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राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत वाराणसी में जन्मजात विकृतियों वाले 11152 बच्चों का सफल उपचार

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत जनपद के 19 वर्ष तक के जन्मजात विकृतियों व कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों का निश्शुल्क इलाज किया जाता है। योजना के तहत वर्ष 2019-20 में कुल 11152 बच्चों का सफल उपचार किया गया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 01 Apr 2021 05:06 PM (IST)Updated: Thu, 01 Apr 2021 05:06 PM (IST)
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत वाराणसी में जन्मजात विकृतियों वाले 11152 बच्चों का सफल उपचार
आरबीएसके के तहत जन्मजात विकृतियों व कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों का निश्शुल्क इलाज किया जाता है।

वाराणसी, जेएनएन। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत जनपद के 19 वर्ष तक के जन्मजात विकृतियों व कई गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चों का निश्शुल्क इलाज किया जाता है। योजना के तहत वर्ष 2019-20 में कुल 11152 बच्चों का सफल उपचार किया गया।

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इनमें चार बच्चों की न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट (एनटीडी) की सर्जरी बीएचयू में कराई गई। 22 मुड़े हुये पैरों के बच्चों को मिरैकल फिट संस्था के सौजन्य से जिला चिकित्सालय में उपचार मिला। 32 कटे होठ व तालु वाले बच्चों का उपचार स्माइल ट्रेन संस्था के सौजन्य से आरबीएसके के अंतर्गत कराया गया। वहीं तीन बच्चों के दिल के छेद का ऑपरेशन अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज एवं कानपुर मेडिकल कॉलेज में निश्शुल्क कराया गया। सीएमओ डा. वीबी सिंह ने बताया कि आरबीएसके के तहत जनपद में 16 टीमें कार्यरत हैं। प्रत्येक ब्लॉक पर दो-दो टीमें हैं। कार्यक्रम के तहत वर्ष 2019-20 में आरबीएसके टीम ने आंगनबाड़ी केन्द्रों में भ्रमण कर जन्मजात विकृतियों व बीमारियों से ग्रसित बच्चों को चिन्हित किया और उनका उपचरा कराय। वहीं वर्ष 2020-21 में कोरोना काल में आरबीएसके टीमों ने भी बेहद सराहनीय कार्य किया। कोरोना महामारी के दौरान मार्च 2020 से अक्टूबर 2020 तक सभी स्कूल आगंनवाडी केंद्रों के बंद होने के कारण आरबीएसके की टीमें कोरोना से संबंधित अन्य कार्यो में अपना योगदान देती रहीं। नवंबर 2020 से स्कूल व आगंनवाडी केंद्र दोबारा खुले। साथ ही आरबीएसके का कार्य दोबारा सफलता के साथ संचालित किया जा रहा है। उन्होने बताया कि राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के अंतर्गत किशोर-किशोरियों में आयरन व खून की कमी को दूर करने के लिए आयरन की नीली और गुलाबी गोली सप्ताह में एक बार खिलाई जाती है। विगत वर्ष आयरन की गोलियां प्रत्येक सप्ताह सभी स्कूल जाने वाले बच्चों एवं स्कूल न जाने वाली किशोरियों (आंगनवाडी केन्द्रो पर पंजीकृत) को खिलाई गई। वीकली आयरन फॉलिक सप्लीमेंट (विफ्स) कार्यक्रम में लक्ष्य के सापेक्ष 75 प्रतिशत कवरेज रहा।    

एसीएमओ व नोडल अधिकारी डा. एके गुप्ता ने बताया कि कार्यक्रम के तहत वर्ष 2019-20 में भ्रमण किये गये स्कूलों की संख्या लक्ष्य के अनुपात में शत-प्रतिशत रही। 2923 आंगनबाड़ी केंद्रों के लक्ष्य के सापेक्ष 2923 आंगनबाड़ी केंद्रों पर शत-प्रतिशत स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। आरबीएसके कार्यक्रम में वर्ष 2019-20 में जन्म से 19 वर्ष तक के बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण का वार्षिक लक्ष्य 3,35,662 के सापेक्ष 3,34,854 रहा। इनमें से 'फोर डी से प्रभावित बच्चे 16124 पाए गए। इनको उच्च सरकारी चिकित्सा इकाईयों पर रेफर किया गया हैॅ।


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