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Sponsorship Scheme वाराणसी के सात बच्चों के खाते में भेजे गए 14-14 हजार रुपये

महिला कल्याण विभाग ने बाल संरक्षण सेवा के तहत स्पांसरशिप योजना से बीते वित्तीय वर्ष में जनपद के सात बच्चों को लाभान्वित किया। हालांकि 20 बच्चों का चयन किया गया था।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sat, 13 Jun 2020 11:00 AM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 11:00 AM (IST)
Sponsorship Scheme वाराणसी के सात बच्चों के खाते में भेजे गए 14-14 हजार रुपये
Sponsorship Scheme वाराणसी के सात बच्चों के खाते में भेजे गए 14-14 हजार रुपये

वाराणसी, [वंदना सिंह]। महिला कल्याण विभाग ने बाल संरक्षण सेवा के तहत स्पांसरशिप योजना से बीते वित्तीय वर्ष में जनपद के सात बच्चों को लाभान्वित किया है। इन लाभार्थियों के खाते में मई में 14 हजार रुपये स्थानांतरित किए गए। ये बच्चे मरुई, बड़ागांव, भेलुपुर, सारनाथ, बच्छांव के हैं। इस वित्तीय वर्ष में भी 20 बच्चों का चयन किया गया था। हालांकि दस्तावेज पूरे न होने के कारण मार्च में स्वीकृति नहीं मिल सकी।

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एक से तीन वर्ष तक सहायता 

इस योजना के लिए ग्राम व विकास खंड स्तरीय बाल संरक्षण समिति की संस्तुति के बाद जिला प्रवर्तकता समिति अनुमोदन करती है। यह प्रक्रिया पूरी होने पर डीएम के अनुमोदन के बाद बच्चे के खाते में दो हजार रुपये प्रतिमाह की दर से आॢथक सहायता भेजी जाती है। यह मदद एक वर्ष से तीन वर्ष तक लाभार्थी की शिक्षा व बेहतर देखरेख के लिए देने का प्रावधान है। बच्चे को दी गई मदद का प्रतिमाह जिला बाल संरक्षण इकाई  फॉलोअप करती है। योजना में शामिल होने के लिए बच्चे की विद्यालय में 75 फीसद उपस्थिति अनिवार्य है।

बच्चों के परिवार को कोविड 19 से बचाव के उपाय बताए गए

लॉकडाउन में भी बच्चों के परिवार का साप्ताहिक फॉलोअप किया गया। चिह्नित बच्चों को दो बार राशन किट,  डीएम व स्वयंसेवी संस्था एशियन के सहयोग से मदद दी गई। बाल संरक्षण अधिकारी निरुपमा सिंह ने बताया कि सभी बच्चों के परिवार को कोविड 19 से बचाव के उपाय, संबंधित हेल्पलाइन नंबर बताए गए। मोबाइल फोन धारकों को आरोग्य सेतु एप डाउनलोड कराकर खुद की जांच करना सिखाया गया। सात बच्चों के खाते में मई में दो-दो हजार रुपये प्रतिमाह की दर से 14-14 हजार भेजे गए। 

     इन्हेंं मिलता है लाभ

  • 18 साल के नीचे की आयु के बच्चे जिनके माता-पिता नहीं हैं।
  • एकल माता-पिता की संतान।
  • बाल श्रमिक के रूप में कार्यरत।
  • बच्चे के माता-पिता कारागार में बंद हों।
  •  बच्चे के परिवार में आय का कोई स्रोत न हो।
  • बालगृह से घर आवासित बच्चा।

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