बोले- शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती, विवादित स्थल ही श्री राम लला का जन्म स्थल
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने केदार घाट स्थित श्री विद्यामठ में अयोध्या में बनने वाले भगवान राम के मंदिर के प्रतीक मॉडल का शिलान्यास किया।
वाराणसी, जेएनएन। ज्योतिष व द्वारकाशारदा पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने गुरुवार दोपहर वाराणसी में केदार घाट स्थित श्री विद्यामठ में अयोध्या में बनने वाले भगवान राम के मंदिर के प्रतीक मॉडल का शिलान्यास किया। प्रतीक मॉडल के शिलान्यास के दौरान लोगों ने जय श्री राम के नारे लगाते हुए मंदिर के निर्माण का संकल्प लिया। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए 21 फरवरी को शिलान्यास करने की घोषणा पूर्व में ही कर चुके थे। इसके तहत 17 फरवरी को प्रयाग से रामाग्रह यात्रा निकलनी थी। मगर यात्रा रद होने के बाद पूर्व में तय समय के अनुसार ही गुरुवार को प्रतीकात्मक तौर पर आयोजन को काशी स्थित श्री विद्या मठ में पूरा किया गया।
दरअसल पूर्व में शंकराचार्य मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या जाने की तैयारी में थे मगर आतंकी हमला और स्वास्थ्य को देखते हुए उनहोंने इसे रद कर दिया था। इससे बाद गुरुवार को पूर्व में तय कार्यक्रम के अनुसार वाराणसी में केदार घाट स्थित श्री विद्या मठ में शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती व स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भगवान श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रतीक शिलान्यास किया। इस दौरान साधु संतों का श्री विद्या मठ में जमावड़ा भी रहा और लोगों ने राम मंदिर निर्माण का संकल्प भी दोहराया। काशी में राम मंदिर को लेकर शिलान्यास के इस प्रतीकात्मक आयोजन के साथ ही लोकसभा चुनाव में राम मंदिर मुददा अब भी बरकरार है।
ज्योतिष एवं द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने अयोध्या में होने वाले राम मंदिर के प्रतीक (मॉडल) का शिलान्यास गुरुवार दोपहर केदार घाट स्थित श्रीविद्यामठ में किया। शंकराचार्य ने चांदी की चार नन्दा, भद्रा, जया एवं पूर्णा शिलाओं द्वारा अयोध्या स्थित राम लला के 67 एकड प्लाट के नक्शे पर शिलान्यास किया। पुलवामा में हुई आतंकी घटना में शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए शंकराचार्य ने अयोध्या शिलान्यास के कार्यक्रम को स्थगित कर दिया था। इस अवसर पर शंकराचार्य ने कहा कि जो विवादित स्थल है वही श्री राम लला का जन्म स्थल है। ऐसे में मंदिर वहीं बनेगा। वरना देश में तो हजारों ऐसी जगह है जहां राम मंदिर बनाया जा सकता है और हजारों राम मन्दिर देश मे हैं लेकिन महत्व रामजन्म भूमि का है। अतः मन्दिर वही बनेगा। उन्होंने कहा कि हमे हमारे आराध्य भगवान् राम का मंदिर बनाना है न कि महापुरुष राम का पुतला बनाना है।
तीन अन्य स्थानों का भी हुआ शिलान्यास : शंकराचार्य द्वारा स्पर्श की गयी शिलाओं के द्वारा उनके शिष्य प्रतिनिधि दण्डी स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती ने वेद सेवालाय, बद्रीनाथ मन्दिर एवं श्रीशंकराचार्य वृद्ध सेवालाय का भी शिलान्यास किया। आचार्य पं वीरेश्वर दातार के आचार्यत्व में सविधि शिलान्यास कार्यक्रम आयोजित किया गया ताकि ये लोकोपयोगी निर्माण चिरस्थायी बने रहे। महाराज, स्वामी सदाशिव ब्रम्हेन्द्रानंद सरस्वती जी, श्रीमहंत महाराजमणिशरण सनातन जी, धारानन्द ब्रह्मचारी जी, शारदानंद ब्रम्हचारी, मुरारी स्वरूप ब्रम्हचारी, रामानंद ब्रम्हचारी, कैवल्यानंद ब्रम्हचारी जी, साध्वी शारदाम्बा, साध्वी पूर्णाम्बा सहित भारी संख्या में सन्त व भक्त उपस्थित रहे।