Move to Jagran APP

अतिक्रमण दस्ते का दुकानदारों ने किया विरोध, विधायक ने डीआरएम से 25 मार्च तक मांगी मोहलत

वाराणसी के तुलसीपुर में उस समय हड़कंप मच गया जब मंगलवार को दिन में रेलवे प्रशासन अतिक्रमण तोड़ने के लिए दस्ते के साथ पहुंचा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 03 Mar 2020 05:54 PM (IST)Updated: Tue, 03 Mar 2020 07:03 PM (IST)
अतिक्रमण दस्ते का दुकानदारों ने किया विरोध, विधायक ने डीआरएम से 25 मार्च तक मांगी मोहलत
अतिक्रमण दस्ते का दुकानदारों ने किया विरोध, विधायक ने डीआरएम से 25 मार्च तक मांगी मोहलत

वाराणसी, जेएनएन। तुलसीपुर में उस समय हड़कंप मच गया जब मंगलवार को दिन में रेलवे प्रशासन अतिक्रमण तोड़ने के लिए अतिक्रमण दस्ता के साथ पहुंचा। काफी देर तक दुकानदारों व अतिक्रमण दल के बीच विवाद होता रहा। इस बीच कैंट के विधायक मौके पर पहुंचे और विवाद को सुलझाने का प्रयास किया। काफी देर बाद भी जब बात नहीं बनी तो डीआरएम से मुलाकत कर 25 मार्च के लिए मोहलत लेकर अतिक्रमण दस्‍ते को वापस भेज दिया।

loksabha election banner

अतिक्रमण को ध्वस्त करते वक्त स्थानीय दुकानदारों ने अतिक्रमण दस्ता का विरोध किया लेकिन भारी पुलिस बल होने के कारण अतिक्रमण दस्ता ने एक मकान के पूर्वी क्षेत्र का कुछ हिस्सा गिराया ही था कि तभी दुकानदारों ने कैंट के विधायक सौरभ श्रीवास्‍तव को मौके पर बुलाया और अपनी समस्या को बताई। इसके रेलवे प्रशासन व कैंट विधायक के बीच कई घंटों तक चर्चा होने के बाद भी बात न बनने पर कैंट विधायक डीआरएम कार्यालय पहुंचकर डीआरएम वीके पंजियार से मिले और 25 मार्च तक दुकानदारों को समय देने की मांग की जिस पर डीआरएम ने विधायक की बात मानते हुए दुकानदारों को 25 मार्च तक मोहलत दे दी। जिसके बाद अतिक्रमण दस्ता वापस लौट गया। अतिक्रमण दस्ते में सहायक मंडल नगर इंजीनियर एन के पाठक, सीनियर सेक्शन इंजीनियर वी के सिंह,एसीएम प्रथम रामसजीवन मौर्य,सीओ भेलूपुर सुधीर जायसवाल, थाना प्रभारी मंडुआडीह राहुल शुक्ल, आरपीएफ, पीएसी, समेत लोग मौजूद रहे।

1958 में रेलवे ने अपने हिस्से की जमीन ले ली

तुलसीपुर की महिलाओं का आरोप रहा है अतिक्रमण दस्ता ने उनसे दुर्व्यवहार किया जिसकी जानकारी दुकानदारों ने विधायक को दी। अतिक्रमण दस्ता के पहुंचने पर स्थानीय दुकानदारों का आरोप रहा कि 1958 में रेलवे ने अपने हिस्से की जमीन ले ली है। कृष्णा प्रसाद गुप्ता ने कहा कि जिसका मुआवजा दस हजार सात सौ रुपये हमारे पिता स्व गुलाब साव को दिया था। आगे की रणनीति के लिए स्‍थानीय लोग तैयारी में जुट गए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.