Serial Blast Case : आज ही के दिन 23 नवंबर 2007 को कचहरी में हुआ था बम धमाका
13 साल पूर्व हुए सीरियल ब्लास्ट कांड का अभी तक न तो कोई खुलासा हुआ और न ही किसी की गिरफ्तारी हो सकी है। जबकि कचहरी में आज भी सुरक्षा न के बराबर होने से चिंता जस की तस है।
वाराणसी, जेएनएन। देश भर में आज से 13 वर्ष पूर्व फैजाबाद और लखनऊ के साथ ही वाराणसी की कचहरी में सीरियल बम धमाकों ने पुलिस प्रशासन को चुनौती पेश की थी। कचहरी में 23 नवंबर 2007 को जोरदार बम धमाका हुआ था। इस धमाके में तीन अधिवक्ताओं समेत नौ लोगों की मौत हो गई थी। जबकि 50 से ज्यादा लोग जख्मी हो गए थे।
आतंकी घटनाओं को लेकर पुलिस व प्रशासन बड़ा है सजग है लेकिन सच्चाई इसके ठीक उलट ही है। इसका जीता - जागता उदाहरण इस बात से मिलता है कि कचहरी में 13 साल पूर्व हुए सीरियल ब्लास्ट कांड का अभी तक न तो कोई खुलासा हुआ और न ही किसी की गिरफ्तारी हो सकी है। जबकि कचहरी में आज भी सुरक्षा न के बराबर होने से चिंता जस की तस है। जबकि सोमवार की दोपहर में अधिवक्ताओं ने मृतकों को श्रद्धांजलि भी दी।
कैंट थाने में अज्ञात आरोपितों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 307, 324, 326, 427 के साथ ही 3/4/5 विस्फोटक अधिनियम और 15/16 विधि विरूद्ध क्रियाकलाप अधिनियम 2004 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। एक सप्ताह बाद ही मामले की विवेचना लखनऊ स्थानांतरित करते हुए इसकी जिम्मेदारी एटीएस को दे दी गयी थी। वाराणसी समेत फैजाबाद व लखनऊ की कचहरी में भी उसी दिन ब्लास्ट हुए थे। इस मामले में एटीएस व स्पेशल टॉस्क फोर्स ने दो आरोपितों खालिद मुजाहिद व तारिक को तो गिरफ्तार किया था लेकिन उन दोनों पर केवल फैजाबाद व लखनऊ ब्लास्ट का आरोप था। यहां की घटना के गुनाहगारों का आज तक कोई पता नहीं चल सका।
हालांकि, इस ब्लास्ट के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री ने आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के लिये एंटी टेरेरिस्ट एक्वायड (एटीएस) का गठन किया था। पुलिस व प्रशासन घटना के बाद से ही लगातार मामले का जल्द से जल्द खुलासा करने की बात कहती रही है लेकिन सच्चाई यह है कि आज तक पुलिस को गुनहगारों के बारे में कोई सुराग तक नहीं मिल पाया है। पीडित हर बरस इंसाफ की आस लगाए कानून की ओर देखते हैं लेकिन कहीं से भी उनको इंसाफ नहींं मिल सका है।