Road safety week यात्री वाहनों में चालक बैठाते हैं क्षमता से दोगुना सवारी, जांच में होती है लापरवाही
Road safety week वाराणसी में सड़कों पर तेज गति में दौड़ रहे ओवरलोड वाहन के साथ ही ओवरटेकिंग दुर्घटना का प्रमुख कारण है।
वाराणसी, [जेपी पांडेय]। Road safety week चालकों को सवारियों की जिंदगी से ज्यादा कमाई की चिंता है। वे वाहनों में क्षमता से अधिक यात्री बैठाने के साथ ज्यादा माल ढो रहे हैं। सड़कों पर तेज गति में दौड़ रहे ओवरलोड वाहन के साथ ही ओवरटेकिंग दुर्घटना का प्रमुख कारण है। स्थिति यह है कि कमाई के लालच में चालक अपनी सीट पर भी एक सवारी बैठा लेते हैं। वाहन चलाते समय आधा शरीर बाहर होता है। अधिक सवारी के कारण आए दिन वाहन पलटते हैं। घायल होने के साथ जान तक चली जाती है। ओवरलोड वाहनों के खिलाफ प्रशासन और प्रवर्तन अधिकारियों ने कई बार कार्रवाई की लेकिन पूरी तरह रोक लगाने में सफल नहीं हुए।
यात्रियों की जिंदगी सांसत में
कंपनी कोई भी वाहन बनाती है तो उसमें इंजन के साथ सवारी की संख्या तय होती है। मालवाहकों की भी ढोने की क्षमता तय है, लेकिन उनमें क्षमता से ज्यादा गिट्टी, बालू, सरिया, दैनिक जीवन से जुड़े सामान अधिक होते हैं। यही हाल सवारी वाहनों का है। आटो रिक्शा में तीन, विक्रम और जीप में सात, बस में सवारियों की संख्या दोगुना होती है। वाहनों में अधिक सवारी होने पर उसमें कोई बैठना नहीं चाहता, लेकिन कोई विकल्प न होने पर वे बैठ जाते हैं। क्षमता से अधिक सवारी होने से सफर के दौरान यात्री की जिंदगी सांसत में होती है।
हादसे के बाद नहीं लेते सबक
ओवरलोड वाहनों के चलते अक्सर हादसे होते हैं। हादसे के साथ अधिकारी आगे कार्रवाई करने की बात करते हैं लेकिन समय के साथ सब भूल जाते हैं। लोगों की मौत होने पर अधिकारी भूसा, ईंट, बालू और गिट्टी ढोने वाले वाहनों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात करते हैं। लेकिन समय बीतने के साथ सब भूल जाते हैं। अक्सर ट्रैक्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने और उनकी चपेट में आने से लोगों की मौत होती रहती है। आए दिन हादसे होने के बाद भी पुलिस, यातायात और परिवहन अधिकारी कोई कार्रवाई नहीं करते हैं। ओवरलोड ट्रक हाइवे पर मौत के सौदागर बन कर दौड़ रहे हैं। पुलिस, यातायात और परिवहन अधिकारियों के रोकने पर भी नहीं रुकते। जबर्दस्ती रोकने की कोशिश करते हैं तो धक्का मारते या रौंदते निकल जाते हैं।