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व्यापारी के रहमोकरम पर जिंदा हैं सारनाथ के वन्यजीव, 35 लाख का प्रस्ताव बना कर भेजा गया मुख्यालय

सारनाथ स्थित पक्षी विहार के वन्य जीव 11 माह से व्यापारी के रहमोकरम पर जिंदा हैं। वहीं इनके उपचार के लिए एक वन कर्मी पैसे खर्च करता है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Mon, 28 Oct 2019 02:06 PM (IST)Updated: Mon, 28 Oct 2019 02:06 PM (IST)
व्यापारी के रहमोकरम पर जिंदा हैं सारनाथ के वन्यजीव, 35 लाख का प्रस्ताव बना कर भेजा गया मुख्यालय
व्यापारी के रहमोकरम पर जिंदा हैं सारनाथ के वन्यजीव, 35 लाख का प्रस्ताव बना कर भेजा गया मुख्यालय

वाराणसी, जेएनएन। सारनाथ स्थित पक्षी विहार के वन्य जीव 11 माह से व्यापारी के रहमोकरम पर जिंदा हैं। वहीं इनके उपचार के लिए एक वन कर्मी पैसे खर्च करता है। वन्यजीवों पर प्रतिमाह 2 लाख रुपये खर्च होते हैं।

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 मिनी जू में 109 चीतल, काले हिरन आठ, ऑस्ट्रेलिया का काका टिल, गोल्डन फिजेंट, बजरी, घडिय़ाल दो, मगरमच्छ तीन व जलचर पक्षी हैं। इनके खानपान व चिकित्सा की व्यवस्था वन विभाग की है। यहां आने वाले पर्यटकों से प्रतिदिन लगभग 18 हजार रुपया राजस्व प्राप्त होता है। इसके बाद भी यहां के वन्य जीव गत दिसंबर से उधार का दाना खाने पर मजबूर हैं। वन्यजीवों व पक्षियों के लिए आने वाले दाने व जलचर के लिए मछलियों की गुणवत्ता भी भगवान भरोसे है। कभी-कभी तो जलचर पक्षियों को तो दुर्गंधयुक्त मृत मछली खाने को दी जाती है। पक्षी उसे खाने के बजाय दूर जा कर बैठ जाते हैं। यही स्थिति वन्य जीवों की है। उन्हें शाम के समय केवल हरी पत्तियां तोड़ कर दी जाती हैं। वन्य जीवों के उपचार व दवा का खर्च एक वन दारोगा वहन करते हैं। वन विभाग ने गतवर्ष वन्य जीवों का खाद्यान्न, चिकित्सक विजिट, दवा का लगभग 35 लाख का प्रस्ताव बना कर मुख्य वन संरक्षक मुख्यालय लखनऊ भेजा है। वन क्षेत्राधिकारी एके उपाध्याय  ने बताया कि खाद्यान्न, चिकित्सक विजिट, दवा का प्रस्ताव बनाकर मुख्यालय भेजा गया है।


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