आरटीई में 15 करोड़ रुपये बकाया, फिर भी दाखिले का दबाव, बीत गए सत्र के 11 माह
राइट-टू-एजुकेशन (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में प्री-नर्सरी व कक्षा-एक में सीट के सापेक्ष 25 फीसद मुफ्त अलाभित समूह व दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को दाखिला देने का दबाव है।
वाराणसी, जेएनएन। राइट-टू-एजुकेशन (आरटीई) के तहत निजी स्कूलों में प्री-नर्सरी व कक्षा-एक में सीट के सापेक्ष 25 फीसद मुफ्त अलाभित समूह व दुर्बल आय वर्ग के बच्चों को दाखिला देने का दबाव है। दूसरी ओर वर्तमान सत्र बीतने को है। वहीं शासन से शुल्क प्रतिपूर्ति विद्यालय प्रबंधन को नहीं मिल सकी है। इसके अलावा बच्चों की डे्रस व किताब के लिए अभिभावकों को भी पांच हजार रुपये अब तक नहीं मिल सके हैं। इन मदों में करीब 15 करोड़ बकाया है।
आरटीई के तहत शासन की ओर से निजी स्कूलों को 450 रुपये प्रतिमाह की दर से शुल्क प्रतिपूर्ति मिलने का प्रावधान है। सत्र के 11 माह बाद अब तक निजी स्कूलों को शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं मिल सकी है। शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए निजी विद्यालयों के प्रतिनिधि बीएसए आफिस की दौड़ लगा रहे हैं। इसे देखते हुए जनपद के कई निजी विद्यालय इस वर्ष आरटीई के तहत बच्चों का मुफ्त दाखिला लेने के लिए तैयार नहीं है।
आवेदन 31 तक : आरटीई के तहत निजी स्कूलों में मुफ्त दाखिले के आवेदन शुक्रवार से भरे जाने शुरू हो गए हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि 31 मार्च निर्धारित है।
स्वेटर का भी नहीं मिला पैसा : ठंड से पहले परिषदीय विद्यालयों के बच्चों को स्वेटर वितरित किया जा चुका है। वहीं स्वेटर का पूरा पैसा अब तक नहीं मिल सका है। स्वेटर के मद में करीब दो करोड़ रुपये बकाया है।
दो माह से वेतन भी बकाया : बजट के अभाव में बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत अधिकारियों व कर्मचारियों को दो माह का वेतन बकाया चल रहा है।
बोले अधिकारी : शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए 15 करोड़ व स्वेटर के लिए दो करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसी माह में स्वीकृत होने की संभावना है। शासन से पैसा मिलते ही ऐसे में निजी विद्यालयों के खाते में शुल्क प्रतिपूर्ति स्थानांतरित कर दी जाएगी। -जय सिंह, बीएसए।