सोनभद्र में पुनर्गठन पेयजल योजना के काम पर उठने लगे सवाल, पानी एक बूंद नहीं मगर खर्च हो गए 44 करोड़
नगर पालिका परिषद राबट््र्सगंज के लिए पुनर्गठन पेयजल योजना पर सवाल उठने लगे हैं।
सोनभद्र, जेएनएन। नगर पालिका परिषद राबट््र्सगंज के लिए पुनर्गठन पेयजल योजना पर सवाल उठने लगे हैं। किसानों का कहना है कि सिंचाई के लिए धंधरौल बांध पानी नहीं दे पा रहे है, ऐसे में प्यास बुझाने के लिए जल निगम को 11 क्यूसेक पानी कहां से दिया जाएगा। सिंचाई विभाग के विशेष सचिव ने भी पानी न होने का हवाला देते हुए हाथ खड़े कर दिए हैं। बता दें कि 96 करोड़ की इस योजना में पर्याप्त पानी का इंतजाम करने से पहले ही 44 करोड़ रुपये खर्च कर दिया गया है।
राबट्र्सगंज नगरवासियों की प्यास बुझाने के लिए जल निगम को 11 क्यूसेक पानी की जरूरत है। जल निगम ने धंधरौल बांध के सीपेज से 11 क्यूसेक पानी देने की मांग सिंचाई विभाग के विशेष सचिव मुस्ताक अली से की थी। विशेष सचिव ने पानी देने से इंकार कर दिया। कहना है कि धंधरौल बांद से किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए तीन सौ क्यूसेक पानी और चाहिए। जिसकी पूर्ति के लिए सिंचाई विभाग सोन लिफ्ट से 180 क्यूसेक पानी ले रहा है। ताकि कुछ हद तक खेतों की सिंचाई हो सके। विशेष सचिव ने सलाह दे दी कि जन निगम सोन लिफ्ट पर अपना पंप विकसित कर महंगा पानी ले सकता है और बिजली का भुगतान कर सकता है।
पानी का इंतजाम हुआ नहीं और विशेष सचिव के निर्देश को नजर अंदाज करते हुए जल निगम ने धंधरौल जलाशय के नीचे इंटकवेल का निर्माण शुरू करा दिया और अब तक 44 करोड़ रुपये भी खर्च कर दिए गए। इससे सिंचाई विभाग व जल निगम के बीच ठन गई है। सिंचाई विभाग के अधिकारियों की यह भी दलील है कि धंधरौल बांध का सीपेज महज चार क्यूसेक है। इसी सीपेज के पानी से बढ़ौली-कुसाही पेयजल योजना को 2.5 क्यूसेक पानी दिया जाता है ताकि इस पेयजल योजना का वजूद बना रहे। जल निगम को प्यास बुझाने के लिए 11 क्यूसेक पानी देने के लिए धंधरौल बांध का फाटक उठाना पड़ेगा। इससे किसानों के खेतों की सिंचाई के लिए पानी नहीं बचेगा।
15 दिनों में मांगा जवाब
राष्ट्रीय लोकदल के जिलाध्यक्ष संतोष कुमार पटेल ने बताया कि उन्होंने किसान हित में उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कमलेश तिवारी व अजीत सिंह के जरिए जनहित याचिका दाखिल किए हैं। इसमें जल निगम से दो सप्ताह में शपथ पत्र देकर जवाब तलब किया है।