बच्चों में बल और बुद्धि को बढ़ाता है स्वर्ण प्राशन, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चौकाघाट में लगा शिविर
आयुर्वेद कालेज में स्वर्णप्राशन प्रत्येक माह पुष्य नक्षत्र की तिथि में किया जाता है। इस बार यह तिथि चार सितंबर को थी। सुबह नौ बजे से ही अभिभावक बच्चों को लेकर लाइन में लग गए थे। दस बजे से दाेपहर दो बजे तक कुल 256 बच्चों को खुराक दी गई।
वाराणसी, जागरण संवाददाता। स्वर्ण प्राशन न केवल बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को दुरुस्त करता है, बल्कि स्मरण शक्ति एवं बुद्धि को भी बढ़ाता है। यह सामान्य एवं जटिल रोगों को होने की आशंका को भी कम करता है। संक्रमण की आशंका को देखते हुए राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय-चौकाघाट में शनिवार को शिविर लगाया गया, जिसमें जन्म से 16 वर्ष तक के बच्चों को स्वर्ण प्राशन की खुराक दी गई।
आयुर्वेद कालेज में स्वर्ण प्राशन प्रत्येक माह पुष्य नक्षत्र की तिथि में किया जाता है। इस बार यह तिथि चार सितंबर को थी। सुबह नौ बजे से ही अभिभावक बच्चों को लेकर लाइन में लग गए थे। दस बजे से दाेपहर दो बजे तक कुल 256 बच्चों को खुराक दी गई। स्वर्ण प्राशन न केवल रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, बल्कि शरीर में अनेक प्रकार के विषैले पदार्थों को भी दूर करता है। कालेज की प्राचार्य प्रो. नीलम गुप्ता ने बताया कि पुष्य नक्षत्र में बच्चों को स्वर्ण प्राशन की तीन व छह बूंदें पिलाई जाती हैं, जिसके आधा घंटा बाद तक उन्हें आहार नहीं दिया जाता है।
संक्रमण की आशंका और मौसमी बीमारियों को देखते हुए यह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हितकर है। शिविर का आयोजन कौमारभृत्य (बालरोग) विभाग के डा. आशीष कुमार गराइ, डा. अश्विनी कुमार गुप्ता व डा. रुचि तिवारी की ओर से किया गया था। अब अगले शिविर का आयोजन एक अक्टूबर को किया जाएगा, जिसमें 16 वर्ष तक के बच्चों को निश्शुल्क स्वर्ण प्राशन की खुराक दी जाएगी।
क्या है स्वर्ण प्राशन संस्कार : यह आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में वर्णित ऐसी विधि है, जो प्राकृतिक तरीके से बच्चों में स्वास्थ्य एंव बुद्धिमता प्रदान करती है। स्वर्ण प्राशन का मतलब है, स्वर्ण को शहद, घी के साथ या अन्य द्रव्यों के साथ बच्चों को देना है। इयमेकं बच्चों के अनुसार स्वर्ण को बहुत सूक्ष्म या बारीक किया जाता है।
अगला स्वर्णप्राशन कैंप : अक्टूबर 01, अक्टूबर 29, नवंबर 25, दिसंबर 22।