हरितालिका तीज व्रत : सुहागिन महिलाओं ने किया अन्न-जल का त्याग, पति की मांगी लंबी उम्र की कामना
हरितालिका तीज व्रत सुहागिन महिलाओं को साल भर भाद्र शुक्ल तृतीया के आने का इंतजार रहता है। इंतजार की घड़ियां खत्म हो चली हैं। गुरुवार को सुहागिन महिलाएं अन्न- जल का त्याग कर हरितालिका तीज का व्रत रखेंगी।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़। सुहागिन महिलाओं को भाद्र शुक्ल तृतीया के आने का इंतजार रहता है। इंतजार की घड़ियां खत्म हो चली हैं। गुरुवार को सुहागिन महिलाएं अन्न-जल का त्याग कर हरितालिका तीज का व्रत रख रही हैं। सुबह से ही व्रती महिलाएं व्रत पूरा करने के लिए सक्रिय रहीं।
अखंड सौभाग्य की कामना के साथ किया जाने वाले व्रत की तैयारी बुधवार को देर शाम पूरी हो गई। बाजारों में महिलाओं ने बांस की डलिया, श्रृंगार आदि के सामानों की खरीदारी की। मिठाई, फल व कच्ची मिट्टी के शिव-पार्वती की प्रतिमा की दुकानों पर भी भीड़ नजर आई। इमरती, केला और दही की दुकानों पर शाम होने के साथ भीड़ बढ़ती गई। कारण कि व्रत से पहले भोर में इन्हीं सामान को खाकर महिलाएं व्रत का संकल्प लेती हैं।उधर घर-घर में सुहागिन महिलाओं ने मेहंदी रचाई और इसमें एक-दूसरे ने सहयोग किया। वहीं कुछ लोगों ने ब्यूटी पार्लर का भी सहारा लिया।
मान्यता है कि भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए सबसे पहले हिम पुत्री माता पार्वती ने यह व्रत किया था और कई दिनों तक तपस्या की थी। तभी से इस व्रत को रखने की परंपरा चल रही है। सुहागिन महिलाएं तो व्रत रखकर पति के दीर्घायु की कामना करती ही हैं, वहीं मनचाहा वर प्राप्त करने के लिए कुछ कुंवारी कन्याएं भी यह व्रत करती हैं।
परंपरा के मुताबिक दिनभर व्रत के बाद रात में शिव-पार्वती को फल-फूल के साथ श्रृंगार सामग्री अर्पित की जाती है। दूसरी ओर सरगही के लिए पतियों ने कहीं दूध की रबड़ी व इमरती खरीदी तो कहीं अन्य मिठाई।वहीं परंपरा के अनुसार बेटी-बहुओं के लिए उपहार लेकर बुधवार को भी रिश्तेदारों के पहुंचने का क्रम बना रहा।ससुराल में रहने वाली बेटियों के लिए मायके वाले तो मायके में रह रहीं बहुओं के यहां ससुराल से कपड़े व अन्य श्रृंगार सामग्री लेकर अपने लोग पहुंचे थे।