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सोनभद्र नरसंहार कांड को लेकर गाजीपुर पहुंचेगी एसआइटी, तत्कालीन सुपरवाइजर के जीवित होने की मिली जानकारी

घोरावल तहसील क्षेत्र के उभ्भा में हुए नरसंहार मामले की जांच एसआइटी कर रही है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Sat, 16 Nov 2019 06:39 PM (IST)Updated: Sun, 17 Nov 2019 08:00 AM (IST)
सोनभद्र नरसंहार कांड को लेकर गाजीपुर पहुंचेगी एसआइटी, तत्कालीन सुपरवाइजर के जीवित होने की मिली जानकारी
सोनभद्र नरसंहार कांड को लेकर गाजीपुर पहुंचेगी एसआइटी, तत्कालीन सुपरवाइजर के जीवित होने की मिली जानकारी

सोनभद्र, जेएनएन। घोरावल तहसील क्षेत्र के उभ्भा में हुए नरसंहार मामले की जांच एसआइटी कर रही है। जांच के दौरान ही पता चला है कि जिस कृषि सहकारिता समिति की भूमि को लेकर इतना बड़ा विवाद हुआ, इतनी बड़ी घटना हुई उसके पंजीकरण के दौरान रिपोर्ट लगाने वाले सहकारिता विभाग के सुपरवाइजर जिंदा है। उनकी उम्र 93 साल की है। ऐसे में एसआइटी अब उनसे भी पूछताछ कर अहम जानकारी एकत्रित करेगी। वह सुपरवाइजर गाजीपुर के बहुआबाग कालोनी के रहने वाले हैं। यानी एसआइटी सोनभद्र नरसंहार मामले को लेकर गाजीपुर में पहुंचकर पूछताछ करेगी। हालांकि इस उम्र में उनकी मानसिक स्थिति क्या है? वह कुछ बता पाने की स्थिति में होंगे भी या नहीं इसको लेकर एसआइटी के अधिकारियों को चिंता है। 

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17 जुलाई को हुए नरसंहार मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गंभीरता से लिया। उन्होंने राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार के नेतृत्व में जांच टीम गठित किया। जांच रिपोर्ट के आधार पर कई अधिकारियों व अन्य के खिलाफ लखनऊ के हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज हुआ। साथ ही उसी रिपोर्ट में एसआइटी से जांच की सिफारिश की गई थी। उसी आधार पर डीआइजी जे. रविंद्र गौंड़ के नेतृत्व में एसआइटी ने जांच शुरू कर दिया। जांच के दौरान परत दर परत अहम जानकारी मिलती गई। साथ ही यह पता चला कि जिस समय आदर्श कृषि सहकारी समिति उभ्भा-सपही का पंजीकरण ही गलत था। हालांकि जांच में यह भी पता चला कि उस दौर में अधिकारी रहे कई का निधन हो चुका है। ऐसे में एसआइटी ने प्रमाण के तौर पर उनका मृत्यु प्रमाणपत्र जुटाना शुरू किया। तभी पता चला कि 1951 में कृषि समिति के पंजीकरण के लिए रिपोर्ट देने वाले सहकारिता विभाग के सुपरवाइजर उमाशंकर लाल अभी इस दुनिया में हैं। वे गाजीपुर के महुआबाग कालोनी में रहते हैं। 1983 में वे सेवानिवृत्त हुए थे। ऐसे में एसआइटी ने उनसे पूछताछ के लिए रणनीति बनाया है। हालांकि टीम कब जाएगी यह स्पष्ट नहीं है। 

पहले की जांच में जो पता चला

17 जुलाई को हुए नरसंहार मामले में जब मुख्यमंत्री के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव राजस्व विभाग रेणुका कुमार ने जांच की तो कई अहम बातें सामने आईं। पता चला कि पंजीकरण के समय समिति द्वारा ग्राम उभ्भा में 727 बीघा और ग्राम सपही में 725 बीघा भूमि समिति के सदस्यों की दर्शायी गई थी, लेकिन इस संबंध में कोई शासकीय अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया। केवल गाटा संख्या एवं रकबे की हस्तलिखित सूची प्रस्तुत की गई थी। इसके साथ ही समिति द्वारा दर्शायी गई भूमि के संबंध में आधार वर्ष फसली सन 1359 (सन 1952 ई) की खतौनी से मिलान करने पर पता चला कि ग्राम उभ्भा की 641 बीघा और ग्राम सपही की 664 बीघा कुल 1305 बीघा बंजर खाते की जमीन है। यह ग्रामसभा की होती है राबट्रसगंज के तत्कालीन तहसीलदार ने 17 दिसंबर 1955 को पारित आदेश के अनुसार ग्राम उभ्भा की बंजर खाते की कुल 258 गाटा रकबा 641 बीघा और ग्राम सपही की 123 गाटा रकबा 693 बीघा तीन बिस्वा जमीन आदर्श कृषि सहकारी समिति उभ्भा व सपही के नाम दर्ज करने के आदेश दिए। उन्होंने किस आधार पर यह आदेश दिए इसकी भी जांच हो रही है। 

क्या है मामला

उभ्भा-सपही की आदर्ष कृषि सहकारी समिति की भूमि को लेकर उभ्भा गांव में 17 जुलाई को विवाद हुआ। उसमें एक पक्ष के 10 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई। 25 लोग घायल हो गए थे। बाद में एक और महिला की मौत हो गई। यानी मरने वालों की संख्या 11 हो गई। घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी गांव आए। उन्होंने पीडि़तों से मिलकर स्थिति के बारे में जानकारी लिया। टीम गठित कर जांच करायी गई तो जांच में पता चला कि जिस कृषि सहकारी समिति की भूमि को लेकर इतना बड़ा मामला हुआ वह समिति ही गलत थी। पुलिस ने घटना के बाद ही 28 नामजद व 50 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। शासन स्तर से जांच टीम ने जब रिपोर्ट दी तो लखनऊ के हजरतगंज में कई अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज हुआ। तत्कालीन जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक को भी हटा दिया गया। सीओ, एसडीएम, एसएचओ सहित कई को निलंबित किया गया। 


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