BHU सहित देश के 15 संस्थानों में आयुर्वेदिक दवाओं पर ट्रायल, आयुष-64 के असर का अध्ययन
बीएचयू सहित देश के 15 संस्थानों में आयुर्वेदिक दवाओं पर ट्रायल आयुष-64 के असर का अध्ययन किया जाएगा।
वाराणसी [मुहम्मद रईस]। आयुष मंत्रालय पीएम नरेंद्र मोदी के आह्वान पर भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद व काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च के सहयोग से काशी हिंदू विश्वविद्यालय सहित देश के 15 संस्थानों में आयुर्वेदिक दवाओं का ट्रायल करने जा रहा है। इसके लिए प्रतिरोधी क्षमता मजबूत करने के साथ ही कोरोना पर असर करने वाली औषधियों का चयन किया गया है। जिनका डॉक्टर-पैरामेडिकल स्टाफ सहित कोरोना मरीजों पर असर देखा जाएगा।
बीएचयू की इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी की संस्तुति के बाद क्लीनिकल ट्रायल के लिए टीम भी गठित कर दी गई है। वहीं मंत्रालय ने केंद्रों पर दवा पहुंचा दी है। अगले सप्ताह से विश्वविद्यालय में कुलपति प्रोफेसर राकेश भटनागर की निगरानी में क्लीनिकल ट्रायल की प्रक्रिया शुरू होगी।
आयुष मंत्रालय की पहल पर आइसीएमआर की गाइडलाइन के मुताबिक आयुर्वेद की औषधियों (अश्वगंधा, गुडूची, पीपली एवं आयुष-64) का कोरोना मरीजों पर चिकिसा के रूप में प्रभाव और अश्वगंधा का कोरोना से रोकथाम के अध्ययन का निर्णय लिया गया है। मंत्रालय ने इसके लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय-वाराणसी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद-जयपुर, सीसीआरएस आयुर्वेद हॉस्पिटल-मुंबई, सीसीआरएस आयुर्वेद हॉस्पिटल-बेंगलुरु, सीसीआरएस आयुर्वेद हॉस्पिटल-कलकता सहित देश के 15 आधुनिक एवं आयुर्वेदीय चिकिसा संस्थानों का चयन किया है। प्रारंभिक तैयारी पूरी कर ली गई है, जिसके तहत शोधकर्ताओं को हाल ही में पुणे स्थित आयुष मंत्रालय की सहयोगी संस्था द्वारा ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया। औषधियों बीएचयू पहुंच चुकी हैं। वहीं शोध अध्ययन के लिए प्रो. वी भट्टाचार्य की अध्यक्षता वाली इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी ने भी अपनी संस्तुति प्रदान कर दी है।
ताकि दुनिया के सामने प्रस्तुत हो वैज्ञानिक प्रमाण
क्लीनिकल ट्रायल की अवधि छह माह निर्धारित है, जिसके बाद रिपोर्ट मंत्रालय को भेजी जाएगी। इसका उद्देश्य आयुर्वेद की औषधियों का वैज्ञानिक प्रमाण ख्यात जर्नल में प्रकाशित कराना है, ताकि दुनिया आयुर्वेद के ज्ञान से परिचित हो सके। साथ ही भारतीय ज्ञान परंपरा से समस्त विश्व को लाभ पहुंचाने के पीएम मोदी के उद्देश्य की भी पूर्ति हो।
-प्रो. चौधरी को बनाया केंद्र संयोजक
प्रो. जया चक्रवर्ती को मुख्य शोध अध्ययनकर्ता बनाया गया
स्वास्थ्य कर्मियों पर अश्वगंधा के गुणों का अध्ययन करने के लिए मेडिसिन विभाग (चिकिसा विज्ञान संस्थान-बीएचयू) की प्रो. जया चक्रवर्ती को मुख्य शोध अध्ययनकर्ता बनाया गया है। वहीं टीम में पीएसएम विभागाध्यक्ष प्रो. संगीता कंसल व आगध तंत्र विभागाध्यक्ष डा. शोभा भट शामिल हैं। कोरोना मरीजों पर आयुर्वेद की औषधियों करने वाली टीम में काय चिकिसा विभाग के डा. अजय पांडेय व मेडिसिन विभाग की डा. मनस्वी को शामिल किया गया है। वहीं रसशास्त्र एवं भैषज्य कल्पना विभाग के प्रो. आनंद चौधरी को केंद्र संयोजक बनाया गया है।
नौ मई को हुई थी लांचिंग
नौ मई को हुई थी लांचिंग
केंद्र समन्वयक प्रो. चौधरी के मुताबिक इस शोध कार्य की लांचिंग स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डा. हर्षवर्द्धन व आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने नौ मई को संयुक्त रूप से की थी। अब यह प्रारंभ होने की स्थिति में है। इस शोध कार्य का समस्त प्रोटोकाल यूजीसी उपाध्यक्ष व कोविड शोध टास्क फोर्स के अध्यक्ष डा. भूषण पटवर्द्धन के मार्गदर्शन में तैयार हुआ है। वहीं केंद्रीय आयुर्वेद विज्ञान शोध परिषद (सीसीआरएएस) के महानिदेशक डा. केएस धीमान के कुशल नेतृव में सभी 15 केंद्रों पर औषधियां उपलब्ध करा दी गई हैं।
डब्ल्यूएचओ को मिलेगा डाटा
भारत देश अगले छह माह में जो भी वैज्ञानिक डाटा विश्व को देगा, वह इतना स्पष्ट होगा कि डब्ल्यूएचओ उसे मानने में जरा भी कोताही नहीं करेगा।
- प्रो. आनंद चौधरी, केंद्र संयोजक-आयुष प्रोजेक्ट, बीएचयू।