शिवपाल यादव ने सपा में पार्टी के विलय को नकारा, आगामी चुनाव में गठबंधन की जताई संभावना
सपा मुखिया अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के बीच दूरियां अब भी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं हालांकि दोनों ही करीब आए हैं।
बलिया, जेएनएन। सपा मुखिया अखिलेश यादव और चाचा शिवपाल यादव के बीच दूरियां अब भी कम होने का नाम नहीं ले रही हैं हालांकि दोनों ही करीब आए हैं। इस बात की तस्दीक भी रविवार को बलिया के रसड़ा में पहुंचे शिवपाल यादव ने भी की। हालांकि दोनों दलों के विलय की संभावनाएं शिवपाल यादव ने पूरी तरह खारिज करते हुए गठबंधन की संभावना जता कर रिश्तों पर जमी बर्फ को पिघला दिया।
प्रगतिशील समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने आगामी विधान सभा चुनाव के पूर्व सपा में पार्टी के विलय की संभावनाआें को एक सिरे से खारिज करते हुए कहा कि चुनाव में मेरी पार्टी सपा से गठबंधन कर सकती है। उन्होंने कहा कि सपा के विघटन के पश्चात उन्होंने पार्टी को एकजुट रखने का काफी प्रयास किया था लेकिन कुछ चाटुकारों के चलते बात नहीं बनी और मुझे विवश होकर अलग पार्टी बनानी पड़ी। वे रविवार को डा. पीएन यादव के छितौनी-रसड़ा आवास पर पत्रकारों से वार्ता करते हुए यह बात कही।
इसके पूर्व गाजीपुर जिले से चलकर रसड़ा पहुंचे शिवपाल यादव का कार्यकर्ताआें ने फूल-मालाआें से जोरदार तरीके से अभिवादन किया। उन्होंने कहा कि मेरा प्रयास होगा कि पार्टी का गठबंध सपा से हो। एेसा संभव न होने पर वे समान विचार वाले दलों से गठबंधन कर सकते हैं। अयोध्या मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार में रहते उन्होंने इस विवाद को बाचीत से झुलझा लिए जाने का आग्रह किया था लेकिन कुछ लोगों ने इसका विरोध किया।
कहा कि हम चाहते हैं कि अब भी यह मुद्दा समाप्त हो जाय और देश में शांति व सद्भाव बना रहा। उन्होंने भाजपा के केंद्र व प्रदेश सरकार को जन विरोधी करार देते हुए कहा कि आज जनता महंगाई, बेरोजगारी से जूझ रही है। जनता को चाहिए कि एेसी सरकार को उखाड़ फेंके। इस मौके पर कार्यकर्ताआें से बात करते हुए उन्होंने पार्टी को एकजुट रखने और संगठन को सशक्त बनाने का आह्वान किया और कहा कि कार्यकर्ता पार्टी की रीढ़ हैं और इन्हीं के बल पर भाजपा के मंसूबों को ध्वस्त किया जायेगा।