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Swachh Bharat Mission : साधनों की मनमाने खरीद पर शासन का शिकंजा, वाराणसी पर नगर निगम समेत निकायों में गठित होगी समिति

Swachh Bharat Mission मनमाने संसाधनों की खरीद को लेकर शासन ने शिकंजा कसा है। इसके लिए जनपद स्तर की समिति गठित करने का आदेश जारी हुआ है। इसमें नगर निगम के लिए अगल समिति बनाई जाएगी तो नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत के लिए अलग समिति होगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 13 Sep 2021 06:50 AM (IST)Updated: Mon, 13 Sep 2021 07:18 PM (IST)
Swachh Bharat Mission : साधनों की मनमाने खरीद पर शासन का शिकंजा, वाराणसी पर नगर निगम समेत निकायों में गठित होगी समिति
वाराणसी में नगर निगम समेत निकायों में गठित होगी समिति

जागरण संवाददाता, वाराणसी। स्वच्छ भारत मिशन में मनमाने संसाधनों की खरीद को लेकर शासन ने शिकंजा कसा है। इसके लिए जनपद स्तर की समिति गठित करने का आदेश जारी हुआ है। इसमें नगर निगम के लिए अगल समिति बनाई जाएगी तो नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत के लिए अलग समिति होगी।

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बीते दिनों मुख्य सचिव उप्र की अध्यक्षता में गठित स्वच्छ भारत मिशन की राज्य स्तरीय उच्चाधिकार संचालन समिति में यह निर्णय लिया गया। इस आशय का आदेश स्थानीय निकाय को प्राप्त हो गया है। नगर निगम की समिति में कमिश्नर अध्यक्ष होंगे तो नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत की समिति में जिलाधिकारी रहेंगे। दोनों अफसरों पर काम की अधिकता को देखते हुए उनके द्वारा किसी अफसर को नामित करने की छूट दी गई है।

नगर निगम में क्रय समिति

-कमिश्नर या उनके द्वारा नामित अधिकारी

-अपर आयुक्त प्रशासन

-अपर आयुक्त लेखा

-निदेशक सीएंडडीएस जल निगम द्वारा नामित अधिकारी

-नगर आयुक्त

नगर पालिका परिषद व नगर पंचायत में क्रय समिति

-जिलाधिकारी या उनके द्वारा नामित अधिकारी

-प्रभारी अधिकारी स्थानीय निकाय

-जनपद के कोषाधिकारी व वरिष्ठ कोषाधिकारी

-अधिशासी अधिकारी

मूल्यांकन के बाद होगी खरीद

नगर निगम व नगर पालिका परिषद में अब तक देखा गया है कि कचरा प्रबंधन के नाम पर संसाधनों की मनमाना खरीद हुई है। उदाहरण के लिए सड़क व डिवाइडर सफाई करने वाली मशीन को ही लें। सपा से लेकर अब तक की भाजपा सरकार में करीब आधा दर्जन मशीनों की खरीद हुई। खास यह कि ये मशीनें करोड़ों की बताई जाती हैं। बनारस शहर के सड़क को देखते हुए इन मशीनों की उपयोगिता को लेकर संशय बना हुआ है। पहले की कई मशीनें बिना काम किए ही खराब हो गईं तो नई मशीन को एक निजी कंपनी के हवाले किया गया है। उसकी उपयोगिता कितनी है, आम जनता को नहीं पता है। ऐसे ही सार्वजनिक व सामुदायिक शौचालय व यूरिनल सफाई के लिए छोटी-छोटी करीब एक दर्जन मशीनें खरीदी गई हैं लेकिन उनकी उपयोगिता भी आम जनता नहीं देख सकी है।


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