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काशी विश्‍वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद मामले में बहस पूरी, तीन अक्टूबर को सुनाया जाएगा फैसला

अंजूमन इंतजामिया मसाजिद तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मुकदमे की सुनवाई करने के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के क्षेत्राधिकार को लेकर चुनौती दी थी। सिविल जज ने 25 फरवरी 2020 को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की चुनौती को खारिज कर दिया था।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Mon, 28 Sep 2020 04:17 PM (IST)Updated: Mon, 28 Sep 2020 05:33 PM (IST)
बहस सुनने के बाद निर्णय के लिए तीन अक्टूबर की तिथि मुकर्रर कर दिया।

वाराणसी, जेएनएन। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सोमवार को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता की ओर से दाखिल याचिका पर बहस पूरी हो गई। उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के निर्णय के खिलाफ जिला जज उमेशचंद्र शर्मा की अदालत में निगरानी याचिका दायर करने में विलंब के लिए क्षमा मांगी। बोर्ड के अधिवक्ता के प्रार्थना पत्र पर वादमित्र ने आपत्ति जताया। अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद निर्णय के लिए तीन अक्टूबर की तिथि मुकर्रर कर दिया।

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अंजुमन इंतजामिया मसाजिद तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने मुकदमे की सुनवाई करने के सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) के क्षेत्राधिकार को लेकर चुनौती दी थी। सिविल जज ने 25 फरवरी 2020 को अंजुमन इंतजामिया मसाजिद तथा सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की चुनौती को खारिज कर दिया था। सिविल जज के निर्णय के लगभग 206 दिन बाद 18 सितंबर 2020 को सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की ओर से अधिवक्ता तौहिद खान ने निगरानी याचिका दायर किया था।

बहस के दौरान अधिवक्ता ने अपना पक्ष रखते हुए लॉकडाउन तथा व्यक्तिगत व्यस्तता की वजह से निगरानी याचिका दायर में विलंब का कारण बताया। इस पर वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी ने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा जारी दिशा-निर्देशों तथा नजीरों का हवाला देते हुए विरोध जताया। दलील दी कि विलंब माफी का कारण अपर्याप्त है। किसी भी आदेश के खिलाफ निगरानी याचिका दायर करने के लिए 90 दिन की समयावधि होती है। समयावधि खत्म हो जाने के बाद कोई भी याचिका स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए।


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