अब गंगा की रक्षा व स्वावलंबन के अगुआ बनेंगे गांव, गंगामित्र कर रहे सात गांवों में सर्वे
गंगा किनारे बसे गांव अब स्वावलंबी बनकर खुद का भला करने के साथ ही पर्यावरण के नियमों के अनुसार गंगा को स्वच्छ रखने में अहम भूमिका निभाएंगे।
वाराणसी, जेएनएन। गंगा किनारे बसे गांव अब स्वावलंबी बनकर खुद का भला करने के साथ ही पर्यावरण के नियमों के अनुसार गंगा को स्वच्छ रखने में अहम भूमिका निभाएंगे। प्रशिक्षण व संभावना के लिए मॉडल के तौर पर बनारस में गंगा किनारे के सात गांवों का सर्वे शुरू भी कर दिया गया है। गंगोत्री से गंगा सागर तक गंगा किनारे बसे गांवों को 'राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ' के तहत गंगा ग्राम योजना से जोड़ा गया है। इसमें प्रदेश के 1347 गांव व बनारस के 54 गांव शामिल हैं।
महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र, बीएचयू में प्रोजेक्ट के तहत प्रशिक्षण प्राप्त इको-स्किल्ड गंगा मित्र ने इसके लिए भगवानपुर, माधोपुर, मुड़ादेव, रमना, सराय डगरी, सूजाबाद व टिकरी गांव में सर्वे कार्य शुरू कर दिया है। केंद्र के चेयरमैन व पर्यावरण वैज्ञानिक प्रो. बीडी त्रिपाठी बताते हैं कि इसका उद्देश्य गंगाजल के नॉन कंजम्पटिव उपयोग संग जैविक खेती को बढ़ावा देकर ग्रामीणों-किसानों की आय दो से तीन गुना तक करना है।
फिलहाल, गांवों में परिवार की स्थिति, व्यावसायिक गतिविधियां, गंगा नदी व अन्य जलस्रोतों के प्रति आस्था एवं स्थिति सहित सामाजिक गतिविधियों की जानकारी जुटाई जा रही है। ताकि सीवेज ट्रीटमेंट, स्वास्थ्य, शिक्षा को बेहतर करने के साथ ही जैविक खेती के लिए प्रशिक्षण देने संबंधी योजना बनाकर सरकार के पास स्वीकृति के लिए भेजी जा सके।
स्वीकृति मिलने के बाद यह योजना गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक गंगा किनारे बसे गांवों पर लागू की जाएगी। इससे न केवल इको टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि किसान-ग्रामीण स्वावलंबी बनेंगे और पर्यावरण नियमों के अनुसार गंगा नदी को स्वच्छ भी रखा जा सकेगा।