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वाराणसी में सिटी स्टेशन पर आसान नहीं तत्काल टिकट की राह, काउंटर तक पहुंचना मुश्किल

रेलवे टिकट आरक्षण व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की तमाम कोशिशें फेल हैं। वाराणसी सिटी स्टेशन की स्थिति देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। तत्काल टिकट को लेकर इन दिनों मारामारी मची है। चुनिंदा चेहरों के अलावा शायद ही किसी को टिकट मिल पाता है।

By saurabh chakravartiEdited By: Published: Fri, 18 Dec 2020 06:30 AM (IST)Updated: Fri, 18 Dec 2020 06:30 AM (IST)
रेलवे टिकट आरक्षण व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की तमाम कोशिशें फेल हैं।

वाराणसी, जेएनएन। रेलवे टिकट आरक्षण व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की तमाम कोशिशें फेल हैं। सिटी स्टेशन की स्थिति देखकर इस बात का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। तत्काल टिकट को लेकर इन दिनों मारामारी मची है। बुकिंग काउंटर पर पहुंचने के लिए रात में ही नंबर लग जा रहे हैं। बावजूद इसके चुनिंदा चेहरों के अलावा शायद ही किसी को टिकट मिल पाता है।

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कोई सप्ताह भर से तो कोई पांच दिन से रोजाना पहुंचकर लाइन लगा रहा है। रिश्तेदारों से लेकर परिवार के सदस्यों के लिए दिल्ली-मुंबई आदि के लिए टिकट लेने की हसरत में रोजाना सुबह-शाम कसरत हो रही है। इसकी पड़ताल करने के लिए दैनिक जागरण की टीम बुधवार को सिटी स्टेशन पहुंची। ठीक 11 बजे बुङ्क्षकग काउंटर पर लंबी लाइन दिखी। काउंटर पर जो लोग आगे खड़े थे, 11.05 तक वहीं डटे रहे। समय खत्म होने पर हफ्ते भर से मशक्कत कर रहे लोग निराश होकर लाइन से बाहर निकल पड़े और पारदर्शी बताई जा रही व्यवस्था को लेकर जमकर भड़ास निकाली।

इन दिनों ट्रेनों में अत्यधिक दबाव है

इन दिनों ट्रेनों में अत्यधिक दबाव है। तत्काल कोटे की सीटें सीमित हैं। लिहाजा हर यात्री को उसका लाभ मिलना संभव नहीं है। बिचौलिए हावी न हों, इसके लिए पूरी पारदर्शिता बरती जा रही है।

- अशोक कुमार, जनसंपर्क अधिकारी-पूर्वोत्तर रेलवे

तत्काल टिकट के लिए कई बार लाइन में लगा

परिवार के लोगों का अक्सर बाहर आना-जाना होता है। तत्काल टिकट के लिए कई बार लाइन में लगा, लेकिन कभी पहला नंबर नहीं आया।

- अमन, चौकाघाट

पांच दिन से यहां आ रहे हैं, लेकिन अभी तक टिकट नहीं बन पाया। वहीं कुछ लोग हैं, जो रोज पता नहीं किसका टिकट निकालने पहुंच जाते हैं।

- सूरज वर्मा, नाटी इमली

तीन-चार दिन से लगातार प्रयास कर रहा हूं, लेकिन तत्काल टिकट नहीं मिल पा रहा है। रोज यहां आकर खाली हाथ लौटना पड़ रहा है।

- सुशील कुमार, नक्खीघाट

एक सप्ताह से रोज रात में यहां आकर नंबर लगाता हूं, मगर सुबह लिस्ट से नाम ही काट दिया जाता है। इस कारण टिकट नहीं मिल पा रहा है।

- मोहम्मद नफीस, जलालीपुरा


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