Sant Ravidas Jayanti 2021 : संत रविदास जयंती महोत्सव ने बदल दिया वाराणसी के सीर गोवर्धन क्षेत्र का अर्थतंत्र
समय के साथ विस्तार लेते संत रविदास जयंती समारोह ने सीर गोवर्धन क्षेत्र का पूरा अर्थतंत्र ही बदल दिया है। आस्था के रास्ते बाजार ने क्षेत्र में दबे पांव स्थान बना लिया। देखते ही देखते इलाके के घर और मकान लाज और दुकानों में तब्दील हो गए।
वाराणसी [रवि पांडेय]। समय के साथ विस्तार लेते संत रविदास जयंती समारोह ने सीर गोवर्धन क्षेत्र का पूरा अर्थतंत्र ही बदल दिया है। आस्था के रास्ते बाजार ने क्षेत्र में दबे पांव स्थान बना लिया। देखते ही देखते इलाके के घर और मकान लाज और दुकानों में तब्दील हो गए। शहर से लगा एक निपट देहाती इलाके का शहरीकरण हो गया। जो लोग कभी यहां बनने वाले पार्क का विरोध करते थे, वही अब जयंती महोत्सव का पूरे साल बेसब्री से इंतजार करते हैं। करें भी क्यों नहीं, लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं की जुटान ने उनकी आर्थिक किस्मत जो बदल दी।
पार्क के विरोधी सीर के लोग कभी बहुत बदनाम थे लेकिन जयंती में आने वाले देश-विदेश के श्रद्धालुओं से अब वे अच्छे व्यवहार का परिचय देते हैं। कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने आज तक मंदिर में शायद दर्शन भी न किया हो, शायद किए होंगे और न ही संत शिरोमणि से उनकी आस्था भी बावस्ता न हो लेकिन जयंती समारोह का उन्हें बेसब्री से इंतजार रहता है। इस बार कोरोना के कारण श्रद्धालुओं की संख्या काफी कम होने से उनमें निराशा भी है। सप्ताह भर चलने वाला यह उत्सव यहां के लोगों को लाज में तब्दील हो चुके उनके मकानों का मुंह मांगा किराया देता है। हजार रुपये महीने मिलने वाले कमरा चार हजार रुपये तक प्रतिदिन किराया दे जाता है। मंदिर के पास फोटोग्राफी की दुकान चलाने वाले संतोष बताते हैं कि जयंती के पहले सैकड़ों परिवार अपना घर खाली करके स्वजनों को रिश्तेदारी पहुंचा देते हैं क्योंकि हफ्ते भर में उन्हें श्रद्धालु मेहमानों को ठहराने पर अच्छा पैसा मिल जाता है। जनरल स्टोर चलाने वाले वाले अशोक सिंह ने बताया कि अब तो पंजाब और हरियाणा के साथ ही विदेश से भी भक्त आते हैं जिनसे लोगों का रोजगार चलता है। मेले में दुकान लगाने के लिए जगह की बुकिंग पहले ही शुरू हो जाती है। कटरे की दुकान और घरों में कमरों के पैसे तो मिलते ही हैं, खाली प्लाट और दुकान के सामने की जगह के पैसे भी मिलते हैं। रविदास जयंती की बढ़ती भीड़ के कारण अब यहां की जमीन के रेट आसमान छू रहे हैं।