Move to Jagran APP

IAS अधिकारी एके शर्मा के इस्तीफे से आम और खास में आश्चर्य, मऊ में पैतृक गांव से की इंटरमीडिएट की पढ़ाई

गुजरात कैडर के 1988 बैच के आइएएस अधिकारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चहेते माने जाने वाले अरविंद कुमार शर्मा के इस्तीफे ने देश के प्रशासनिक और सियासी गलियारे के साथ-साथ उनके पैतृक गांव मऊ जिले के काझाखुर्द के रिश्तेदारों व मित्रों को भी चौंका कर रख दिया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 04:54 PM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 04:59 PM (IST)
IAS  अधिकारी एके शर्मा के इस्तीफे से आम और खास में आश्चर्य, मऊ में पैतृक गांव से की इंटरमीडिएट की पढ़ाई
वीआरएस लेने के बाद आइएसएस शर्मा की नई पारी का इंतजार।

मऊ, जेएनएन।  गुजरात कैडर के 1988 बैच के आइएएस अधिकारी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चहेते अरविंद कुमार शर्मा के इस्तीफे ने देश के प्रशासनिक और सियासी गलियारे के साथ-साथ उनके पैतृक गांव मऊ जिले के काझाखुर्द के रिश्तेदारों व मित्रों को भी चौंका कर रख दिया है। शर्मा के वीआरएस लेने से हर आम और खास में आश्चर्य है। वीआरएस लेने के बाद आइएसएस शर्मा की नई पारी को लेकर हर तरफ अटकलें और चर्चाएं तेज हैं। सबसे ज्यादा उनके मित्रों और गांव वालों को बेसब्री से उनकी नई पारी का इंतजार है।

loksabha election banner

मऊ जिले के मुहम्मदाबाद गोहना तहसील के रानीपुर विकास खंड अंतर्गत काझाखुर्द गांव निवासी स्व.शिवमूर्ति राय एवं शांति देवी के बड़े बेटे अरविंद कुमार शर्मा की प्रारंभिक शिक्षा काझाखुर्द प्राथमिक विद्यालय से हुई थी। इसके बाद शहर के डीएवी इंटर कालेज से उन्होनें हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी कर स्नातक के लिए इलाहाबाद विश्वविद्यालय का रुख किया।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति शास्त्र में परास्नातक करने के बाद वर्ष 1988 में शर्मा का चयन भारतीय प्रशासनिक सेवाओं आइएएस के लिए हुआ। तब से सफलताओं ने उनका पीछा नहीं छोड़ा। 11 अप्रैल 1962 को काझा खुर्द में जन्म लेने वाले अरविंद कुमार शर्मा 1989 में एसडीएम के रूप में पोस्ट हुए। 1995 में मेहसाणा के कमिश्नर बने। गुजरात में नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री बनने के बाद 2001 में उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय के सचिव की जिम्मेदारी मिली। 2013 में शर्मा मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रमुख सचिव बने। जून 2014 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव के पद की जिम्मेदारी दी गई। वर्तमान में वह प्रधानमंत्री कार्यालय में अतिरिक्त सचिव के तौर पर तैनात थे। उनके अचानक वीआरएस लेने से फिलहाल उनके सभी मित्र एवं रिश्तेदार स्तब्ध हैं। अभी अटकलों पर ही चर्चाएं हैं, लेकिन सबको उम्मीद है कि गांव, समाज और देश के लिए कुछ बेहतर सोच कर ही उन्होंने वीआरएस लिया होगा। 18 वर्ष से वे मोदी के चहेते ब्यूरोक्रेट्स में से एक रहे हैं। सबको उम्मीद है कि उन्हें जल्द ही कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.