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गाजीपुर में कांवेन्ट छोड़कर दस हजार छात्रों ने परिषदीय स्‍कूल में लिखाया नाम, घटती कमाई व बढ़ती महंगाई का असर

नए तरीके से पढ़ाई और सुविधाएं बढ़ने से अब परिषदीय विद्यालयों भी अभिभावकों को आकर्षक लगने लगे हैं। अब परिषदीय विद्यालयों में बच्चों का नामांकन बढ़ने लगा है। पिछले कुछ महीनों में जनपद में 10 हजार बच्चों ने कांवेन्ट स्कूलों से नाम कटवा कर परिषदीय स्‍कूलों में दाखिला लिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 07:52 PM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 07:52 PM (IST)
गाजीपुर में कांवेन्ट छोड़कर दस हजार छात्रों ने परिषदीय स्‍कूल में लिखाया नाम, घटती कमाई व बढ़ती महंगाई का असर
नए तरीके से पढ़ाई और सुविधाएं बढ़ने से अब परिषदीय विद्यालयों भी अभिभावकों को आकर्षक लगने लगे हैं।

जागरण संवाददाता, गाजीपुर। नए तरीके से पढ़ाई और सुविधाएं बढ़ने से अब परिषदीय विद्यालयों भी अभिभावकों को आकर्षक लगने लगे हैं। अब परिषदीय विद्यालयों में बच्चों का नामांकन बढ़ने लगा है। पिछले कुछ महीनों में जनपद में 10 हजार बच्चों ने कांवेन्ट स्कूलों से नाम कटवा कर परिषदीय स्‍कूलों में दाखिला लिया है। इसका एक और कारण दिन प्रतिदिन दिन लोगों की घटती कमाई और लगातार बढ़ती महंगाई भी है। इसका असर अब बच्चों की पठन-पाठन पर भी दिखने लगा है। आर्थिक रूप से कमजोर हो चुके बहुत से परिवार  प्राइवेट स्कूलों का भारी-भरकम खर्च उठाने के हाल में नहीं हैं। इससे बेहतर वह अपने बच्चों को परिषदीय विद्यालयों में ही भेजने लगे हैं। इससे बेसिक शिक्षा विभाग काफी उत्साहित है।

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जिले में 2267 परिषदीय विद्यालय संचलित हो रहे हैं। इसमें से चार सौ से अधिक कंपोजिट विद्यालय हैं। परिषदीय विद्यालयों में ज्यादातर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चे पढ़ते हैं। अगर कोई परिवार जरा सा भी आर्थिक रूप से संपन्न है तो वह अपने बच्चों को निजी स्कूलों में ही भेजता है। निजी स्कूल अपने यहां आधुनिक तकनीक व शिक्षा व्यवस्था लागू करने, चमचमाती बिल्डिंग, स्कूल वाहन व टिप-टाप व्यवस्था दिखाकर बच्चों व अभिभावकों को आर्किषत करने में सफल हो जाते हैं, लेकिन कोरोना काल के दौरान उनकी पोल खुलने लगी है। उनकी आनलाइन शिक्षा व्यवस्था देखकर अभिभावक यह महसूस करने लगे हैं कि निजी स्कूलों में केवल टिप-टाप है, पढ़ाई उस स्तर की नहीं जैसा दिखाया जाता है।

ऊपर से आनलाइन पढ़ाई के नाम पर पूरी फीस भी भरने का दबाव निजी स्कूल वालों बना रहे हैं। अब फिर से स्कूल खुल गए हैं और निजी स्कूल संचालक आए दिन फोन कर अभिभावकों पर फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों का मन अब कांवेन्ट स्कूलों से उचटने लगा है। उन्हें लगने लगा है कि परिषदीय विद्यालयों में प्रशिक्षित शिक्षक हैं और निजी स्कूलों से बेहतर तरीके से पढ़ा भी रहे हैं। फीस भी नहीं लगनी है।

फैक्ट फाइल

- जिले में परिषदीय विद्यालय : 2269

- जिले में कंपोजिट परिषदीय विद्यालय : 450

- पिछले वर्ष परिषदीय विद्यालयों में पंजीकृत बच्चे : 2.80 लाख

- इस वर्ष परिषदीय विद्यालयों में पंजीकृत बच्चे : 2.90 लाख

सभी स्कूलों में बढ रहे बच्चे

हमारे यहां प्रशिक्षित शिक्षक हैं जो बच्चों को आधुनिक विधा से पढ़ा रहे हैं। पहले की अपेक्षा परिषदीय विद्यालयों में सुविधाएं काफी बढ़ गई हैं। इससे बच्चे व अभिभावक परिषदीय विद्यालय की ओर आकर्षित होने लगे हैं। अब कांवेन्ट के मोह में फंसे अभिभावकों का मन वहां से उचटने लगा है। सभी परिषदीय स्कूलों में बच्चे बढ़ रहे हैं। अब तक लगभग 10 हजार से अधिक बच्चों ने कांवेन्ट से नाम कटा कर परिषदीय स्कूल में दाखिला लिया है। यह संख्या हर दिन बढ़ रही है। 30 सितंबर तक यह आकड़ा 30 हजार के पार चला जाएगा। - हेमंत राव, बीएसए।


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