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यूपी के पहले अत्याधुनिक तकनीक से वाराणसी में बने एसटीपी में इटली, अमेरिका व जापान के उपकरणों से सीवेज शोधन

गंगा नदी के पानी को शुद्ध करने के लिए रामनगर में उत्तर प्रदेश का पहला अत्याधुनिक तकनीक से बने एसटीपी बनकर तैयार हो गया है। इसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को किया। प्लांट का निर्माण नवीनतम ए2ओ (एनोरोबिक-एनोक्सिक- आक्सिक)तकनीक पर कराया गया है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 09:10 AM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 09:10 AM (IST)
यूपी के पहले अत्याधुनिक तकनीक से वाराणसी में बने एसटीपी में इटली, अमेरिका व जापान के उपकरणों से सीवेज शोधन
रामनगर में उत्तर प्रदेश का पहला अत्याधुनिक तकनीक से बने एसटीपी बनकर तैयार हो गया है।

वाराणसी, संजय यादव। गंगा नदी के पानी को शुद्ध करने के लिए रामनगर में उत्तर प्रदेश का पहला अत्याधुनिक तकनीक से बने एसटीपी बनकर तैयार हो गया है। इसका लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को किया। प्लांट का निर्माण नवीनतम ए2ओ (एनोरोबिक-एनोक्सिक- आक्सिक)तकनीक पर कराया गया है। एसटीपी की खासियत यह है कि यहां इटली के फिल्टर,अमेरिका व जापान के आधुनिक उपकरण से गंदा पानी शुद्ध होकर गंगा नदी में गिरेगा। वहीं मुख्य पंपिंग स्टेशन की क्षमता दस एमएलडी होगी।

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परियोजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी ने 12 नवंबर 2018 को किया गया था

विभाग का दावा है कि इस तरह का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट हैदराबाद में बना है और अब पीएम के संसदीय क्षेत्र रामनगर में। प्लांट को बनाने में 72.91 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। नगर की करीब 50 हजार जनसंख्या लाभान्वित हुई हैं। पांच नालों का गंदा पानी सीधे गंगा नदी में जा रहा था। इस कारण गंगा नदी का पानी दूषित हो रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी सांसद बनने के बाद कई योजनाओं ने मूर्तरूप लिया। पतित पावनी गंगा नदी को शुद्ध करने के लिए मुहिम छेड़ दी गई। नदी के पानी शुद्ध करने के लिए जुलाई 2017 में परियोजना बनाई गई थी। परियोजना में पांच नालों को जोडऩे और रूट बदलकर कार्य किया गया है।

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण कार्य व उनका 15 वर्षों तक संचालन और रखरखाव किया जाएगा। परियोजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी ने 12 नवंबर 2018 को किया गया था। परियोजना पूर्ण होने के बाद सीवेज का वर्तमान मानक के अनुरूप शोधन कर गंगा नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। जिससे गंगा नदी के प्रदूषण स्तर में कमी आई है। इटली से मंगाया गया फिल्टर गंदा पानी को शुद्ध करेगा। इसके बाद जापान से आए मुख्य पंपिंग स्टेशन के जरिए गंगा नदी में जाएगा। वहीं यूरिटेक कंपनी ने अमेरिका से भी कुछ उपकरण मंगवाकर लगाया है।


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