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टीईटी पेपर लीक में आरोपित संजय उपाध्‍याय का गाजीपुर से है संबंध, जानिए परिवार की पूरी दास्‍तान

करीमुद्दीनपुर थानाक्षेत्र के गोपालपुर ग्रामसभा का एक छोटा सा पूरा अचानक सुर्खियों में आ गया जब लोगों को पता चला कि टेट पेपर लीक मामले में संजय उपाध्याय इसी गांव का रहने वाला है। संजय के घर का नाम दीपू है। उसके दादा रेलवे विभाग में स्टेशन अधीक्षक थे।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Thu, 02 Dec 2021 06:12 PM (IST)Updated: Thu, 02 Dec 2021 06:12 PM (IST)
टीईटी पेपर लीक में आरोपित संजय उपाध्‍याय का गाजीपुर से है संबंध, जानिए परिवार की पूरी दास्‍तान
टेट पेपर लीक मामले में आरोपित संजय उपाध्याय गाजीपुर का रहने वाला है।

गाजीपुर, जागरण संवाददाता। जिले के करीमुद्दीनपुर थाना क्षेत्र के चकिया निवासी तत्कालीन सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी प्रयागराज संजय उपाध्याय की टीईटी 2021 की परीक्षा के लीक हुए प्रश्नपत्र के मामले में संलिप्तता ने न सिर्फ उनके प्रतिष्ठित परिवार पर धब्बा लगाया है, बल्कि गांव व जिले के लोगों को भी शर्मसार किया है। लोग हतप्रभ हैं कि जो शख्स किसी की पैरवी तक नहीं करता था, जिसके पास करीब 13 साल की महज एक बेटी वह भी जन्म से विकलांगता की वजह से बेड पर हो वह रुपये के लिए इतना कैसे गिर गया।

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उधर, गुपचुप तरीके से जिला प्रशासन उसकी कुंडली खंगाल रहा है। करीमुद्दीनपुर थानाक्षेत्र के गोपालपुर ग्रामसभा का एक छोटा सा पूरा अचानक सुर्खियों में आ गया जब लोगों को पता चला कि टेट पेपर लीक मामले में संजय उपाध्याय इसी गांव का रहने वाला है। संजय के घर का नाम दीपू है। उसके दादा रेलवे विभाग में स्टेशन अधीक्षक थे। पिता पांच भाई थे। इनमें बड़े भाई नर्वदेश्वर उपाध्याय आर्डिनेंश फैक्टरी में कर्मचारी तो दूसरे भुवनेश्वर उपाध्याय रेलवे में कोचिंग सुपरिटेंडेंट थे। तीसरे तारकेश्वर उपाध्याय रेलवे में चीफ कंट्रोलर और चौथे भाई राजेश उपाध्याय स्टेशन अधीक्षक थे।

पांचवें नंबर के इनके पिता विंदेश्वर उपाध्याय विपणन विभाग में एसएमआई थे। संजय उपाध्याय दो भाई और एक बहन में सबसे बड़ा था। छोटे भाई संजीव उपाध्याय शाहजहां इंटर कालेज में अध्यापक हैं। बहन रेणुका तिवारी दिवंगत हो चुकी है। संजय की प्राथमिक शिक्षा गांव में ही हुई थी। शुरुआती शिक्षा हार्टमन इंटर कालेज से करने के बाद क्वींस कालेज वाराणसी से इंटरमीडिएट किया। इसके बाद ग्रेजुएशन करने प्रयागराज चला गया। ग्रामीणों का कहना है कि इनके छोटे भाई तो गांव आते जाते हैं, लेकिन संजय 2011 में जब मां बीमार हुई तो उनकी सेवा के लिए आया और उनके निधन के बाद क्रिया कर्म आदि करके चला गया। बेटी की अस्वस्थता को गांव न आने का कारण बताता था।

पेशे से वकील पट्टीदार जितेंद्र उपाध्याय ने बताया कि उनकी एक लड़की है जो जन्म से ही बेड पर है। अन्य लोगों ने बताया कि वह घर की भी किसी मामले में पैरवी नहीं करता था। न सिर्फ पूरे गांव बल्कि नात-रिश्तेदारी में भी इस मामले की खूब चर्चा है। घर पर ताला बंद है। बाहर के एक कमरे में गांव की एक लड़की बच्चों को कोचिंग पढ़ाती है।


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