अतिक्रमण दस्ते का दुकानदारों ने किया विरोध, विधायक ने डीआरएम से 25 मार्च तक मांगी मोहलत
वाराणसी के तुलसीपुर में उस समय हड़कंप मच गया जब मंगलवार को दिन में रेलवे प्रशासन अतिक्रमण तोड़ने के लिए दस्ते के साथ पहुंचा।
वाराणसी, जेएनएन। तुलसीपुर में उस समय हड़कंप मच गया जब मंगलवार को दिन में रेलवे प्रशासन अतिक्रमण तोड़ने के लिए अतिक्रमण दस्ता के साथ पहुंचा। काफी देर तक दुकानदारों व अतिक्रमण दल के बीच विवाद होता रहा। इस बीच कैंट के विधायक मौके पर पहुंचे और विवाद को सुलझाने का प्रयास किया। काफी देर बाद भी जब बात नहीं बनी तो डीआरएम से मुलाकत कर 25 मार्च के लिए मोहलत लेकर अतिक्रमण दस्ते को वापस भेज दिया।
अतिक्रमण को ध्वस्त करते वक्त स्थानीय दुकानदारों ने अतिक्रमण दस्ता का विरोध किया लेकिन भारी पुलिस बल होने के कारण अतिक्रमण दस्ता ने एक मकान के पूर्वी क्षेत्र का कुछ हिस्सा गिराया ही था कि तभी दुकानदारों ने कैंट के विधायक सौरभ श्रीवास्तव को मौके पर बुलाया और अपनी समस्या को बताई। इसके रेलवे प्रशासन व कैंट विधायक के बीच कई घंटों तक चर्चा होने के बाद भी बात न बनने पर कैंट विधायक डीआरएम कार्यालय पहुंचकर डीआरएम वीके पंजियार से मिले और 25 मार्च तक दुकानदारों को समय देने की मांग की जिस पर डीआरएम ने विधायक की बात मानते हुए दुकानदारों को 25 मार्च तक मोहलत दे दी। जिसके बाद अतिक्रमण दस्ता वापस लौट गया। अतिक्रमण दस्ते में सहायक मंडल नगर इंजीनियर एन के पाठक, सीनियर सेक्शन इंजीनियर वी के सिंह,एसीएम प्रथम रामसजीवन मौर्य,सीओ भेलूपुर सुधीर जायसवाल, थाना प्रभारी मंडुआडीह राहुल शुक्ल, आरपीएफ, पीएसी, समेत लोग मौजूद रहे।
1958 में रेलवे ने अपने हिस्से की जमीन ले ली
तुलसीपुर की महिलाओं का आरोप रहा है अतिक्रमण दस्ता ने उनसे दुर्व्यवहार किया जिसकी जानकारी दुकानदारों ने विधायक को दी। अतिक्रमण दस्ता के पहुंचने पर स्थानीय दुकानदारों का आरोप रहा कि 1958 में रेलवे ने अपने हिस्से की जमीन ले ली है। कृष्णा प्रसाद गुप्ता ने कहा कि जिसका मुआवजा दस हजार सात सौ रुपये हमारे पिता स्व गुलाब साव को दिया था। आगे की रणनीति के लिए स्थानीय लोग तैयारी में जुट गए।