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वर्ष के अंतिम खग्रास सूर्यग्रहण पर बरतें यह सावधानी, इन धार्मिक कार्यों को न करें नजरअंदाज

ज्‍योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि सूतक काल के आरंभ होने के पूर्व मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं। सूतक काल में हास्य विनोद मनोरंजन शयन भोजन देवी देवता की मूर्ति या विग्रह का स्पर्श करना व्यर्थ वार्तालाप अकारण वाद विवाद करना वर्जित माना गया है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 12 Dec 2020 12:43 PM (IST)Updated: Sat, 12 Dec 2020 12:43 PM (IST)
वर्ष के अंतिम खग्रास सूर्यग्रहण पर बरतें यह सावधानी, इन धार्मिक कार्यों को न करें नजरअंदाज
ज्‍योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि सूतक काल के आरंभ होने के पूर्व मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं।

वाराणसी, जेएनएन। कोरोना संक्रमण काल के साए में बीत रहे वर्ष 2020 का अंतिम ग्रहण खग्रास सूर्यग्रहण मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष अमावस्या 14 दिसंबर सोमवार को दिखाई देगा। यह ग्रहण ज्‍येष्‍ठा नक्षत्र वृश्चिक राशि पर लगेगा। जिसकी वजह से वृश्चिक राशि विशेष रूप से प्रभावित होगी। जिनका जन्म वृश्चिक राशि एवं ज्‍येष्‍ठा नक्षत्र में है उनके लिए यह ग्रहण शुभ फलदाई नहीं है। जिन्हें हर पक्ष में विशेष सावधानी रखनी चाहिए।

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ख्यात ज्योतिषााचार्य विमल जैन ने बताया कि ग्रहण का स्पर्श काल भारतीय मानक समय के अनुसार 14 दिसंबर सोमवार को रात्रि 7:03 पर ग्रहण स्पर्श होगा। ग्रहण का मध्य 9:46 पर, ग्रहण का मोक्ष काल रात्रि 12:30 पर होगा। ग्रहण की अवधि 9 घंटा 19 मिनट की होगी। यह ग्रहण भारत में अदृश्य है जिसके फलस्वरूप स्नान दान एवं सूतक का मान्य नहीं है। सूर्य ग्रहण दक्षिण अमेरिका के मध्य भाग में अर्जेंटीना तथा अफ्रीका दक्षिण भाग स्थित अंगोला नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका एवं अटलांटिक महासागर में भारतीय मानक समय अनुसार 14 दिसंबर को रात्रि 7:30 से रात्रि 12:30 के बीच होगा। अलग-अलग सूर्य ग्रहण के मान के अनुसार ही मंदिरों के कपाट बंद होते हैं। 

ज्‍योतिषाचार्य विमल जैन ने बताया कि सूतक काल के आरंभ होने के पूर्व मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं। सूतक काल में हास्य विनोद, मनोरंजन, शयन, भोजन, देवी देवता की मूर्ति या विग्रह का स्पर्श करना, व्यर्थ वार्तालाप, अकारण वाद विवाद करना वर्जित माना गया है। इस काल में यथासंभव मौन व्रत रहते हुए अपने दैनिक जरूरी कार्यों को संपन्न करना चाहिए। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण देखना पूर्णतया वर्जित है। बालक, वृद्ध एवं रोगी पथ्‍य एवं दवा ग्रहण कर सकते हैं। भोजन दूध व जल की शुचिता के लिए उसमें तुलसी के पत्ते रखना चाहिए। यथासंभव एकांत स्थान पर अपने आराध्य देवी देवता को स्मरण करके मंत्र का जाप करना चाहिए तथा ग्रहण मोक्ष के पश्चात स्नान उपरांत देव दर्शन करके यथा संभव दान करना चाहिए।  


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