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षटतिला एकादशी 2022 : तिल में सहेजा हुआ है ऊष्मा का संसार, 28 जनवरी को षटतिला एकादशी बनेगा आधार

Shattila Ekadashi 2022 षटतिला एकादशी व्रत में मन की शुद्धि के साथ ही आरोग्य का भी इंतजाम है। यह पर्व माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। एकादशी तिथि गुरुवार को रात 10.29 बजे लग रही है जो शुक्रवार को रात 8.28 बजे तक रहेगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 03:35 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 03:35 PM (IST)
षटतिला एकादशी 2022 : तिल में सहेजा हुआ है ऊष्मा का संसार, 28 जनवरी को षटतिला एकादशी बनेगा आधार
एकादशी तिथि गुरुवार को रात 10.29 बजे लग रही है जो शुक्रवार को रात 8.28 बजे तक रहेगी।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। सूर्यदेव के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही कठुआया मौसम गरमाहट पाने लगता है। मौसम के इस संक्रमण काल में सब कुछ बदला बदला सा नजर आता है। मन मिजाज के साथ ही त्वचा पर भी इसका असर नजर आता है। हमारे संतों-मुनियों व ऋषियों ने तीज-त्योहारों के जरिए इनसे राहत के विधान किए हैं। इस दृष्ट से ही खान पान के प्रविधान करते हुए इन्हें मकर संक्रांति, गणेश चतुर्थी और बिसरते त्योहार षटतिला एकादशी में भी जोड़ा गया है। वास्तव में षटतिला एकादशी व्रत में मन की शुद्धि के साथ ही आरोग्य का भी इंतजाम है। यह पर्व माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। एकादशी तिथि गुरुवार को रात 10.29 बजे लग रही है जो शुक्रवार को रात 8.28 बजे तक रहेगी। इस तरह श्रीहरि को समर्पित इस पर्व के मान विधान शुक्रवार को पूरे किए जाएंगे।

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मान्यता है कि तिल की उत्पत्ति शिव के रोम कणों से हुई है। षडतिला का अर्थ तिल का छह कर्मो में उपयोग करना है। ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार षडतिला एकादशी पर तिल के जल में डालकर स्नान, तिल के उबटन का लेपन, तिल युक्त जल का पान, रात में तिल युक्त लड्डू का सेवन, तिल दान और तिल से हवन किया जाता है। धर्म शास्त्रों में भी सफेद तिल युक्त जल से स्नान और भोजन में उपयोग का उल्लेख है। दान में जितने तिलों की संख्या होती है, उतने युगों तक मनुष्य बैकुंठ या वैष्णव लोक में निवास करता है। इस व्रत को करने से जन्म जन्मांतर तक आरोग्यता, प्रचुर लक्ष्मी, ऐश्वर्य और नाना प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं। पर्व पर तिल का स्नान और भगवान जनार्दन का पूजन उनके मंत्रों से करना चाहिए।

ज्योतिषाचार्य पं. विमल जैन के अनुसार तिथि विशेष पर सुबह दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर गंगा स्नान करना चाहिए। अपने आराध्य देव की पूजा आराधना कर षडतिला एकादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। साथ ही व्रत पूर्वक श्रीहरि की आराधना-साधना करनी चाहिए। इसमें ओम् श्री विष्णवे नमः व ओम नमो भगवते वासुदेव का अधिक से अधिक संख्या में जप करना चाहिए। इसके साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम, श्रीविष्णु चालीसा, श्री पुरुष सूक्त और श्रीहरि विष्णु से संबंधित पाठ करने चाहिए।


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