो चार लोगों की संलिप्‍तता उजागर हुई थी। चार लोगोंं की संलिप्तता उजागर होने के बाद पुलिस ने उनको अगले ही दिन हिरासत में ले लिया था।

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ओएलएक्‍स के ऑनलाइन पोर्टल पर साढ़े सात करोड़ में भेलूपुर के गुरुबाग स्थित जवाहर नगर कार्यालय की अलग अलग एंगल से चार तस्‍वीरें विक्रेता द्वारा अपलोड कर बेचने के लिए डाली गई थी। इससे संबंधित जानकारी वायरल होने के बाद सक्रियता दिखाते हुए पुलिस ने चार लोगों को हिरासत में लिया था। जिनमें से तीन लोगों की जमानत हो चुकी है जबकि एक अन्‍य मुख्‍य आरोपित जमानत के लिए प्रयासरत था। जिसकी शनिवार को सुनवायी थी मगर, अदालत ने उसकी जमानत खारिज कर दी।

बीते वर्ष बदला था पता : रवींद्रपुरी में पीएम का संसदीय कार्यालय पहले बनाया गया था जो बीते वर्ष जवाहरनगर एक्‍सटेंशन में कांट्रैक्‍ट पूरा होने के बाद स्‍थानांतरित हो गया था। वर्ष 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में एक कार्यालय की आवश्‍यता हुई तो इसे रवींद्रपुरी में खोला गया था।


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