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SP Balasubrahmanyam Dies : काशी में एसपी बाला सुब्रह्मण्यम ने स्‍थापित किया था शिवलिंग, एक इच्‍छा रह गई अधूरी

एसपी बाला सुब्रह्मण्यम आज भले ही हम सभी के बीच न हों लेकिन काशी में उनके द्वारा स्‍थापित शिवलिंग की पूजा आज भी होती है। अगस्‍त 2017 में उनके संक्षिप्‍त काशी प्रवास में भी धार्मिक और आध्‍यात्मिकता के साथ ही संगीत साधना का भी समावेश था।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 03:35 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 10:25 PM (IST)
SP Balasubrahmanyam Dies : काशी में एसपी बाला सुब्रह्मण्यम ने स्‍थापित किया था शिवलिंग, एक इच्‍छा रह गई अधूरी
गायक एस पी बाला सुब्रह्मण्यम ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के बाद शिवलिंग की स्‍थापना की थी।

वाराणसी, जेएनएन। एसपी बाला सुब्रह्मण्यम आज भले ही हम सभी के बीच न हों लेकिन काशी में उनके द्वारा स्‍थापित शिवलिंग की पूजा आज भी होती है। अगस्‍त 2017 में उनके संक्षिप्‍त काशी प्रवास में भी धार्मिक और आध्‍यात्मिकता के साथ ही संगीत साधना का भी समावेश था। लोगों संग जहां उन्‍होंने अपनत्‍व दिखाते हुए तस्‍वीरें भी खिंचाई तो वहीं मंदिर में शिवलिंग की जो स्‍थापना की उसका पूजन आज भी किया जाता है।

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दरअसल काशी के चिंतामणि गणेश मंदिर में प्रख्यात गायक एस पी बाला सुब्रह्मण्यम ने श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन के बाद शिवलिंग की स्‍थापना की थी। मंदिर के महंत चल्ला सुब्बाराव के अनुसार काशी में शिवलिंग की स्थापना करना उनकी काफी पुरानी इच्छा थी। अपने काशी प्रवास के दौरान उन्‍होंने अपनी इच्‍छा भी पूरी की और इस दौरान मंदिर में सपत्नीक तीन दिनों तक रहे और मंदिर में शिवलिंग की जो स्‍थापना की उसकी पूजा आज भी काशी में की जाती है। इस दौरान चिंतामणि गणेश मंदिर में शिव लिंग की स्थापना के समय पत्नी सावित्री सुब्रह्मण्यम और मंदिर के महंत चल्ला सुब्बाराव व उनकी पत्नी सी बाला सूर्यमणि के साथ उन्‍होंने तस्‍वीरें भी खिंचवायी थीं।

 

... और इच्‍छा रह गई अधूरी

अपने मंदिर स्‍थापना के दौरान काशी में प्रवास के दौरान जागरण से उन्‍होंने अपने काशी प्रवास पर चर्चा करते हुए बताया था कि उनकी और परिवार की भी इच्‍छा काशी आने और यहां भगवान शिव के लिए शिवलिंग स्‍थापना करना चाह रहे थे। इसके लिए वह सपरिवार काशी के चिंतामणि गणेश मंदिर में शिवलिंग स्थापना के लिए आए और उन्‍होंने इससे पूर्व काशी विश्‍वनाथ दरबार में भी हाजिरी लगाई थी। मंदिर स्‍थापना के दौरान वैदिक रीति रिवाजों के अनुसार उन्‍होंने अपनी पत्नी सावित्री देवी के साथ विधि विधान पूर्वक शिवलिंग की स्‍थापना की और जलाभिषेक कर काशी की शिव पूजन की परंपरा का भी निर्वहन किया। उन्होंने इस दौरान वायदा किया था कि इस बार वह पारिवारिक काम से काशी आए हैं अगली बार जब आएंगे तो प्रस्तुतियां भी देंगे। हालांकि उनकी यह इच्‍छा अधूरी रह गई।

बनारसी कचौड़ी-जलेबी का स्वाद मन को भा गया

अपने तीन दिनों के काशी प्रवास के दौरान वह सुबह जब काशी विश्वनाथ का दर्शन करने गए तो बहुत ही अभिभूत थे। साथ चल रहे चिंतामणि गणेश मंदिर के महंत चल्ला सुब्बा राव ने यहां के कचौड़ी और जलेबी की विशेषता बताई। लौटते समय उन्होंने इनका स्वाद चखा और बनारस की कई गलियों में भ्रमण किया। जाते समय उन्‍हाेंने कहा था वाकई में बनारस का मिजाज और खानपान लाजवाब है।


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