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Sharad Poornima 2020 : आज की रात होगी अमृत की बरसात, 30 को कोजागरी और 31 को स्नान-दान

शरद पूर्णिमा इस बार दो दिन पड़ रही है। पहले दिन 30 अक्टूबर को आरोग्य-ऐश्वर्य व सुख-समृद्धि कामना का पर्व शरद पूर्णिमा व कोजागरी महोत्सव मनाया जाएगा। दूसरे दिन 31 अक्टूबर को स्नान-दान व्रत के साथ ही कोजागरी व्रत की पूर्णिमा भी मनाई जाएगी।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 02:32 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 09:31 AM (IST)
Sharad Poornima 2020 : आज की रात होगी अमृत की बरसात, 30 को कोजागरी और 31 को स्नान-दान
शरद पूर्णिमा इस बार दो दिन पड़ रही है।

वाराणसी, जेएनएन। आश्विन शुक्ल पूर्णिमा को सनातन धर्म मेें शरद पूर्णिमा की मान्यता है। पूर्णिमा इस बार दो दिन पड़ रही है। पहले दिन 30 अक्टूबर को आरोग्य-ऐश्वर्य व सुख-समृद्धि कामना का पर्व शरद पूर्णिमा व कोजागरी महोत्सव मनाया जाएगा। दूसरे दिन 31 अक्टूबर को स्नान-दान, व्रत के साथ ही कोजागरी व्रत की पूर्णिमा भी मनाई जाएगी। इसके साथ कार्तिक पर्यंत चलने वाले स्नान-दान, व्रत, यम-नियम का सिलसिला शुरू हो जाएगा। इसका समापन 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर होगा।

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ख्यात ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार पूर्णिमा तिथि 30 अक्टूबर को शाम 5.26 बजे लग रही है जो 31 अक्टूबर को शाम 7.31 बजे तक रहेगी। शास्त्र सम्मत है कि शरद पूर्णिमा पर प्रदोष व निशीथ काल में होने वाली पू?णमा ली जाती है। वहीं कोजागरी व्रत पू?णमा निशीथ व्यापिनी होनी चाहिए। अत: शरद पू?णमा और कोजागरी व्रत की पूर्णिमा 30 अक्टूबर को ही मनाई जाएगी।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष में सिर्फ एक बार शरद पू?णमा पर ही चंद्रमा षोडश कलाओं से युक्त और उसकी किरणों से अमृत वर्षा होती है। आयुर्वेद शास्त्र ने नक्षत्राधिपति चंद्रमा को औषधियों का स्वामी माना है। मान्यता है कि इस रात चंद्र किरणों में औषधीय अमृत गुण आ जाता है। इसके सेवन से जीवन शक्ति मजबूत होती है। इन विशेषताओं के कारण शृंगार रस के साक्षात स्वरूप प्रभु श्रीकृष्ण ने इसे रासोत्सव के लिए उपयुक्त माना।

काशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. राम नारायण द्विवेदी के अनुसार शरद पूर्णिमा की सुबह आराध्य देव को श्वेत वस्त्राभूषण से सज्जित कर पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन-अर्चन करना चाहिए। रात में गाय के दूध की घी-मिष्ठान मिश्रित खीर प्रभु को अर्पित करनी चाहिए। मध्याकाश में स्थित पूर्ण चंद्रमा का पूजन करना चाहिए।

काशी हिंदू विश्वविद्यालय में ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय के अनुसार माना जाता है कि शरद पू?णमा की रात देवी लक्ष्मी ऐरावत पर सवार हो पृथ्वीलोक पर भ्रमण के लिए आती हैं और पूछती हैैं- को जागृयेति। व्रत व भजन-पूजन के साथ रतजगा कर रहे भक्तों को यश-कीर्ति व समृद्धि का आशीष देती हैैं। इस पूजा को कोजागरी उत्सव के नाम से जाना जाता है।

तिथि विशेष पर ऐरावत पर सवार भगवान इंद्र व माता लक्ष्मी का पूजन और उपवास करना चाहिए। रात में सविधि पूजन कर घर-बाहर, मंदिरों में यथा शक्ति दीप जलाना चाहिए। प्रात:काल इंद्र-लक्ष्मी का पूजन कर ब्राह्मणों को खीर का भोजन करा कर वस्त्रादि-दक्षिणा देनी चाहिए। इस दिन दुर्गोत्सव की पूरक पूजा के रूप में लक्ष्मी पूजन (लक्खी पूजा) का विधान है। कार्तिक मास महोत्सव आश्विन पूर्णिमा से ही शुरू हो जाता है। साथ ही देव-पितरों और अमर शहीदों के पथ प्रदर्शन की कामना से आकाश दीप प्रज्ज्वलन का श्रीगणेश हो जाता है।


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