जागो हुक्मरान, शार्ट सर्किट लील रही बेगुनाहों की जान
आखिर शार्ट सर्किट की वजह क्या है? सरकार ने विद्युत सुरक्षा विभाग का गठन कर इंजीनियरों की तैनाती की फिर कहां से हो रही चूक?
वाराणसी, [राकेश श्रीवास्तव]। शार्ट सर्किट ...। जेहन में इस शब्द के गूंजते ही अग्निकांड कौंधने लगता है। वह चाहे कोलकाता के हास्पिटल में 89 मौतों का मामला हो या फिर लखनऊ के किंग जार्ज में आग से हुई मौतों का भयावह मंजर। सूरत के तक्षशिला कोचिंग इंस्टीट्यूट में लगी आग के बाद छात्रों की जान बचाने को कई मंजिला इमारत से कूदने की घटना से देश कांप उठा है। अधिकतर घटनाओं की जड़ में शार्ट सर्किट ही रही। आखिर शार्ट सर्किट की वजह क्या है? सरकार ने विद्युत सुरक्षा विभाग का गठन कर इंजीनियरों की तैनाती की फिर कहां से हो रही चूक?
ऐसे होतीं शार्ट सर्किट की घटनाएं
लूज वायरिंग व कम गुणवत्ता के उपकरण घटना का कारण बनते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक प्रोटेक्शन डिवाइस एमसीबी (मिनिएचर सर्किट ब्रेकर) पर क्षमता से ज्यादा भार दे दिया जाता है। इसके अलावा अर्थिंग की व्यवस्था ठीक नहीं रखने से भी मुश्किल खड़ी होती है। वायर व केबिल का साइज सही न होने से भी विद्युत लोड अधिक पड़ता है। ऐसे में इंसुलेशन पिघलने को शार्ट सर्किट की प्रक्रिया कहते हैं।
हादसों के बाद टूटती तंद्रा
ऐसे तो सूरत के तक्षशिला कोचिंग इंस्टीट्यूट में लगी आग में बेगुनाह छात्रों की मौत का मामला अग्निकांड की दूसरी घटनाओं से अलग है। वर्ष 2017 में 15 जुलाई को लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कालेज में शार्ट सर्किट से आग लगी थी। उस घटना के बाद सरकार व संबंधित विभाग हरकत में आए थे। तत्कालीन मुख्य सचिव ने अग्निकांड को गंभीरता से लेते हुए एक सप्ताह बाद ही 27 जुलाई को सूबे के अस्पतालों व ऊंची इमारतों में विद्युत सुरक्षा मानकों की जांच के आदेश दिए थे। उस घटना के बाद सक्रिय हुक्मरान जांच भी किए लेकिन कार्रवाई की रफ्तार धीरे-धीरे ठंडी पड़ती गई।
गैर लाइसेंसियों से वायरिंग कराना खतरनाक
कामर्शियल भवनों में भी गैर लाइसेंसियों से विद्युत वायङ्क्षरग कराने का चलन कम खर्च होने के कारण बढ़ा है। शार्ट सर्किट की जड़ में असली वजह यही होती है। दरअसल, अप्रशिक्षित लाइनमैन को विद्युत लोड, उसे सहन करने वाले केबिल, तार, एमसीबी आदि उपकरणों की सही क्षमता का आकलन करने की परख नहीं होती।
विद्युत सुरक्षा विभाग के कायदे
विद्युत सुरक्षा विभाग ठेकेदारों को काम करने के लिए अधिकृत करता है। ठेकेदार के प्रशिक्षित लोग काम के बाद विद्युत सुरक्षा विभाग का बीएल फार्म देते हैं। कायदों का जमीन पर पालन हुआ तो विद्युत कार्यों में इतने मानक होंगे कि शार्ट सर्किट की आशंका ही नहीं बचेगी।
कैसे करें बचाव?
1-आग लगने पर भवन की बिजली तुरंत बंद कर दें।
2-विद्युत शार्ट सर्किट से आग लगे तो पानी कतई न डालें। ऐसा करना जानलेवा हो सकता है।
3-बिजली से लगी आग को बुझाने में रेत या फिर फायर इंस्टीग्यूशर का इस्तेमाल करें।
4-बिजली संबंधी कार्य रबर की चटाई, सूखी लकड़ी के तख्त पर खड़ा होकर ही करें।
5-मकान के मुख्य द्वार पर पॉवर सेंटर इत्यादि कभी न लगाएं।
यूपी में अग्निशमन विभाग खरीदेगा रेस्क्यू उपकरण
सूरत के कोचिंग सेंटर में हुई अग्निकांड की काली छाया यूपी पर न पड़े इसके लिए कवायद शुरू हो गई है। अग्निशमन विभाग जमीनी पड़ताल शुरू करने के साथ रेस्क्यू के हाईटेक उपकरण खरीदेगा। इसके लिए डीजीपी ओपी सिंह अग्निशमन विभाग को निर्देश दिए हैं। सब ठीक रहा तो रणनीति जल्द ही जमीन पर उतरेगी।
सूरत में अग्निकांड की घटना से पूरा देश मर्माहत है। लाजिमी भी कि कॅरियर को उड़ान देने पहुंचे मेधावियों को आग से बचने को जिंदगी दांव पर लगा दी। यूपी के पुलिस महानिदेशक ने ऐसी घटनाओं की रोकथाम को लेकर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मातहतों से मुखातिब हुए। उन्होंने अग्निशमन विभाग के पास उपलब्ध संसाधनों पर चर्चा की। रेस्क्यू को इमरजेंसी स्टेयर शूट, जंपिंग कूशन, मैट इत्यादि उपकरण खरीदने को कहा है। कांफ्रेंसिंग में पुलिस व अग्निशमन विभाग के उच्च अधिकारी थेे।
वर्जन
अग्निशमन विभाग बुधवार से कोचिंग सेंटरों की जांच शुरू करेगा। वहां आग की घटनाएं रोकने के मानकों को पूरा कराने के साथ ही कर्मचारियों, छात्रों को बचाव की ट्रेनिंग दी जाएगी।
अनिमेष सिंह
मुख्य अग्निशमन अधिकारी
व्यावसायिक कनेक्शन को एनओसी जरूरी : सिकंदर
विद्युत सुरक्षा के उपनिदेशक सिकंदर ने कहा है, व्यावसायिक प्रतिष्ठान में बिजली कनेक्शन के लिए एनओसी की जरूरत पड़ती है। छोटे कनेक्शन में विद्युत सुरक्षा विभाग से जुड़े लाइसेंसी ठेकेदार के वायरिंग सर्टिफिकेट बीएल फार्म से भी काम चल जाता है। बीएल फार्म पर लाइसेंसी ठेकेदार की संस्तुति के बाद भी जांच की जाती है। कहा कि कोई निजी आवास के कनेक्शन को एनओसी चाहता है, तो उसे आवेदन करना होगा।
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