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सोनभद्र में 15 मई से शुरू होगा तेंदू पत्ते को तोड़ने का कार्य, आदिवासी लोगों के लिए आय का प्रमुख साधन

देश के कई राज्यों में यहां के पत्ते से बीड़ी बनाने का काम किया जाता है। सीजन शुरू होने के साथ ही वन निगम ने रेणुकूट वन प्रभाग को इस बार एक लाख पच्चीस हजार बोरा तेंदू पत्ता तोड़ने का लक्ष्य शासन से मिला है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 10 May 2021 04:50 PM (IST)Updated: Mon, 10 May 2021 04:50 PM (IST)
सोनभद्र में 15 मई से शुरू होगा तेंदू पत्ते को तोड़ने का कार्य, आदिवासी लोगों के लिए आय का प्रमुख साधन
इस बार एक लाख पच्चीस हजार बोरा तेंदू पत्ता तोड़ने का लक्ष्य शासन से मिला है।

सोनभद्र, जेएनएन। झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, बिहार की सीमाओं से लगा उत्तर प्रदेश के सोनभद्र की एक पहचान तेंदू पत्ता भी है। देश के कई राज्यों में यहां के पत्ते से बीड़ी बनाने का काम किया जाता है। सीजन शुरू होने के साथ ही वन निगम ने रेणुकूट वन प्रभाग को इस बार एक लाख पच्चीस हजार बोरा (पत्तों को एक निर्धारित माप वाले बोरे) तेंदू पत्ता तोड़ने का लक्ष्य शासन से मिला है। विभागीय सूत्रों की माने तो इस बार का लक्ष्य का पचास फीसद भी हासिल करना किसी बड़े चमत्कार से कम नहीं होगा। निगम कर्मियों की भारी कमी के साथ कोरोना की महामारी मुख्य वजह इसके पीछे बताई जा रही है।

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शासन द्वारा निर्धारित लक्ष्य के तेंदू पत्ता का तुड़ान आगामी 15 मई से शुरू कराने के लिए वन निगम द्वारा इन दिनों तैयारियां की जा रही है। जिससे सरकारी राजस्व में इजाफा के साथ वनवासियों-आदिवासियों को कोरोना काल में रोजगार का इंतजाम किया जा सके। तेंदू पत्ता के महज पखवारे भर के सीजन में हजारों मजदूर अपने कुनबे के साथ पत्ता तोड़ने में लग जाते है। इससे होने वाली आय से वह परिवार के शादी, विवाह, मकान की टूट-फुट, जमीन क्रय आदि जैसे ठोस कार्य को अंजाम देते है। इसके लिए स्थानीय के साथ बाहरी श्रमिकों की टोली भी क्षेत्र के जंगलों में डेरा जमा लेती है। बीते कई वर्षों से देखा जा रहा है कि बैंक खाते के जरिए हाड़ तोड़ मेहनत की भुगतान के कारण जहां बिचौलियों का पत्ता कट गया, वहीं भुगतान की लेट लतीफी के कारण मजदूर भी इससे विमुख होने लगे। मजदूरों की इच्छा शक्ति कम होने का सीधा असर बीते साल के सीजन में देखने को मिला था। पिछले साल लक्ष्य के सापेक्ष महज 40 फीसद ही पत्ते का तुड़ान हो पाया था।

लक्ष्य प्राप्त करना रहेगी प्राथमिकता

प्रभागीय लौंगिग प्रबंधक विपणन आर श्रीनिवास राव ने बताया कि शासन द्वारा इस बार तेंदूपत्ता का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसे हासिल करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। आगामी 15 मई से पत्ता का तुड़ान शुरू कराने की तैयारी चल रही है। प्रभाग में मूलरूप से बचे 15 फीसद के साथ गैर जनपदों से अब तक महज करीब साठ फीसद कर्मियों ने ही रिपोर्ट किया है। उसमें से अधिकतर की तबियत खराब होने की सूचना मिल रही है। कर्मियों एवं मजदूरों को इस कोरोना काल में विशेष सुविधा देने के लिए शासन को पत्र भेजा गया है।

क्या है मानक बोरा

पचास पत्ते की एक गड्डी बनाई जाती है, जिसके हिसाब से श्रमिकों को भुगतान किया जाता है। एक हजार गड्डी पत्ते को एक बोरे में रखा है, जो एक मानक बोरा कहा जाता है।


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