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Sampoornanand Sanskrit University : कार्यमुक्त हुए सहायक कुलसचिव, कपिल किशोर ने दिया इस्‍तीफा

Sampoornanand Sanskrit University इंडिया बुक आफ रिकार्ड बनाने वाले सहायक कुलसचिव (एआर) कपिल किशोर लाल ने अंतत संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय काे टाटा कर दिया है। इस्तीफा देने दो माह बाद अखिरकार दबाव में आकर विश्वविद्यालय को कपिल किशोर को कार्यमुक्त करना पड़ा।

By Abhishek SharmaEdited By: Published: Wed, 08 Sep 2021 01:46 PM (IST)Updated: Wed, 08 Sep 2021 01:46 PM (IST)
Sampoornanand Sanskrit University : कार्यमुक्त हुए सहायक कुलसचिव, कपिल किशोर ने दिया इस्‍तीफा
सहायक कुलसचिव (एआर) कपिल किशोर लाल ने अंतत: संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय काे टाटा कर दिया है

वाराणसी, जागरण संवाददाता। इंडिया बुक आफ रिकार्ड बनाने वाले सहायक कुलसचिव (एआर) कपिल किशोर लाल ने अंतत: संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय काे टाटा कर दिया है। इस्तीफा देने दो माह बाद अखिरकार दबाव में आकर विश्वविद्यालय को कपिल किशोर को कार्यमुक्त करना पड़ा। कार्यमुक्त होने के लिए कपिल किशोर लाल ने हाई वोल्टेज ड्रामा किया। दो दिन पहले उन्होंने आत्मदाह की भी धमकी दे दी थी। आनन-फानन विश्वविद्यालय को कार्यमुक्त का आदेश बनाना पड़ा। रात हो जाने के कारण विश्वविद्यालय ने मंगलवार की सुबह उन्हें कार्यमुक्त होने का आदेश दिया। आदेश मिलते ही उन्होंने प्रयागराज में महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) पद पर कार्यभार भी ग्रहण कर लिया।

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दरअसल वेतन विसंगतियों से क्षुब्ध होकर एआर कपिल किशोर लाल ने आठ जुलाई को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने इसकी प्रतिलिपि शासन को भेज दी थी। खास बात है कि वह 13 जनवरी को संस्कृत विश्वविद्यालय में सहायक कुलसचिव पद पर कार्यभार ग्रहण किए थे। इससे पहले वह केंद्रीय महालेखाकार (लेखा एवं हकदारी) द्वितीय प्रयागराज में प्रभागीय लेखा अधिकारी पद पर कार्यरत थे। इस्तीफे में कहा गया है कि प्रयागराज से लियन पर कार्यमुक्त होकर मैंने एआर का कार्यभार संभाला था।

विडंबना यह थी कि छह माह में विश्वविद्यालय से वेतन के मद में उन्हें एक रुपया दिया था। ग्रेड-1 का अधिकारी होने के बावजूद अब वेतन निर्धारण मनमाने तरीके किया जा रहा है। जबकि वह वेतन निर्धारण के संबंध में शासनादेश भी विश्वविद्यालय को उपलब्ध करा चुके थे। इसके बाद भी विश्वविद्यालय मानने को तैयार नहीं है। इससे क्षुब्ध होकर उन्हाेंने इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने के बाद विश्वविद्यालय ने उन्हें वेतन देने की प्रक्रिया शुरू की। उसके बाद वेतन दिया लेकिन उनका दावा है कि मनमाने तरीके से वेतन का निर्धारण किया। ऐसे में वह विश्वविद्यालय पर लगातार कार्यमुक्त के लिए दबाव बनाए हुए थे। अंतत: उनका दबाव काम आया। दूसरी ओर कुलसचिव डा. ओमप्रकाश का कहना है कि उनकी नियुक्ति शासन से हुई थी। उन्होंने इस्तीफ की प्रतिलिपि शासन को भी भेजी थी। शासन की स्वीकृति मिलने में देरी के कारण उन्हें कार्यमुक्त करने में दो माह लग गए।

सात बार यूजीसी नेट की परीक्षा की पास : एआर कपिल किशोर लाल ने सात- सात बार अलग-अलग विषयों से यूजीसी नेट की परीक्षा उत्तीर्ण की है। सात बार नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने पर उन्हें इंडिया बुक आफ रिकार्ड भी मिल चुका है। उन्होंने समाजशास्त्र, लोक प्रशासन, राजनीति विज्ञान, वाणिज्य, इतिहास (प्राचीन व मध्यकालीन) शिक्षाशास्त्र विषयों से स्नातकोत्तर की उपाधि भी हासिल की। खास बात यह है कि नौकरी करते हुए उन्होंने व्यक्तिगत परीक्षार्थी के रूप में परीक्षा दी। साथ ही यूजीसी नेट की परीक्षा में भी शामिल हुए। आंबेडकर नगर के मूल निवासी 1996 में ही सेवा में आ गए। यूपी पुलिस रेडिया की नौकरी छोड़कर वह वर्ष 1997 में वाराणसी में डिप्टी जेलर पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया। इस क्रम में वर्ष 1998 एसससी के माध्यम में एजी मेें एकाउंटेंट, मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस में सेक्शन आफिसर, वर्ष 2007 में आर, 2010 में बिहार पीसीएस, वर्ष 2018 में सहायक कुलसचिव पद पर चयन हुआ। इस प्रकार जहां किसी को एक नौकरी नहीं मिल रही है। वही 47 वर्ष की उम्र सहायक कुलसचिव की सातवीं सर्विस कर रहे थे। हालांकि इस पद से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।


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