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गंगाजल में कोरोना वायरस के अस्तित्व पर 15 दिन में स्थिति होगी साफ, वाराणसी में जांच में जुटी टीम

लखनऊ से आई वैज्ञानिकों की टीम ने बनारस कैथी से गंगा का सैंपल लिया है। वाराणसी स्थित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगाजल सैंलिंग क्षेत्र का निर्धारण किया है। बनारस के कैथी मीरजापुर के चुनार गाजीपुर में ताड़ी घाट और बलिया के नया पुल क्षेत्र से सैंपल जुटाया गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 09:24 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 11:49 PM (IST)
गंगाजल में कोरोना वायरस के अस्तित्व पर 15 दिन में स्थिति होगी साफ, वाराणसी में जांच में जुटी टीम
लखनऊ से आई वैज्ञानिकों की टीम ने बनारस कैथी से गंगा का सैंपल लिया है।

वाराणसी, जेएनएन। क्या गंगाजल में कोरोना वायरस का अस्तित्व संभव है। यदि है तो क्या ये वायरस जिंदा होते हैं या मृत। आरटीपीसीआर टेस्ट द्वारा 15 दिन में इस पर स्थिति साफ हो जाएगी। हालांकि, विगत दिनों एक शोध में बताया गया था कि सीवेज में वायरस पाया गया था, मगर विज्ञान बहते पानी में कोरोना वायरस के पाए जाने की संभावना को नकारता है। पानी की जांच लखनऊ स्थित भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आइआइटीआर) ने शुरू कर दी है। बनारस, गाजीपुर, मीरजापुर और बलिया से तीन प्रदूषक तत्वों को केंद्र में रखकर गंगा जल के सैंपल जुटाकर वैज्ञानिकों की टीम लखनऊ में जांच-परख के लिए जुट गई है। लखनऊ से आई वैज्ञानिकों की टीम ने बनारस कैथी से गंगा का सैंपल लिया है।

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आइआइटीआर के निदेशक प्रोफेसर एस के बारिक ने फोन पर बताया कि गंगाजल में फिजियो केमिकल, माइक्रोबायोलाजिकल और कोविड वायरस के खतरे की गणना कर रिपोर्ट नमामि गंगे कार्यालय को दो सप्ताह के अंदर सौंप दिया जाएगा। इस जांच के अंतर्गत मूल रूप से यह देखा जाएगा कि गंगा में वायरस या अन्य हानिकारक सूक्ष्मतम जीवों के जीवित रहने की कितनी संभावनाएं हैं।

गंगा की सफाई का रोडमैप तैयार होगा

नमामि गंगा के प्रवक्ता नीरज गहलावत ने कहा कि गंगाजल के संपूर्ण सेहत की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद गंगा स्वच्छता को लेकर ठोस कदम उठाया जाएगा। जांच की जिम्मेदारी संस्थान को दिया गया है। रिपोर्ट आने के बाद गंगा की सफाई का रोडमैप तैयार होगा।

नमामि गंगे और केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की पहल पर इस शोध कार्य को अंजाम दिया जा रहा है

राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि नमामि गंगे और केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड की पहल पर इस शोध कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। वाराणसी स्थित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने गंगाजल सैंलिंग क्षेत्र का निर्धारण किया है। बनारस के कैथी, मीरजापुर के चुनार, गाजीपुर में ताड़ी घाट और बलिया के नया पुल क्षेत्र से सैंपल जुटाया गया है।


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