स्टांप चोरी : वाराणसी में एक ही फोटो पर होती है कई जमीन की रजिस्ट्री, कलेक्ट्रेट परिसर में बिकता है फोटो
उप निबंधन कार्यालय में छोटी-बड़ी कोई भी जमीन की रजिस्ट्री होने के साथ उसकी फोटो लगती है। जमीन की पूरी चौहद्दी लिखने के साथ क्षेत्रफल दर्शाया जाता है। जमीन क्रेता इस बात का शपथ पत्र भी देता है कि उसने कोई भी तथ्य छिपाया नहीं है!
वाराणसी [जेपी पांडेय]। सरकार भ्रष्टाचार रोकने, राजस्व बढ़ाने की चिंता कर रही है तो अधिकारी अपनी जेब भरने की। जमीन पर कमरा, बाउंड्री समेत अन्य निर्माण होने पर भी उसे खाली जमीन दिखाकर उप निबंधन कार्यालय में उसकी रजिस्ट्री की जा रही है। जिले के शहरी उप निबंधन कार्यालय में यह खेल जोरों पर चल रहा है और कोई रोकने-टोकने वाला नहीं है। यह सारा खेल होता है 50 रुपये के फोटो पर। कलेक्ट्रेट परिसर में यह फोटो 50 रुपये में बिकता है। फोटो में जमीन खाली दिखाई पड़ती है।
उप निबंधन कार्यालय में छोटी-बड़ी कोई भी जमीन की रजिस्ट्री होने के साथ उसकी फोटो लगती है। जमीन की पूरी चौहद्दी लिखने के साथ क्षेत्रफल दर्शाया जाता है। जमीन क्रेता इस बात का शपथ पत्र भी देता है कि उसने कोई भी तथ्य छिपाया नहीं है, उसकी ओर से लिखी गई सभी बातें सत्य और सही है। फिर भी क्रेता उप निबंधन अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से जमीन का स्वरूप छिपाकर उसकी रजिस्ट्री कराते हैं।
जांच में कई बार मामला हो चुका है उजागर
जमीन की बाउंड्री, टीन शेड, कमरा बने होने के बाद भी खाली दिखाई जमीन की रजिस्ट्री कराने का मामला कई बार उजागार हो चुका है। मामला उजागर होने पर जमीन क्रेता से स्टांप शुल्क जमा कराकर फाइल बंद कर दी जाती है। उप निबंधन अधिकारियों का बस यही कहना रहता है कि हमें अपने स्टांप से मतलब है। स्टांप शुल्क मिलने के साथ बात खत्म हो जाती है।
यहां हो चुके हैं मामले उजागर
सारनाथ, आशापुर, पंचकोसी, पैगंबरपुर, जैतपुरा, चौकाघाट, चेतगंज, रमरेपुर, अकथा, बड़ा लालपुर, पांडेयपुर, शिवपुर आदि स्थानों पर।
पूर्व स्टांप उपायुक्त ने पकड़ी थी स्टांप चोरी
पूर्व स्टांप उपायुक्त अवधेश कुमार श्रीवास्तव ने पहडिय़ा में तीन मंजिला मकान को खाली जमीन दिखाकर रजिस्ट्री करने का मामला पकड़ा था। एक रजिस्ट्री की तत्कालीन स्टांप उपायुक्त ने जांच की तो मौके पर खाली जमीन की जगह तीन मंजिला मकान बना था। करीब सवा दो लाख रुपये की स्टांप चोरी मिली थी। उप निबंधन अधिकारी को प्रतिकूल प्रविष्टि देने के साथ पूरा स्टांप शुल्क जमा कराय था।
स्टांप मंत्री का नहीं है डर
जनपद में स्टांप मंत्री होने के बाद भी उप निबंधन अधिकारियों को तनिक भी उनका डर नहीं है। वह अपने हिसाब से जमीन की रजिस्ट्री करते हैं। जमीन पर निर्माण होने के बाद भी उसे खाली दिखाकर रजिस्ट्री कर देते हैं। मामला उजागर होने पर वे स्टांप शुल्क जमा कराकर फाइल दबा देते हैं।
सबसे बड़ी रजिस्ट्री की डीएम करते हैं जांच
जिले में हर माह सबसे बड़ी रजिस्ट्री की जांच जिलाधिकारी करते हैं। सभी उप निबंधन अधिकारी अपने यहां हुए सबसे बड़ी जमीन की रजिस्ट्री की 10-10 सूची जिलाधिकारी को भेजते हैं। डीएम अपनी स्वेच्छा से पांच बड़ी रजिस्ट्री की जांच करते हैं। जांच में कमी होने पर उप निबंधन अधिकारी को चेतावनी देते हुए स्टांप शुल्क जमा कराने को कहते हैं।
इन्हें मिलती हैं जांच की जिम्मेदारी
पांच डीएम, 25 एडीएम फाइनेंस, 50 एआइजी तथा सभी उप निबंधन अधिकारी कम से कम माह में 20-20 रजिस्ट्री की जांच करनी होती है। जरूरत पडऩे पर वह अधिक भी रजिस्ट्री की जांच कर सकते हैं। खुद की रजिस्ट्री की जांच में कितनी ईमानदारी होगी, यह खुद समझा जा सकता है।