संकट मोचन मंदिर परिसर में शीघ्र ही नया रूप लेगा पंपा सरोवर, पूर्वांचल में जल संकट का दौर
गर्मी अब जैसे जैसे चरम पर जा रही है वैसे वैसे जल संकट की स्थिति भी व्यापक स्वरूप लेता जा रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में जल संकट का हाल यह है कि मीरजापुर चंदौली सोनभद्र के दूर दराज के क्षेत्रों में अब चुआड़ ही पानी का एक सहारा बचा है।
वाराणसी, जेएनएन। गर्मी अब जैसे जैसे चरम पर जा रही है वैसे वैसे जल संकट की स्थिति भी व्यापक स्वरूप लेता जा रहा है। पूर्वांचल के पहाड़ी क्षेत्रों में जल संकट का हाल यह है कि मीरजापुर, चंदौली और सोनभद्र के दूर दराज के क्षेत्रों में अब चुआड़ ही पानी का एक सहारा बचा है। जबकि जल स्रोत और नदियों की धाराएं सिमटती जा रही हैं। दूर दराज से लोग पानी लाने को विवश हैं तो दूसरी ओर मैदानी क्षेत्रों में भी तालाब सूखने लगे हैं। तालाबों के सूखने के साथ ही नलों से भी पानी अब साथ छोड़ रहा है। लोगों की मेहनत अब जल संरक्षण के लिए भी कोरोना संकट काल होने की वजह से नहीं हो पा रहा है।
कोरोना संक्रमण के खतरों के बीच प्रतिवर्ष नदी और तालाबों के जीर्णोद्धार के अभियान भी शांत हैं। वहीं पंचायतों का काम काज भी चुनाव के बीच ठप पड़ा है। मनरेगा का काम बंद होने की वजह से जल संकट का स्तर और बढ़ गया है। तालाबों को खोदने और सिल्ट हटाने का काम भी रुका हुआ है। इस मामले में अब वाराणसी में संकट मोचन मंदिर में जल संकट से निबटने और सरोवर को जीवित करने के लिए पहल शुरू की गई है। हालांकि, पंचायतों के गठन के बाद उम्मीद है कि मानसून आने से पहले काफी हद तक समय से पहले सिल्ट सफाई के साथ ही जल स्रोतों के संरक्षण का काम शुरू हो जाएगा। मगर मानसून आने से पहले जल संकट का दौर शुरू होने से पशु पक्षी प्यास से व्याकुल होकर शहर और कस्बों की ओर भी रुख करने लगे हैं।
संकट मोचन परिसर में सरोवर का पुनरुद्धार
संकट मोचन मंदिर परिसर के पश्चिम दिशा में स्थित पम्पा सरोवर के दिन बहुरने वाले हैं। जीर्णशीर्ण हालात में पड़े इस एक सौ वर्ष पूर्व सरोवर के पुनरुद्धार का बीड़ा मंदिर के महंत प्रो.विश्वम्भरनाथ मिश्र ने उठाया। उन्होंने इसके निमित्त कार्य का आरंभ स्वयं फरसा चलाकर किया।
महंत प्रो. मिश्र ने बताया कि यह सरोवर एक सौ वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने खोदवाया था। श्रीरामचरितमानस की कथा के अनुसार पंपा सरोवर के पास ही हनुमान जी को प्रथम बार भगवान श्रीराम के दर्शन उस हुए थे जब वे माता सीता को खोजते किष्किंधा जा रहे थे। ऋष्यमूक पर्वत के पास स्थित इस सरोवर के पास ही हनुमान जी ने ब्राह्मण के वेश में अपने आराध्य श्रीराम का प्रथम बार दर्शन किया था। गोस्वामी तुलसी द्वारा स्थापित रामलीला का बालि वध प्रसंग अभिनीत करने के लिए इस तालाब की खोदाई मंदिर परिसर में की गई थी।
कालांतर में यह कच्चा तालाब जीर्णशीर्ण हो गया। आज भी बालि वध प्रसंग की रामलीला संकट मोचन मंदिर परिसर में ही होती है। महंत प्रो. मिश्र ने बताया कि यह कार्य कठिन तो है लेकिन मंदिर के प्रयास व हनुमान जी की कृपा से यह अच्छे रूप में दिखाई पड़ने लगेगा। गौरतलब है कि संकट मोचन मंदिर परिसर को मुख्य द्वार से लगायत सुंदर पार्क का निर्माण कार्य श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। इसका निर्माण लॉक डाउन की अवधि में पिछले वर्ष ही किया गया।