BHU में छेड़खानी के आरोपित प्रोफेसर को बर्खास्त करने की मांग को लेकर छात्राओं का प्रदर्शन Varanasi news
बीएचयू जंतु विज्ञान विभाग से जुड़े छेड़खानी के आरोपित प्रोफेसर एसके चौबे को बर्खास्त करने की मांग को लेकर छात्राओं ने शनिवार को मोर्चा खोल दिया।
वाराणसी, जेएनएन। बीएचयू जंतु विज्ञान विभाग से जुड़े छेड़खानी के आरोपित प्रोफेसर एसके चौबे को बर्खास्त करने की मांग को लेकर छात्राओं ने शनिवार को मोर्चा खोल दिया। लंका स्थित सिंह द्वार को बंद कराते हुए छात्राएं तख्ती-बैनर संग नारेबाजी करते वहीं धरने पर बैठ गईं। इस दौरान प्रशासनिक अधिकारियों ने उन्हें मनाने की कोशिश की, लेकिन छात्राएं कुलपति को बुलाने पर अड़ी रहीं।
छात्राओं का आरोप था कि पूरी कक्षा के गवाही देने व जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के बाद भी आरोपित प्रोफेसर एसके चौबे को महज चेतावनी देते हुए छोड़ दिया गया। वर्तमान सत्र में उन्हें दोबारा अध्यापन करने की अनुमति भी मिल गई है। नाराज छात्राएं शाम करीब सात बजे सिंह द्वार पर जुटनी शुरू हुईं और तख्ती-बैनर लेकर विवि प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गईं। छात्राओं की मांग है कि आरोपित प्रोफेसर को बर्खास्त किया जाए। साथ ही महिला उत्पीडऩ आयोग की संस्तुति के तहत निर्भया कांड के समय 2013 में प्रस्तावित महिला उत्पीडऩ सेल की स्थापना की जाए। इसके लिए छात्राएं कुलपति प्रो. राकेश भटनागर को बुलाने पर बड़ी रहीं। कुलपति शहर से बाहर हैं। ऐसे में विवि प्रशासन की ओर से रजिस्ट्रार डा. नीरज त्रिपाठी, चीफ प्रॉक्टर प्रो. ओपी राय, छात्र अधिष्ठाता प्रो. एमके सिंह व प्रॉक्टोरियल बोर्ड के सदस्य प्रो. बीसी कापड़ी ने छात्राओं को समझाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन वे अपनी मांगों पर अड़ी रहीं।
ये है पूरा मामला
वर्ष 2018 में जंतु विज्ञान विभाग का शैक्षणिक टूर उड़ीसा के पुरी गया था, जहां 17 छात्राओं ने प्रो. एसके चौबे पर अश्लील हरकत का आरोप लगाया था। शैक्षणिक भ्रमण से लौटने के बाद छात्राओं ने कुलपति से शिकायत की। इसके बाद मामले में आंतरिक जांच कमेटी गठित की गई। एक महीने से अधिक समय तक चली जांच में छात्र-छात्राओं के साथ ही कर्मचारियों व शिक्षकों से पूछताछ की गई। कमेटी ने प्रो. चौबे को कसूरवार मानते हुए फाइनल रिपोर्ट कुलपति को सौंपी। आरोपित प्रोफेसर पर कार्रवाई के लिए रिपोर्ट बीएचयू कार्यकारिणी परिषद की बैठक में रखी गई। इसमें प्रो. चौबे को भविष्य में किसी भी प्रशासनिक पद पर आसीन न रहने देने की सजा के साथ जुलाई में दोबारा ज्वाइन कराया गया। इसी को लेकर छात्राओं में रोष व्याप्त है।
विश्वविद्यालय प्रशासन की दलील
पीआरओ डा. राजेश सिंह के मुताबिक जांच कमेटी के सुझाव के आधार पर सात जून 2019 को संपन्न कार्यकारिणी परिषद की बैठक में बड़ी सजा दी गई है। प्रो. चौबे को न तो भविष्य में कोई प्रशासनिक दायित्व दिया जाएगा और न ही वे विद्यार्थियों संबंधी गतिविधियों में शामिल होंगे। इसके अलावा प्रो. चौबे किसी अन्य संस्थान में आवेदन भी नहीं कर पाएंगे। यदि करना भी चाहेंगे तो भी उनका आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा, क्योंकि उन पर लगाई गई पेनाल्टी उनके सर्विस रिकार्ड में डाल दी गई है।
समर्थन में आईं महिला महाविद्यालय की छात्राएं
छेड़खानी के आरोपित प्रोफेसर को बर्खास्त करने की मांग को लेकर जहां बीएचयू सिंह द्वार पर छात्राओं का प्रदर्शन जारी था, वहीं उनके समर्थन में महिला महाविद्यालय की छात्राएं भी आगे आईं। रात दस बजे के बाद एमएमवी का मुख्य गेट बंद हो गया था। बावजूद इसके करीब 40 से 50 छात्राएं भीतर की ओर से गेट के पास धरने पर बैठ गईं। इस पर महिला महाविद्यालय की शिक्षकों व हास्टल वार्डेन ने दबाव बनाकर उन्हें वहां से हटा दिया। मगर कुछ ही देर बाद छात्राएं फिर से गेट के पास आकर धरने पर बैठ गईं।
इलाज में लापरवाही का आरोप, परिजनों संग छात्रों ने दिया धरना
सर सुंदरलाल अस्पताल, बीएचयू की इमरजेंसी के पास शनिवार की रात मरीज के इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए बीएचयू बहुजन छात्र सभा के छात्र-छात्राओं ने धरना-प्रदर्शन किया। इस दौरान छात्रों संग मरीज के परिजन भी अस्पताल प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी किए। गाजीपुर की 48 वर्षीय इंदु देवी को परिजनों ने सात सितंबर को अस्पताल लेकर पहुंचे थे। मरीज को गैस्ट्रो व मेडिसिन की समस्या थी। आरोप है कि डाक्टरों ने मरीज का अ'छे से उपचार नहीं किया। छात्रों ने मरीज व परिजनों को प्रताडि़त करने का भी आरोप लगाया। इस दौरान मेडिसिन के एक डाक्टर को कहने के बावजूद नहीं देखने और घर पर निजी शुल्क के साथ देखने का आरोप लगाते हुए विरोध किया। मौके पर पहुंचे चीफ प्राक्टर प्रो. ओपी राय व पुलिस ने धरने पर बैठे लोगों समझाकर शांत कराया। चीफ प्राक्टर ने मरीज के बेहतर उपचार का आश्वासन देकर धरना खत्म कराया। वहीं मरीज को अस्पताल में भर्ती करा दिया।