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SARS-CoV-2 Viral Mutations: कोरोना संक्रमण रुके, अन्यथा घातक होंगे नए म्युटेशन

SARS-CoV-2 Viral Mutations इतिहास से सीखना होगा। जितना अधिक तेज संक्रमण होगा वायरस के म्यूटेट होने की आशंका उतनी ही बलवती होगी। इसीलिए सबसे जरूरी है हर दिन हर क्षण संक्रमण को रोकना। इसके लिए हमें टीका लगवाने के साथ कोविड अनुकूल व्यवहार करते रहना होगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Mon, 19 Apr 2021 10:39 AM (IST)Updated: Mon, 19 Apr 2021 10:46 AM (IST)
SARS-CoV-2 Viral Mutations: कोरोना संक्रमण रुके, अन्यथा घातक होंगे नए म्युटेशन
मास्क और सैनिटाइजर का अधिकाधिक प्रयोग करें, जो लॉकडाउन से ज्यादा प्रभावी है।

प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे। SARS-CoV-2 Viral Mutations महामारी की भेंट चढ़ चुका वर्ष 2020 जाते-जाते कोरोना के नए वैरिएंट दे गया। ब्रिटेन में मिले पहले मामले के बाद ही यह सुगबुगाहट हो चली थी कि तीन-चार माह बाद यह गुबार फूटेगा जरूर, मगर बीते साल के अनुभवों का हम लाभ उठाएंगे, यह भी भरोसा था। महामारी के मानकों का पालन करना छोड़कर जब हम सामान्य जीवन की तरफ लौट चले थे, नए वैरिएंट का बड़ा स्वरूप हमारे बीच आ चुका था। किसी भी महामारी को एक बड़ी आबादी के बीच पनपने में कम से कम इतना समय लगता ही है। अब जबकि कोरोना वायरस के अधिकेंद्र के रूप में भारत में दूसरी लहर सारे रिकॉर्ड तोड़ने को आतुर है, हमें दोषारोपण करने के बजाय इससे बचाव की पहल करनी चाहिए।

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इसके लिए सबसे पहले हमें मृत्यु दर को एक फीसद से नीचे करना होगा। पिछली लहर में जून तक मृत्यु दर तीन फीसद थी, जो दिसंबर में घटकर 1.45 फीसद हो गई। इसके पीछे हमारी और सरकार की सजगता, कोरोना योद्धाओं जैसे स्वास्थ्यकíमयों की मजबूती प्रमुख कारण थे। दूसरी लहर में देखें तो मृत्यु दर कम ही है। वर्तमान में समग्र मृत्युदर 1.21 फीसद है, जो समय के साथ घट रही है। साथ ही दो लाख से ज्यादा लोग रोजाना संक्रमित हो रहे हैं, तो हमें अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं को चुस्त-दुरुस्त रखना है, ताकि यह दर बढ़ने न पाए। राज्यवार स्थिति देखें तो महाराष्ट्र में महामारी अपने चरम पर जाती प्रतीत हो रही है। साथ ही वहां ठीक होने की दर भी बढ़ने लगी है। समस्त उत्तर व मध्य भारत में संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है।

कोरोना की दूसरी लहर में सबसे जरूरी है वायरस सíवलांस, जो बता सके कि किस जगह कौन सा वैरिएंट कोरोना विस्फोट का कारण बन रहा है। इससे वहां जरूरत के मुताबिक सटीक कदम उठाने में मदद मिलेगी। साथ ही इतिहास से सीख लेनी होगी कि संक्रमण के बीच आने वाली बाधाओं से बचने के लिए वायरस तेजी से परिवíतत (म्यूटेट) होते रहते हैं। जितना अधिक संक्रमण, उतना ही ज्यादा वायरस में म्यूटेशन। इसीलिए सबसे जरूरी है हर दिन, हर क्षण संक्रमण को रोकना। यह युक्ति न केवल वायरस के नए व जानलेवा म्यूटेशन को कम करेगी, नए वैरिएंट्स पर भी लगाम लगाएगी। शुरुआत में सरकार द्वारा जब टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा था, वैक्सीन को लेकर तमाम भ्रांतियां नगरीय व खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में फैलने लगी थीं। टीकाकरण में तेजी तब आई, जब वायरस की आक्रामकता बढ़ी। आज कोरोना वायरस से लड़ने का कोई कारगर हथियार हमारे पास है, तो वैक्सीन है। वैक्सीन भले ही 80-90 फीसद तक संक्रमण से बचाने में कारगर हो, यह स्पष्ट है कि टीका लगवाने के तय समय के बाद हमें गंभीर संक्रमण या मौत से 100 फीसद सुरक्षा देगी।

 

अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल द्वारा टीका लगवा चुके 7.7 करोड़ लोगों पर किए गए अध्ययन में मात्र 5800 लोगों में संक्रमण पाया गया, जिसका प्रभाव मामूली था। गर्व की बात है कि 2017 से पूरे विश्व की 60 फीसद से ज्यादा वैक्सीन का उत्पादन भारत में हो रहा है। देश में कोरोना वैक्सीन की पर्याप्त मात्र उपलब्ध है। पूरी जनसंख्या के नौ फीसद लोगों ने कम से कम एक डोज ले ली है, जबकि सरकार का लक्ष्य जुलाई तक कम से कम 25 फीसद लोगों का टीकाकरण करना है। हमें न सिर्फ टीका लगवाना है, आसपास के लोगों को प्रेरित भी करना है। यह लड़ाई थोड़ी लंबी चलने वाली है, इसलिए मास्क और सैनिटाइजर का अधिकाधिक प्रयोग करें, जो लॉकडाउन से ज्यादा प्रभावी है।

[जीन विज्ञानी, जंतु विज्ञान विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय, वाराणसी]


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