शारदीय नवरात्र ; षष्ठी के दिन मां कात्यायनी स्वरुप के दर्शन के लिए विंध्यधाम में उमड़ी भक्तों की भीड़
नवरात्र के षष्ठम दिवस पर मां कात्यायनी स्वरुप का पूजन करने के लिए मां विंध्यवासिनी धाम में शुक्रवार भोर से ही लाइन लग गई।
मीरजापुर, जेएनएन। नवरात्र के षष्ठम दिवस पर मां कात्यायनी स्वरुप का पूजन करने के लिए मां विंध्यवासिनी धाम में शुक्रवार भोर से ही लाइन लग गई। भोर से लेकर देर रात तक दर्शन पूजन का सिलसिला चलता रहा। इस दौरान करीब तीन लाख श्रद्धालुओं ने मां के दरबार में हाजिरी लगाई जो इस नवरात्र का रिकार्ड है। नवरात्र के छठवें दिन भक्तों की भीड़ देखकर सुरक्षा व्यवस्था में तैनात पुलिस के भी पसीने छूट गए।
नवरात्र के पावन महीने में विंध्याचल धाम पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या शुक्रवार को सबसे ज्यादा रही और करीब तीन लाख लोगों ने मां विंध्यवासिनी, मां अष्टभुजा व कालीखोह के दर्शन किए। गंगा घाट पर भोर से महिलाओं व पुरुषों का तांता लगा रहा। एक लाइन जयपुरिया गली से लगी जो गेट नंबर एक से प्रवेश पर मां के दर्शन कर रही थी वहीं दूसरी लाइन वीवीआइपी रोड से लगी जिनको गेट नंबर दो प्रवेश कराया जा रहा था। वहीं तीसरी लाइन भी कोतवाली रोड से लगी जिसका प्रवेश गेट नंबर दो से कराया गया। वहीं पाठक की गली से लगी भक्तों की लाइन मां की झांकी दर्शन पाक निहाल हो उठी। बिहार के मधुबनी जिले के मूल निवासी व वर्तमान में नोएडा में रहने वाले निशांत मिश्रा ने बताया कि मां के दर्शन की इच्छा काफी दिनों से रही जो अब जाकर पूरी हो रही है। वहीं गंगा घाटों पर अस्थायी शौचालय की व्यवस्था न हो पाने के कारण भक्तों को काफी दिक्कतों का भी सामना करना पड़ रहा है। इस बार बाढ़ की वजह से हर बार बनने वाले 150 अस्थायी शौचालय नहीं बन पाए हैं जो यहां आने वाले भक्तों के लिए परेशानी का सबब है।
धर्म, अर्थ, काम व मोक्ष की प्राप्ति
नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है जिनकी कृपा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। नवरात्र का छठवां दिन माता कात्यायनी की उपासना का दिन होता है। इनकी पूजा-साधना से अछ्वुत शक्ति का संचार होता है और मनुष्य शत्रुओं को संहार करने में सक्षम हो जाता है। माता के भक्त पुजारी बताते हैं कि माता कात्यायनी का ध्यान गोधुली बेला में करना चाहिए। प्रत्येक साधक के लिए आराधना योग्य श्लोक सरल और स्पष्ट है। मां जगदम्बे की भक्ति साधना पाने के लिए उन मंत्रों को कंठस्थ कर नवरात्रि में छठवें दिन जाप करना चाहिए।
अष्टभुजा मंदिर व कालीखोह में भीड़
विंध्यवासिनी मंदिर के अलावा अष्टभुजा मंदिर के पास बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था न होने से परेशानी हो रही है। शुक्रवार को अष्टभुजा व कालीखोह पहुंचनेे वाले श्रद्धालुओं ने भी इसे लेकर नाराजगी जताई क्योंकि बिजली गुल होने के बाद दर्शन पूजन मेें दिक्कत होती है। इस बार के नवरात्र में तैयार होने वाला रोप वे भी लेटलतीफी की भेंट चढ़ गया और दूर दराज से आने वाले श्रद्धालु इसे निराश भाव से देखते रहे। राजगढ़ ब्लाक के कम्हरिया गांव से आए दंपति ने कहा कि रोप वे चलता तो इससे यहां के प्राकृतिक नजारे का तुल्फ उठाया जाता।
नौ दिन का पाठ कर रहे साधक
नवरात्र के दौरान मां ङ्क्षवध्यवासिनी के धाम में नौ दिनों तक साधना करने वालों की कमी नहीं है। मंदिर के छत पर हवन कुंड के पास साधकों को तपस्या में लीन देखा जा सकता है। यहां दूर-दूर से हर नवरात्र साधक आते हैं और मां की पूजा अर्चना, विधि विधान से करते हैं। कई साधक ऐसे भी हैं जो देश-विदेश में बैठे मां के भक्तों को भी मोबाइल फोन से साधना में शामिल करते हैं। कई बार वीडियो कालिंग के माध्यम से भी भक्त मां के धाम का दर्शन कर कृतार्थ हो रहे हैं।
नवरात्र में आरती का समय
मंगला आरती : प्रात:काल तीन से चार बजे
दोपहर आरती : 12 से एक बजे तक
संध्या आरती : सवा सात से सवा आठ बजे तक
रात्रि आरती : साढ़े नौ से साढ़े दस बजे तक
मंदिर दर्शन : चौबीसों घंटे खुला