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सौर ऊर्जा से रोशन होगा संपूर्णानंद संस्‍कृत विश्वविद्यालय, शासन से पांच करोड़ रुपये की स्वीकृति

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन जर्जर हो चुकी चाहरदीवारी नए सिरे से बनवाने का निर्णय लिया है। शासन ने इसके लिए पांच करोड़ रुपये की स्वीकृति भी प्रदान कर दी है। यही नहीं प्रथम किश्त दो करोड़ रुपये शासन ने जारी भी कर दी है।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Tue, 08 Jun 2021 12:30 PM (IST)Updated: Tue, 08 Jun 2021 12:30 PM (IST)
सौर ऊर्जा से रोशन होगा संपूर्णानंद संस्‍कृत विश्वविद्यालय, शासन से पांच करोड़ रुपये की स्वीकृति
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन जर्जर हो चुकी चाहरदीवारी नए सिरे से बनवाने का निर्णय लिया है।

वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन जर्जर हो चुकी चाहरदीवारी नए सिरे से बनवाने का निर्णय लिया है। शासन ने इसके लिए पांच करोड़ रुपये की स्वीकृति भी प्रदान कर दी है। यही नहीं प्रथम किश्त दो करोड़ रुपये शासन ने जारी भी कर दी है। निर्माण कार्य जल्द शुरू होने की संभावना है। दूसरी ओर सौर ऊर्जा से परिसर को रोशन करने की भी तैयारी तेज हो गई है।

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राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) सौर ऊर्जा प्लांट लगाने के लिए चार साल पहले ही स्वीकृति प्रदान की थी। इस क्रम में उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपी नेडा) परिसर में 357 किलोवाट क्षमता के सौर ऊर्जा प्लांट लगा रहा है। इस प्रोजेक्ट की लागत करीब एक करोड़ 49 लाख 70 हजार रुपये है। यूपी नेडा ने तमिलनाडु की कंपनी के साथ समझौता भी हो चुका है। समझौते के तहत कंपनी 25 साल तक सौर ऊर्जा प्लांट का रखरखाव करेगी। ये प्लांट 90 और 30 किलोवाट क्षमता के होंगे। विश्वविद्यालय परिसर के पाणिनी भवन सभागार, परीक्षा विस्तार भवन, बहुसंकाय भवन, पुरातत्व संग्रहालय, अंतरराष्ट्रीय छात्रावास, केंद्रीय कार्यालय की छतों पर प्लांट लगाने का प्रस्ताव है। यूपी नेडा ने इसकी प्रक्रिया तेज कर दी है। संस्कृत विश्वविद्यालय में बिजली का स्वीकृत लोड 500 किलोवाट है। सौर ऊर्जा प्लांट लगने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन हर साल करीब 40 लाख रुपये की बचत करेगा। इस प्रकार विश्वविद्यालय प्रशासन तीन साल में सौर ऊर्जा प्लांट की लागत निकाल लेगा।

छात्रसंघ की कुर्सी के लिए भटक रहे पदाधिकारी, दी आंदोलन की चेतावनी

छात्रसंघ भवन पर संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन का ताला अब भी बंद है। जबकि छात्रसंघ का चुनाव करीब डेढ़ माह पहले हुआ था। कोरोना महामारी के मद्देनजर विवि प्रशासन ने पदाधिकारियाें को छात्रसंघ भवन की चांबी अब तक नहीं सौंपी है। निर्वाचित छात्रसंघ के पदाधिकारी कुर्सी के लिए अब भी भटक रहे हैं। इसे लेकर छात्रसंघ के पदाधिकारियों में रोष है। अविलंब छात्रसंघ की चांबी न मिलने पर आंदोलन की चेतावनी दी है। छात्रसंघ के पदाधिकारियाें ने गुरुवार को इस संबंध में छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष को एक पत्रक भी सौंपा है। इसमें कहा गया है कि कोरोना महामारी का प्रकोप कम होते ही कार्यालयों का सामान्य कामकाज शुरू हो गया। वहीं निर्वाचित पदाधिकारियों को अब तक छात्रसंघ भवन की चांबी नहीं साैंपी गई। जबकि छात्रसंघ चुनाव 11 अप्रैल को ही हुआ। इस संबंध में कई बार विश्वविद्यालय के संपत्ति अधिकारी से कई बार अनुरोध किया गया। इसके बावजूद उन्होंने अब तक छात्रसंघ भवन की चांबी नहीं सौंपी। पत्रक सौंपने वालों में छात्रसंघ के कृष्ण मोहन शुक्ल, महामंत्री शिवम चौबे व पुस्तकालय मंत्री आशुतोष कुमार मिश्र शामिल है।


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