संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय : दोगुना होगा छात्रावास और परीक्षा शुल्क, वित्तसमिति की स्वीकृति के बाद होगा लागू
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार आय बढ़ाने के प्रयास में जुटा हुआ है। इस क्रम में गत माह द्वितीय प्रति उपाधि सहित विभिन्न प्रकार के शुल्कों में वृद्धि की गई है। अब विश्वविद्यालय परीक्षा छात्रावास सहित अन्य शुल्कों में 50 फीसद तक बढ़ाने का निर्णय लिया है।
वाराणसी, जेएनएन। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन लगातार आय बढ़ाने के प्रयास में जुटा हुआ है। इस क्रम में गत माह द्वितीय प्रति उपाधि सहित विभिन्न प्रकार के शुल्कों में वृद्धि की गई है। अब विश्वविद्यालय परीक्षा, छात्रावास सहित अन्य शुल्कों में 50 फीसद तक बढ़ाने का निर्णय लिया है। देशभर में संबद्ध करीब 550 संस्कृत कालेजों में भी शुल्क वृद्धि प्रभावी होगी।
इस क्रम में शुक्रवार को छात्र कल्याण संकायाध्यक्ष प्रो. रामपूजन पांडेय की अध्यक्षता बैठक भी बुलाई गई थी। बैठक में प्रमाणपत्रीय से लगायम शास्त्री-आचार्य तक के परीक्षा शुल्क करीब 50 फीसद तक बढ़ाने की सहमति बनी है। शास्त्री में 900 रुपये से बढ़ाकर 1410 रुपये तथा आचार्य का शुल्क 1100 रुपये से बढ़ाकर 1600 रुपये करने का प्रस्ताव है। इसी प्रकार अंकपत्र शुल्क, क्रीड़ा शुल्क, छात्रसंघ शुल्क को भी दाेगुना करने का निर्णय लिया गया है। विश्वविद्यालय में अंकपत्र के लिए महज पांच रुपये, खेलकूद केे मद में दस रुपये व छात्रसंघ शुल्क दस रुपये निर्धारित हैं। पिछले तीन दशकों से अंकपत्र, क्रीड़ा, छात्रसंघ शुल्क एक रुपया भी नहीं बढ़ाया गया है। संकायाध्यक्षों का कहना है कि कागज व मुद्रण का दर तीन दशक में कई गुना बढ़ गया है। महंगाई बढ़ने के बाद भी शुल्क के ढांचे में कोई परिवर्तन नहीं किया गया।
इसी प्रकार परीक्षा शुल्क व छात्रावास शुल्क भी 14 साल बाद बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। छात्रावास के लिए अब तक शास्त्री के छात्रों से 500 व आचार्य के छात्रों से 600 रुपये लिए जाते हैं। इसे देखते हुए छात्रावास शुल्क को भी दोगुना करने करने की तैयारी है। शुल्क बढ़ाने के लिए संकायाध्यक्षों की बैठक में हरी झंडी मिल गई है। अब शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव कुलपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। कुलपति की सैद्धांतिक सहमति मिलने के बाद अनुमाेदन के लिए इसे वित्त समिति में रखा जाएगा। बैठक में प्रो. सुधाकर मिश्र, प्रो. हर प्रसाद दीक्षित, प्रो. रमेश प्रसाद, सहायक कुलसचिव-लेखा सुनील कुमार शामिल थे।